Friday, March 29, 2024
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किराना दुकानों को खोलना अनिवार्य है, भूखे प्यासे कैसे रहेगी छत्तीसगढ़ की जनता? – प्रकाशपुन्ज पाण्डेय

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रायपुर / कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन को 28 जुलाई से आगे बढ़ाकर 6 अगस्त तक कर दिया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस दौरान 1 अगस्त को होने वाली बकरीद और 3 अगस्त को होने वाले रक्षाबंधन के त्योहारों पर भी कोई छूट नहीं दी गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में सोमवार को उनके निवास कार्यालय में हुई बैठक पर इसको लेकर निर्णय लिया गया है।

इस विषय पर राजनीतिक विश्लेषक और समाजसेवी प्रकाशपुंज पांडेय ने मीडिया के माध्यम से कहा कि कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण लॉकडाउन तो किया जा रहा है लेकिन लॉकडाउन कोविड-19 का कोई स्थाई इलाज़ नहीं है। साथ ही किराना की दुकानों को पिछले 7 दिनों से बंद रखा गया है। क्या बिना राशन पानी के कोई व्यक्ति जीवित रह सकता है? क्या कोई रोज कमाने खाने वाला व्यक्ति 15 दिन का राशन पानी का भंडारण कर सकता है? तो अगर किराने की दुकान ही बंद रहेगी तो लोगों को खाद्य सामग्री कहां से प्राप्त होंगी? यहा तो सरकार घर घर लोगों को राशन बटवाए या तो कम से कम 6:00 से 10:00 बजे तक किराना दुकान को भी खोलने का समय दिया जाए ताकि लोग अपनी जरूरत का खाद्य सामग्री खरीद सकें।

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने कहा कि हमें एक जागरूक व्यक्ति के नाते और जिम्मेदार सरकार के नाते उन गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के बारे में भी सोचना होगा जिनके पास अनाज खरीदने को पैसे नहीं हैं, क्योंकि इस समय न हीं सरकार द्वारा और ना ही सामाजिक संस्थाओं द्वारा खाने पीने की सामग्रियों का मुफ्त में वितरण किया जा रहा है। शहर में घूमने वाले पशु भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। उनके बारे में सोचना भी हमारा ही दायित्व है। मैं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से निवेदन करता हूं कि वह समाज के पिछड़े, गरीब, मजदूर और मध्यम वर्ग के लोगों के बैंक खातों में कम से कम एक ₹1000 की राशि डलवाए ताकि उन्हें इस विपदा में कुछ राहत मिल पाए। क्योंकि पिछले 7 दिन से व्यापार भी और रोजगार भी बंद है, जो कि पहले ही केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण त्रस्त था और मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन लगने के बाद पूरी तरह से लचर हो चुका है, जिसके कारण लोगों की आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो चुकी है।

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