नवरात्रि की 9 देवियां हमारी परंपरा एवं आध्यात्मिक संस्कृति के साथ जुड़ी हुई हैं। आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्रि के 9 दिनों में क्रमश: अलग-अलग पूजा की जाती है। आदिशक्ति मां नवदुर्गा की आराधना सर्वप्रथम श्रीरामचंद्रजी ने इस शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद 10वें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की। तब से असत्य, अधर्म पर सत्य, धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाने लगा।
1. देवी को लाल रंग के वस्त्र, रोली, लाल चंदन, सिंदूर, लाल साड़ी, लाल चुनरी, आभूषण तथा खाने-पीने के सभी पदार्थ जो लाल रंग के होते हैं, वही अर्पित किए जाते हैं।
2. माता का आशीर्वाद पाने के लिए नवरात्रि के दौरान रोज ही इस श्लोक की स्तुति करना शुभ होता है-
या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
3. इस मंत्र के साथ नवरात्रि के पहले दिन अपराह्न में घटस्थापना यानी पूजा स्थल में तांबे या मिट्टी का कलश स्थापन किया जाता है, जो लगातार 9 दिनों तक एक ही स्थान पर रखा जाता है।
4. घटस्थापना के लिए दुर्गा जी की स्वर्ण अथवा चांदी की मूर्ति या ताम्र मूर्ति उत्तम है। अगर ये भी उपलब्ध न हो सके तो मिट्टी की मूर्ति अवश्य होनी चाहिए जिसको रंग आदि से चित्रित किया गया हो।
5. घटस्थापन हेतु गंगाजल, नारियल, लाल कपड़ा, मौली, रोली, चंदन, पान, सुपारी, धूपबत्ती, घी का दीपक, ताजे फल, फल माला, बेलपत्रों की माला, एक थाली में साफ चावल रखें।
6. घटस्थापन के स्थान पर केले का खंभा, घर के दरवाजे पर बंदनवार के लिए आम के पत्ते, तांबे या मिट्टी का एक घड़ा, चंदन की लकड़ी, हल्दी की गांठ, 5 प्रकार के रत्न रखें। दिव्य आभूषण देवी को स्नान के उपरांत पहनाने के लिए चाहिए।
8. घटस्थापन के दिन ही जौ, तिल और नवान्न बीजों को बीजनी यानी एक मिट्टी की परात में हरेला भी बोया जाता है, जो कि मां पार्वती यानी शैलपुत्री को अन्नपूर्णास्वरूप पूजने के विधान से जुड़ा है। अष्टमी अथवा नवमी को इसको काटा जाता है। केसर के लेप के बाद सबके सिर पर रखा जाता है।
9. नवदुर्गाओं को लाल वस्त्र, आभूषण और नैवेद्य प्रिय हैं अत: उनको पहनाने के लिए रोज नए रंगीन रेशम आदि के वस्त्र आभूषण, गले का हार, हाथ की चूड़ियां, कंगन, मांग टीका, नथ और कर्णफूल आदि अवश्य रखें।
यह सभी सामग्री 9 दिन नवदुर्गाओं को पूजा के दौरान समर्पित की जानी चाहिए, तभी दुर्गा पूजा का संपूर्ण फल आपको मिलेगा।
घटस्थापना शुभ मुहुर्त में की जाए, तो हर मनोरथ पूर्ण होते हैं। आइए जानें नवरात्रि के मंगल मुहूर्त…
चौघड़िया-अनुसार :-
लाभ-चौघड़िया- 06.23 से 07.51 तक।
अमृत-चौघड़िया- 07.51 से 09.18 तक।
शुभ-चौघड़िया- 10.46 से 12.14 तक।
लाभ-चौघड़िया- शाम 04.37 से 06.05 तक।
शुभ-चौघड़िया- रात्रि 07.37 से 09.09 तक।
अमृत-चौघड़िया- रात्रि 09.09 से 22.42 तक।
लग्न-अनुसार :-
कन्या लग्न- ब्रह्म-मुहुर्त में 04.56 से 07.03 तक।
धनु लग्न- सुबह 11.33 से दोपहर 01.38 तक।
कुंभ लग्न- दोपहर 03.26 से शाम 05.00 तक।
मेष लग्न- शाम 06.31 से रात्रि 08.13 तक।
वृषभ लग्न- रात्रि 08.13 से रात्रि 10.12 तक।
विशेष :
अभिजित मुहूर्त सुबह 11.57 से 12.37 तक।