00 ठिनठिनी पत्थर जैसा देशभर में नही हैं दूसरा कोई पत्थर
00 पत्थर का रहस्य जानने कई शोधकर्ता और वैज्ञानिक हुए नाकाम
00 5 फीट ऊंचा और 3 फीट चौड़ा हैं पत्थर
00 राज्य व देश के कोने-कोने से आते हैं लोग ठिनठिनी पत्थर को देखने – सुनने
छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर दरिमा हवाई अड्डा से लगे ग्राम छिंदकालो में एक ऐसा पत्थर है जिसे दूसरे पत्थर से टकराने पर ‘ठिन-ठिन’ की आवाज आती है। पर अन्य पत्थरों को आपस में टकराने पर ऐसी आवाज नहीं निकलती है। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने इस पत्थर का नाम रखा है ‘ठिनठिनी पत्थर।’
सरगुजा में इस पत्थर के चर्चे तो काफी है, लेकिन राज्य व देश में भी यह अपनी पहचान बना चुका है। इस पत्थर का रहस्य जानने कई शोधकर्ता और वैज्ञानिक भी यहां पहुंच चुके हैं, लेकिन अब तक यह अबूझ ही साबित हुआ है।
आपको बता दे कि छिंदकालो गांव में स्थित यह पत्थर करीब 5 फीट ऊंचा और 3 फीट की चौड़ाई लिए हुए है।
आज ठिनठिनी पत्थर की लोकप्रियता इतनी बढ़ चुकी है कि इसे देखने जिले के अलावा राज्य व देश के कोने-कोने से लोग यहाँ आते हैं। यहां पहुंचने के बाद ठिनठिनी के दो पत्थरों को आपस में टकराकर देखते हैं। इससे जो ध्वनी निकलती है इसे सुनकर वे काफी आनंदित भी होते हैं।
आश्चर्य की बात तय यह हैं कि छिंदकालो स्थित इस पत्थर जैसा राज्य सहित देशभर में दूसरा कोई पत्थर है। इस कारण इसकी लोकप्रियता और बढ़ती जा रही है।
ग्रामीणों ने बकायदा यहां पर ‘ठिनठिनी पत्थर’ भी लिख रखा है। पत्थर के कारण इस गांव का यह मोहल्ला ठिनठिनीपारा के नाम से प्रचलित हो गया है।
बताया जा रहा है कि ठिन-ठिन की आवाज आने के कारण ही गांव के बुजुर्गों ने इसका नाम ठिनठिनी रख दिया हैं। तब से लेकर आज तक यह इसी नाम से प्रसिद्ध है।
सरगुजा के अलावा यह छत्तीसगढ़ व देशभर में यह प्रचलित हो चला है। पूर्व में इस पत्थर का रहस्य जानने कई देश के कई वैज्ञानिक यहां पहुंच चुके हैं, लेकिन वे इसका तिलिस्म नहीं समझ पाए। अब तक यह पत्थर अबूझ पहेली बना हुआ है। वहीं शोधकताओं द्वारा पत्थर की जैविक संरचना जानने इसका सैंपल जयपुर के विज्ञान प्रयोगशाला भेजा गया है। यह पत्थर अब सरगुजा सहित राज्य का ऐतिहासिक धरोहर बन चुका है।
ठिनठिनी पत्थर सफेद रवादार के साथ चमकदार भी है। इसका असली नाम फोनोटिक स्टोन है। दूर से देखने में यह सामान्य पत्थर की भांति ही नजर आता है। लेकिन जैसे-जैसे आप इसके नजदीक जाएंगे, पत्थर आपको अपनी ओर आकर्षित करने लगता है। ठिनठिनी के दो पत्थरों को आपस में टकराने से संगीत जैसे स्वर निकलते हैं, जो कानों को काफी मधुर लगते हैं। ठिनठिनी के दो पत्थरों में एक विशेष स्थान पर टकराव होने से ही ऐसी आवाज निकलती है।