Monday, June 30, 2025
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कोरिया के इस पंडाल में माता की मूर्ति नही, तस्वीर पर पूजा अर्चना कर मनाया गया नवरात्रि त्योहार

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कोरिया / दुर्गा पूजा या नवरात्रि, हिंदू समुदाय के लोगों द्वारा मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है। यह त्योहार दुर्गा, देवी पार्वती के योद्धा रूप और दिव्य शक्ति, समृद्धि और राक्षसी शक्तियों के संहारक की देवी को समर्पित है। नवरात्रि नौ दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों को समर्पित है। परंपरा और अनुष्ठान के अनुसार देवी दुर्गा की मूर्तियों की पूजा करके त्योहार मनाया जाता है।

पर कोरिया जिला मुख्यालय के ओड़गी डामरपारा स्थित पंडाल में इन दिनों कुछ अलग ही नजारा देखा जा रहा हैं। श्री श्री दुर्गा पूजा समिति ओड़गी डामरपारा बैकुण्ठपुर के पंडाल में इस वर्ष मूर्ति स्थापना नही की गई हैं बल्कि माता के 9 रूपों वाली तस्वीर की विधिवत पूजा अर्चना की जा रही हैं। यही नही कोरोना काल की वजह से पंडाल में कई पोस्टर भी लगाए गए हैं जिनमे साफ तौर पर लिखा है कि बैरिकेट्स के भीतर 20 व्यक्तियों के लिए एक साथ उपस्थित पर पूणतः निषेध हैं और पंडाल के किसी भी चीजों को बगैर छुए समान्य दूरी से पूजा करें।

दुर्गा पूजा पंडाल के सरंक्षक सुभाष साहू ने बताया कि कोविद 19 के मद्देनजर समिति के सुझाव पर हमने इस वर्ष फैसला लिया कि मूर्ति स्थापना न कर माता रानी की तस्वीर से विधिवत पूजा अर्चना की जाएगी और कोविद के नियमों का पालन किया जाएगा।

यहाँ यह कहना गलत नहीं होगा कि देवी दुर्गा की मूर्ति भक्तों के प्रमुख आकर्षणों में से एक हैं। लोग दुर्गा पूजा और देवी की मूर्ति को देखने के लिए विभिन्न स्थानों के पंडालों पर जाते हैं। वावजूद इसके इस पंडाल में माता की मूर्ति स्थापना नही की गई हैं।

यू तो कोरोना महामारी के लिए शासन ने तमाम कड़े नियम बनाए हैं। चुकी देश में कोरोना महामारी अपने चरम पर है और ऐसे में भक्त माता की आराधना कर सकें और कोरोना से भी बचे रहें, इसके लिए शासन ने नियमावली तैयार की है। इस नियमावली का पालन करते ही भक्तों की माता की आराधना करनी होगी। इसके अनुसार पंडाल में माता की सिर्फ 6 फीट तक ही मूर्ति ही विराजमान की अनुमति पूजा समिति को दी गईं। इसके साथ ही पंडाल का साइज, उसमें अधिक लोग एकत्रित नहीं हो सकें और सिर्फ पुजारी व एक दो लोग ही अंदर प्रवेश कर सकें जैसे नियमों के तहत अनुमति दी हैं। इसके साथ ही माता की मूर्तियों के विसर्जन में भी भीड़ एवं जुलूस आदि की मनाही हैं।

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