नई दिल्ली / सपने सभी देखते हैं, लेकिन यह जरुरी नहीं कि सभी के सपने पूरे हो जाएं. ऐसे कई लोग भी हैं जिनके अपने सपने तो पूरे नहीं हो पाते लेकिन वह दूसरों के सपनों को पूरा करके उनमें अपनी खुशियां तलाश लेते हैं. हमारे समाज में ऐसे कई लोग मिसाल बनकर सामने आएं हैं, जिनके अपने सपने तो पूरे नहीं हो पाए, लेकिन उन्होंने दूसरों के सपनों को पूरा करने में ही अपना पूरा जीवन बिता दिया और ऐसा करके वह बेहद खुश भी हैं.
छत्तीसगढ़ के जलेश यादव एक ऐसे ही शख्स हैं जिनका सपना क्रिकेटर बनना था, लेकिन वह अपना यह सपना पूरा नहीं कर पाए. जलेश खुद तो क्रिकेटर नहीं बन पाए, लेकिन उन्होंने चाय बेचते हुए कई लड़कियों को राष्ट्रीय स्तर का क्रिकेटर बना दिया है.
31 साल के जलेश यादव चाय बेचते हैं, लेकिन मैदान पर इसी चायवाले जलेश को मैदान पर कोच सर के नाम से जानते हैं. जलेश छत्तीसगढ़ के मुंगेली शहर में सनराइज क्रिकेट एकेडमी के नाम से ट्रेनिंग सेंटर चलाते हैं. इनके अंडर 50 से ज्यादा गरीब घर की लड़कियां ट्रेनिंग लेती हैं. जलेश इन लड़कियों को मुफ्त में ट्रेनिंग देते हैं.
इन लड़कियों के पास न तो अच्छे जूते हैं, न ही अच्छी क्रिकेट किट है और न ही मजबूत ग्लव्स हैं लेकिन बावजूद इसके इन लड़कियों के हौसले बुलंद हैं. बेहद मजबूत और ठोस इरादे की वजह से ही इन लड़कियों में इतन आत्मविश्वास भर चुका है कि यहां कि कुछ लड़कियां राष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट खेल रही हैं.
राष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट खेलने वाली संगीता पटेल और दुर्गेश नंदनी साहू को जलेश ने ही ट्रेनिंग दी है. अब जलेश से सीख रहीं इन लड़कियों में से ज्योति नट अंडर-19 में सीएसईबी की टीम में सलेक्ट हो चुकी हैं. इसके साथ ही इस साल अंडर-19 वुमेंस इंडियन क्रिकेट टीम में भी मुंगेली की कई लड़कियों की दावेदारी मजबूत है. गांवों में रहने वाली इन लड़कियों ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उन्हें क्रिकेट खेलने का मौका भी मिलेगा, लेकिन कोच जलेश ने इन्हें राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा दिया है.
जलेश खुद चाय बेचते हैं और इसी से उनका परिवार भी चलता है. जलेश ने कुछ साल मुंबई में चिट्ठियां बांटने का काम भी किया है. वहां उन्होंने अपने बड़े भाई से क्रिकेट की ट्रेनिंग ली. इसके बाद कुछ संगठन की मदद से उन्होंने देश और विदेश में कई जगहों पर क्रिकेट खेला.
जलेश ने जम्मू-कश्मीर, केरल, झारखंड, और श्रीलंका में भी क्रिकेट खेलकर बेस्ट परफॉर्मर का अवॉर्ड भी जीता है. बाद में उम्र की वजह से वह रणजी या इंडियन क्रिकेट टीम में सलेक्शन से पीछे रह गए, लेकिन उन्होंने अपने इस हुनर को दूसरों को बांटकर उनके सपने को पूरा करने की ठान लिया है. जलेश अब अपनी कमाई के लिए चाय की दुकान खोली और इसके खर्चे से भी वह ट्रेनिंग में पैसे लगाकर इन लड़कियों के सपनों को पूरा कर रहे हैं.
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