Friday, March 29, 2024
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कोरोना काल मे बच्चों में बढ़ रहा मानसिक अवसाद – श्रीपत

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कोरोनो वायरस महामारी ने लाखों लोगों की जान ले ली है। कोरोनावायरस से लड़ने के लिए इन समय दुनियाभर के कई देशों में लॉकडाउन चल रहा है। लोग अपने घरों में बंद हैं। चारों तरफ कोरोनावायरस को लेकर ही बातें हो रही हैं। ऐसे में बच्चों के मन में नकारात्मक विचारा आना स्वाभाविक है। धीरे-धीरे यह तनाव गहरा अवसाद का रूप ले लेता है और वे अलग-अलग तरह की एक्टिविटीज कर रहे होते हैं। इसे आमतौर पर पैरेंट्स समझ नहीं पाते हैं। रीजनल अस्पताल चिरमिरी के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शशिकांत ने कहा, अनदेखी अनचाही तनाव के चलते हार्मोन में बदलाव होता है। कुछ बच्चों में डेली रूटीन में बदलाव के चलते भी इसका असर देखा जा रहा है। लेकिन कुछ मामलों में, तनावपूर्ण घटनाओं को देखने और सुनने के कारण बच्चों में तनाव बढ़ रहा है। साथ ही दिनचर्या का अभाव, माता-पिता की नौकरी छूटना और आर्थिक तंगी भी शामिल है। परिवार के किसी सदस्य की गंभीर बीमारी या मृत्यु, जिसके बारे में बच्चों को आघात लगता है। कोविड -19 महामारी बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य और व्यवहार को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने के लिए इस तनाव के लिए एक ‘तूफान’ की तरह काम कर रहा है। एक्सपर्ट्स बता रहे हैं कि कोविड-19 के चलते बच्चों के तनाव को मानसिक आघात में तब्दील होने से किस तरह बचाव करें ? इसके लिए तनाव से डरने के बजाय तनावपूर्ण स्थितियों में नए अवसरों को तलाशने पर जोर दिया है। यह शोध स्टोरी एमसीसीआर के फैलोशिप के अंतर्गत की गयी है ।

बच्‍चों में डिप्रेशन के लक्षण एवं संकेत —————–

चिड़चिड़ापन या गुस्‍सा आना, लगातार दुखी या निराशा महसूस होना ।
लोगों से बात करना बंद कर देना ।
रिजेक्‍ट होने का डर रहना, भूख कम या ज्‍यादा लगना ।
ज्‍यादा या कम नींद आना ।
रोने का मन करना, ध्‍यान लगाने में दिक्‍कत होना ।
थकान और एनर्जी कम महसूस होना ।
पेट दर्द या सिरदर्द रहना ।
कुछ भी काम करने का मन न करना ।
मन में एक अपराधबोध महसूस होना ।
सुसाइड करने या मरने के विचार आना ।

बच्‍चों में डिप्रेशन क्‍यों होता है ———

पूर्व में इस बात का सगल था कि कई बच्‍चों को स्‍कूल में दूसरे बच्‍चों द्वारा बहुत ज्‍यादा तंग किए जाने पर डिप्रेशन हो सकता है। स्‍कूल में बच्‍चे को परेशान किए जाने पर उसके आत्‍म-सम्‍मान में कमी आती है और लगातार स्‍ट्रेस में रहने की वजह से वो डिप्रेशन की स्थिति में पहुंच जाता है। वहीं बार-बार पड़ रहे किसी दबाव के कारण भी बच्‍चा इस स्थिति में पहुंच सकता है। अब ये प्रेशर पढ़ाई का भी हो सकता है और किसी अन्‍य चीज का भी । किन्तु अब बच्चे घर पर ही रहने से डिप्रेशन की शिकार होते जा रहे है । कुछ बच्चों के लिए कोविड-19 द्वारा लाया गया यह एकांत तनाव के लिए उपहार की तरह है। इस समय जब स्कूल बंद हैं, बच्चें घरों में बंद हैं। ऐसे समय में उनके दिमाग में कई तरह की धारणाएं बनती हैं। पैरेंट्स को इस पर नजर रखना चाहिए। अपने बच्चे को आप में अधिक से अधिक विश्वास दिलाने का सबसे अच्छा तरीका एक अच्छा श्रोता बनकर होता है। उनके विचारों या आशंकाओं के बारे में मत समझो या आलोचना मत करो, लेकिन उन्हें बिना किसी दखल के सुनें। यह उन्हें एक भावना देगी कि उन्हें सुनाई जा रही है और वे न्याय किए बिना अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं।

बच्चों में तनाव कम करने की कोशिश कैसे करें ——–

हम सब को मिलकर इस बारे में सोचना चाहिए कि बच्चे आखिर ऐसा व्यवहार य बर्ताव कैसे कर रहे हैं, और हम उस तनाव की स्थिति में क्या कर सकते हैं। जानकार बताते है कि नींद, व्यायाम और पोषण भी बच्चों को तनाव को नियंत्रण में रखने में मदद कर सकते हैं। साथ ही सलाह देते है कि माता-पिता बच्चों को पहले महामारी के बारे में बात करने से तनाव के हानिकारक प्रभावों से बचने में मदद करें , अपने बच्चों को उनके दोस्तों से जोड़े रखें। यह वीडियो चैट, फोन कॉल और लेटर के माध्यम से किया जा सकता है। अंत में वह बच्चों के लिए एक दिनचर्या बनाने की सलाह देती है जिसमें जो बच्चों के लिए खेलने का समय, स्वच्छता, फूड, पढ़ाई, व्यायाम सबकुछ समयानुसार शामिल रहें।

पक्ष ——
डॉ शशिकांत ( शिशु रोग विशेषज्ञ ) क्षेत्रीय चिकित्सालय चिरमिरी – कोरोना काल के दौरान निश्चित रूप से स्कूली बच्चों में मानसिक उग्रता के केस में बढ़ोतरी दिखती है . स्कूल आवागमन , सहपाठियों से दूरी , खेलकूद का अभाव तथा केवल घर के अंदर सीमित होने से बच्चो में मानसिक और शारीरिक ग्रोथ में कमी हो चली है । परामर्श के रूप में हमे अभिभावकों को बच्चो से दोस्ताना व्यवहार तथा उनके साथ कुछ वक्त बिताने की सलाह दे रहे है ताकि बच्चो के अंदर पनप रहे अवसाद में कमी आ सके।

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