राजनांदगांव / छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ‘‘बिहान’’ अंतर्गत जिला राजनांदगांव के विकास खण्ड राजनांदगांव में SVEP योजना क्रियान्वित की जा रही है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण स्व-सहायता समूहों में संलग्न महिलाओं एवं उनके परिवार के सदस्यों को व्यवसायिक गतिविधियों से जोड़कर उनका आजीविका संवर्धन किया जाना है। योजना के तहत् उद्यम विकास एवं संचालित व्यवसायिक गतिविधियों के सतत् निरीक्षण मार्गदर्शन हेतु सी.आर.पी.- ई.पी. (सक्रिय महिला) का चयन किया गया है। इन चयनित सी.आर.पी.-ई.पी. महिलाओं का समूह (लक्ष्य कन्सल्टेंसी सीआरपी-ईपी ग्रुप) वर्तमान में आजीविका एवं उद्यम विकास के क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रहीं हैं। वर्ष 2018 से कुल 24 सी.आर.पी.-ई.पी. SVEP परियोजना से जुड़े हैं, जिनका चयन लिखित परीक्षा, निर्धारित योग्यता एवं साक्षात्कार के माध्यम से समस्त मापदण्डों के तहत् किया गया था। चयन पश्चात् इनका 8 बैचों में क्षमता विकास हेतु प्रशिक्षण विभिन्न राज्यों के विशेषज्ञों के माध्यम से कराया गया। इससे इनकी आत्मविश्वास एवं क्षमता में विकास हुआ। ये महिलाएं ‘‘बिहान’’ योजना अंतर्गत स्व-सहायता समूहों एवं ग्राम संगठनों में पुस्तक संचालक के रूप में कार्य करती थी। शुरूआत में ये महिलाएं स्मार्टफोन चलाना भी नहीं जानती थी, लेकिन SVEP योजना से जुड़ने के बाद मोबाईल एप के माध्यम से आॅनलाईन डाटा एंट्री का कार्य करती हैं।
वर्तमान में प्रत्येक सी.आर.पी.-ई.पी. के पास 35 से 40 उद्यमी हैं तथा पिछले 2 वर्षाें में विकास खण्ड राजनांदगांव में इन्होने कुल 816 उद्यम शुरू कर लिए हैं। इनके द्वारा उच्च गुणवत्ता के उद्यमी का चयन किया गया है, जो अपनी व्यवसायिक गतिविधियों एवं हिसाब-किताब का कार्य निरंतर कर रहे हैं। उद्यमी को सी.ई.एफ. ऋण एवं उनके क्षमता विकास हेतु आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इनके द्वारा उद्यत प्रारंभ हेतु लिए गए ऋण एवं ब्याज की वापसी निरंतर की जा रही है, जो कि इन सी.आर.पी.-ई.पी. के निरंतर निरीक्षण एवं मूल्यांकन के सहयोग से ही हो पा रही है। ऋण वापसी का प्रतिशत राज्य स्तर पर प्रथम पायदान पर है, इस प्रकार इनके सफलतम कार्य से जिला राजनांदगांव गौरवान्वित है। लक्ष्य कन्सल्टेंसी (सीआरपी-ईपी ग्रुप) के सभी सदस्य ग्रामीणों को SVEP परियोजना के माध्यम से उद्यम शुरू करने एवं उनके विकास हेतु सलाह देने का कार्य कर रही हैं। लक्ष्य कन्सल्टेंसी (सीआरपी-ईपी ग्रुप) का स्वयं का बैंक खाता खोला गया है, जिसमें सामूहिक रूप से सभी सी.आर.पी.-ई.पी. का मानदेय भुगतान किया जाता है। वर्तमान में इन्हें प्रतिमाह 10000 रू. से 15000 रू. तक मासिक मानदेय भी प्राप्त हो रहा है, जिससे इनके परिवार की आर्थिक जरूरतें बेहतर ढंग से पूर्ण हो पा रही हैं। ये महिलाएं अपने मानदेय का एक बड़ा हिस्सा अपने बच्चों की शिक्षा में खर्च कर रही हैं एवं बच्चों की उच्च शिक्षा का स्वप्न देखती हैं, जिससे कि वे उनका उज्जवल भविष्य बना सके। सभी महिलाओं का आवागमन में सुविधा हेतु स्कूटी गाड़ी खरीदने का भी लक्ष्य है, ताकि उन्हें कार्य क्षेत्र के भ्रमण में आसानी हो सके।