कोरिया / प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वर्तमान हालात को ध्यान में रखते हुए आम जनता से बेहद मार्मिक अपील की है। उन्होंने कहा है कि घर से निकलने से लेकर घर पहुंचने के दौरान हर हाल में माॅस्क का उपयोग करें। उनका कहना है कि कुछ बातें आदत में नहीं होती, लेकिन हालात को देखते हुए आदत में शामिल करना बेहद आवश्यक हो जाता है। मुख्यमंत्री भूपेश ने अपने संदेश में कहा है कि फिलहाल प्रदेश और देश दोनों के हालात किसी भी इंसान के अनुकूल नहीं है। दुनियाभर में फैली महामारी, कब और किसके लिए काल बन जाएगी, कह पाना मुश्किल है। इस मुश्किल के हालात से हम हर पल लड़ रहे हैं, पर अपनी सुरक्षा का ख्याल रखना और दूसरों की जिंदगी को खतरे से बचाना, सभी का नैतिक कर्तव्य है, लिहाजा माॅस्क को अपने जीवन का हिस्सा बनाना जरूरी है। यही एकमात्र सफल विधि है, जिससे कोरोना को फैलने से रोका जा सकता है।
इन सभी बातो के विपरीत छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में कांग्रेसी नेताओं ने न ही सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई बल्कि मास्क को भी दरकिनार किया।
आपको बता दे की कोल श्रमिकों की बहाली की मांग को लेकर विधायक विनय जायसवाल एसईसीएल चिरमिरी कार्यालय में तालाबंदी करने पहुंचे। जाहिर सी बात है वो अकेले नहीं पहुंचे उनके साथ सैकड़ो लोग पहुंचे होंगे। इस दौरान विधायक समर्थक और पुलिसकर्मियों के बीच जमकर झूमाझटकी हुई। मुख्यालय के गेट पर तालाबन्दी को लेकर भारी हंगामा भी हुआ। एक बार और बता दे की मनेन्द्रगढ़ विधानसभा के विधायक विनय जायसवाल कोल श्रमिकों की बहाली की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। प्रदर्शन के दौरान विधायक ने जमीन पर धरने पर बैठकर कार्यकर्ताओं के साथ जमकर नारेबाजी की।
अब सवाल यह उठता है की आखिर देश के प्रधानमंत्री प्रदेश के मुख्यमंत्री लगातार करोङो खर्च कर हमें यह समझाने में लगे है की हम किसी तरह जागरूक हो जाए और शासन – प्रशासन के बनाए नियमो का पालन करते हुए अन्य लोगों को प्रेरित करें। पर जब भी इस तरह की तस्वीरें आम जनमानस को दिखाई पड़ती है तो वह विचलित हो जाता है उसे ये लगने लग जाता है की क्या ये सारे नियम सिर्फ उनके लिए ही है और किसी या बड़े लोगो के लिए नहीं है।
लोगों के अलग नियम और नेताओं के लिए अलग नियम :
कोरोना कोई भी व्यक्ति, अमीर – गरीब, जात-धर्म देखकर नहीं होता है, लेकिन सरकार द्वारा बनाए नियम आम लोगों के लिए अलग हैं जबकि नेताओं के लिए अलग हैं। पुलिस अधिकारी चौराहों पर खड़े होकर कोविड 19 नियमों की उल्लंघन करने वालों के साथ समझाइस और सख्ती से पेश आते दिखाए देते हैं, लेकिन जब बात नेताओं की हो तो उन्हीं नियमों की पालन करवाने में यही अधिकारी असहाय नजर आते हैं।