रायपुर / वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि बस्तर में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध कृषि और वनोपजों के प्रसंस्करण और मूल्य संवर्द्धन के लिए यहां अधिक से अधिक लघु एवं कुटीर उद्योगों की स्थापना पर जोर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन उद्योगों की स्थापना में रुचि रखने वाले उद्यमियों को पूरी सहायता की जाएगी। श्री कवासी लखमा आज जगदलपुर के कुम्हरावंड स्थित कृषि महाविद्यालय के सभागार में वाणिज्य एवं उद्योग विभाग द्वारा बस्तर चेम्बर ऑफ कामर्स के सहयोग से आयोजित ‘’बस्तर संभाग स्तरीय औद्योगिक विकास संगोष्ठी‘’ को संबोधित कर रहे थे।

श्री लखमा ने कहा कि वर्तमान में 2014 की औद्योगिक नीति चल रही है। इस वर्ष के अंत तक नई औद्योगिक नीति लाई जाएगी। उन्हांेने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में गठित छत्तीसगढ़ की वर्तमान सरकार ने नई औद्योगिक नीति लाने के पूर्व उद्यमियों से चर्चा करने और उनकी सहूलियत के अनुसार औद्योगिक नीति बनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि बस्तर में उपलब्ध कृषि और वनोपज आधारित संसाधनों के प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन पर सरकार जोर दे रही है, जिससे यहां के अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार प्राप्त हो सके। इसके साथ ही यहां नगरनार में स्थापित एनएमडीसी के लौह एवं इस्पात संयंत्र के लिए आवश्यक सहायक उद्योगों की स्थापना में भी स्थानीय उद्यमियों को आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने इन उद्योगों की स्थापना में इच्छुक स्थानीय उद्यमियों को सरकार द्वारा भरपूर सहयोग देने की बात भी कही। श्री लखमा ने कहा कि नई औद्योगिक नीति के निर्माण के लिए उद्यमियों से सुझाव के लिए उद्योग विभाग की वेबसाईट में भी लिंक उपलब्ध है, जिसमें सुझाव दिए जा सकते हैं।
श्री लखमा ने कहा कि धुरागांव और सुकमा में खाद्य प्रसंस्करण केन्द्रों की स्थापना का कार्य पूरा कर लिया गया है। इसके साथ ही कोंडागांव में भी लगभग 105 करोड़ रुपए की लागत से मक्का प्रसंस्करण केन्द्र की स्थापना की जा रही है और इसका कार्य बहुत ही तेजी से चल रहा है। उन्होंने कहा कि बस्तर अंचल में उपलब्ध कृषि और वनोपज आधारित संसाधनों को देखते हुए यहां अनेक स्थानों पर लघु एवं कुटीर उद्योगों के माध्यम से स्थानीय युवाओं को रोजगार उपलब्ध करने के लिए सरकार इस दिशा में तेजी से कार्य कर रही है। मंत्री ने उद्योग स्थापना में रुचि रखने वाले युवाओं के प्रशिक्षण के लिए जगदलपुर और दुर्ग में पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी की स्मृति में आवासीय प्रशिक्षण केन्द्र के स्थापना की घोषणा की और कहा कि इन केन्द्रों में प्रशिक्षण का सम्पूर्ण व्यय शासन द्वारा वहन किया जाएगा। उन्होंने सुकमा कृषि महाविद्यालय का शिलान्यास भी इस कार्यक्रम में किया।
इस अवसर पर वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार पिंगुआ ने कहा कि बस्तर में औद्योगिक विकास की प्रबल संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि शासन ऐसे उद्योगों को प्रोत्साहित कर रही है, जो पर्यावरण को प्रभावित नहीं करते और युवाओं को भी अधिक रोजगार उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने कहा कि बस्तर की बहुतायत जनता कृषि और वनोपज संग्रहण् के कार्य से जुड़ी है और यहां संसाधनों की भी कोई कमी नहीं है। यहां उपलब्ध कृषि और वन उत्पादों के उचित मूल्य के लिए इनका यहीं पर प्रसंस्करण किया जाना चाहिए, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि नई औद्योगिक नीति बनाई जा रही है तथा ऐसे कार्यों में अमूमन विशेषज्ञों से राय ली जाती है, किन्तु शासन द्वारा स्थानीय उद्यमियों से चर्चा करने का निर्णय लिया, जिससे उनकी समस्याएं और सुझाव सामने आ सकें। उन्होंने कहा कि इस कार्य की पहल बस्तर संभाग से हुई है। उन्होंने कहा कि यह संगोष्ठी परिचर्चा पर आधारित होने के कारण अधिक प्रभावी साबित होगी।
कार्यक्रम में बस्तर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विक्रम मंडावी, जगदलपुर विधायक रेखचंद जैन, चित्रकोट विधायक दीपक बैज, नारायणपुर विधायक चंदन कश्यप, कोंडागांव विधायक मोहन मरकाम, अंतागढ़ विधायक अनूप नाग ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर चेम्बर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारी, संबंधित विभागों, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे।