बिलासपुर / छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग से आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा की लिखित में अनुरोध करने पर की दूसरे राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ में भी अपील और शिकायत प्रकरणों की सुनवाई मोबाइल पर ऑडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से किया जाए का पालन नहीं करने के कारण आरटीआई कार्यकर्ता ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में रिट याचिका प्रस्तुत किया, जिसमें उच्च न्यायालय ने सूचना आयोग से जवाब मांगा है।
चिरमिरी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने दिनांक- 01.02.2018 को छ0ग0 राज्य सूचना आयोग को एक पत्र लिखकर आईटी एक्ट-2000 के अनुसार द्वितीय अपील और शिकायतों की सुनवाई मोबाइल पर ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कराए जाने हेतु लिखित में अनुरोध किया। छ0ग0 सूचना आयोग के द्वारा एक पत्र भेजकर अपील और शिकायत प्रकरणों की सुनवाई मोबाइल पर ऑडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कराए जाने का कोई प्रावधान नहीं होना बताया गया।
सूचना आयोग के दिनांक 29.10.2018 फुल आयुक्त की मीटिंग के एजेंडा क्रमांक 9.5 में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में किसी एक जिले में लिए जाने का प्रस्ताव किया गया। विधि अधिकारी भी इस संबंध में अपनी सहमति दिये। उन्होंने अपने अभिमत में रायगढ़ या महासमुंद जिले को मोबाइल से ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जोड़ने का विकल्प दिया। आरटीआई कार्यकर्ता ने सूचना आयोग को दो पत्र लिखकर अनुरोध किया कि पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कोरिया को भी जोड़कर मोबाइल पर ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई किया जाए। आरटीआई कार्यकर्ता के इस आवेदन पर कोई कार्यवाही या आदेश नहीं किया गया।
सूचना आयोग के कार्यालय के महासमुंद और रायगढ़ जिले का कॉज लिस्ट का दिनांक 29.10.2018 से 29.06.2019 तक का जब आरटीआई कार्यकर्ता के अवलोकन किया तो पाया कि इस समय अवधि में एक भी प्रकरण की सुनवाई ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग से नहीं हुआ है। उत्तरवादी के पास इस तरह का नियम बनाने का अधिकार है। अपने इस अधिकार का प्रयोग उत्तरवादी के द्वारा आदेश करने के विपरीत नहीं किया जा रहा है जिससे अपार जनसमूह लाभ प्राप्त करने से वंचित है।
सूचना आयोग के इस तरह के गैर जिम्मेदारी पूर्वक काम ना करने के कारण आरटीआई कार्यकर्ता ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में रिट याचिका प्रस्तुत की। इस रिट याचिका में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग से जवाब तलब किया है। आरटीआई कार्यकर्ता ने अपने याचिका में सूचना आयोग का अपील और शिकायत प्रकरणों की सुनवाई मोबाइल पर ऑडियो कांफ्रेंसिंग से होने वाले लाभ का स्पष्ट जिक्र किया है।
ये होंगे लाभ –
अ. वर्तमान में एनआईसी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो रहे सूनवायी में लोक सूचना अधिकारी को अपना मूल कार्य छोडकर जिला कार्यालय (एनआईसी कक्ष) तक जाना पड़ता है, जिससे उनका समय बर्वाद होता है और वे अपना मूल कार्य नही कर पाते. एैसे अधिकारी के इस एक दिन का वेतन सरकार को देना पड़ता है, जिससे शासकीय धन की क्षति होती है. यदि उक्त लोक सूचना अधिकारी के मोबाईल पर ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सूनवायी किया जाय तो एैसे अधिकारी को एनआईसी कक्ष तक नही आना पडे़गा, जिससे उनके कार्य स्थल से भी प्रकरण की सूनवायी आसानी से हो सकेगी और लोक सूचना अधिकारियों के वेतन के रूप में खर्च होने वाली राशि बचेगी तथा वे अपना मूल कार्य भी कर सकेगें.
ब. उपरोक्त लोक सूचना अधिकारी के अपने कार्यालय से एनआईसी कक्ष तक जाने में आवागमन के लिए जो खर्च होता है, वो विभाग से वसूला जाता है जिससे शासकीय धन का अतिरिक्त रूप से क्षति होती है. लोक सूचना अधिकारी के मोबाईल पर ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सूनवायी होने से उनके आवागमन का खर्च बचेगा. जिससे शासकीय धन का बचत होगा.
स. उपरोक्त प्रकार के अधिकारी को सूचना का अधिकार के अपीलों शिकायतों के एक प्रकरण में सूनवायी के लिए एनआईसी कक्ष कई बार जाना पड़ता है. जिससे राज्य सरकार को हजारों रू. की क्षति होती है। इसे लोक सूचना अधिकारी के मोबाईल पर ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सूनवायी कर आसानी से दुर किया जा सकता है.
द. अभी की स्थिति में लोक सूचना अधिकारी को कई बार पेशी दिनांक की जानकारी नही होती या उन्हें नोटिस तामिल नही होता या किसी अन्य आवश्यक कार्य में व्यस्थता के कारण वे विडियों काॅफे्रसिंग की सूनवायी में उपस्थित नही.
द. अभी की स्थिति में लोक सूचना अधिकारी को कई बार पेशी दिनांक की जानकारी नही होती या उन्हें नोटिस तामिल नही होता या किसी अन्य आवश्यक कार्य में व्यस्थता के कारण वे विडियों काॅफे्रसिंग की सूनवायी में उपस्थित नही हो पाते एैसी स्थिति में अपीलों शिकायतों की पेशी बढ़ायी जाती है, जिससे माननीय सूचना आयोग में अपीलों शिकायतों की पेंडेंसी बढ़ जाती है। मोबाईल पर ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सूनवायी होने से लोक सूचना अधिकारी जहां कहीं भी होगें उन तक आसानी से पहुंच हो सकती है, जिससे प्रकरणों का आसानी से निराकरण होगा और माननीय आयोग में अपीलों शिकायतों का पेंडेंसी खत्म होगा।
ई. माननीय आयोग द्वारा विडियों काॅंफ्रेसिंग से सूनवायी में आवेदकों को भी एनआईसी कक्ष तक जाना पड़ता है। जिससे उनका समय उर्जा और धन का अनावश्यक खर्च होता है. मोबाईल पर ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सूनवायी होने से आवेदकों का भी अनावश्यक खर्च बचेगा।
एफ. एनआईसी से विडियों काॅंफ्रेसिंग होने से सूचना आयोग/राज्य सरकार का अत्याधिक खर्च होता है, परन्तु मोबाईल पर ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सूनवायी होने से खर्च/व्यय बेहद न्यून हो जायेगा. आज कल कुछ मोबाईल कंपनियों से मामुली खर्च पर असीमित काॅल निःशुल्क प्राप्त होता है. तकनिकी के इस दौर में इसका लाभ उठाया जा सकता है। आई.टी. एक्ट-2000 इस आशय की विधिक रूप से अनुमति प्रदान करता है।