सरपंच होने के नाते अलका गांववालों के साथ जलसंधारण के कामों में जुटी थी. उसे देखने के लिए लड़के वाले आए तो अलका नें उन्हें यह कहकर वापस भेज दिया कि जब-तक गांव में पानी लाने की उसकी जिम्मेदारी पूरी नहीं होती. तब तक वह शादी के बारे में सोच भी नहीं सकती.
23 साल की अलका इन दिनों सुबह से ही जलसंधारण के कामों मे जुट जाती हैं. अलका का नाम महाराष्ट्र के उन गिने चुने लोगों में शामील हुआ है, जो इतनी छोटी उम्र मे सरपंच बन गए हैं. नंदुरबार का यह इलाका सबसे ज्यादा सुखा प्रभावित इलाका है. सरपंच होने के नाते गांव में पानी लाने की जिम्मेदारी अलका ने उठाई है.
पानी फाउंडेशन की ट्रेनिंग पूरा कर वह जब गांव में लौटी तो उसने जलसंधारण का काम हाथ में लिया. यह काम 45 दिनों का है. इतने दिनों में वह गांव के बुढ़े बुजुर्ग और बच्चों को साथ लेकर खुद जलसंधारण के काम में जुट गई हैं.
अलका पवार ने बताया कि मेरे घर पर देखने के लिए लड़के वाले आए थे. जब मैं काम कर रही थी. छोटे बच्चों को मुझे बुलाने के लिए भेजा था. मैंने उन्हें यह कहकर वापस कर दिया कि अभी मैं नहीं आ सकती, क्योंकि 22-23 मई काम चलेगा. इसलिए अगर शादी के लिए देखना है, तो काम पूरा होने के बाद ही गांव में आएं.
अलका के पिता निलसिंग पवार को अपने बेटी के इस रवैये के बारे में बिलकुल बुरा नहीं लगा. उन्होनें अपनी बेटी के इस फैसले पर खुशी जताई. उन्होंने कहा कि सरपंच होने के नाते अलका ने यह फैसला लिया है कि गाव पानीदार किए बिना वह शादी नहीं करेगी. मैं उसके इस फैसले का सम्मान करता हूं.
अलका के जोश को देखते हुए सभी गांव वाले जलसंधारण के कामों में जुट गए है. अपने अन्य काम से वक्त निकालकर वह अलका और अन्य गांववालों के साथ काम करते है. रिक्शा चालक दादा पवार ने बताया कि मैं तीन घंटे रिक्शा बंद कर इधर आता हूं और श्रमदान करता हूं. हमारी सरपंच अलका भी हमारे साथ होती है.
पूरे गांव में जलसंधारण का काम जोरों पर चल रहा है. यह लोग अब बारिश का इंतजार कर रहे हैं. ताकी जब पानी बरसेगा तो जो गढ्ढे उन्होंने खोदे हैं वह पानी से भर जाएंगे और अगले साल पानी की समस्या से थोड़ी निजाद मिलेगी. zeenews.com