रायपुर / अगर उनके पास लाठी डंडे गोली है तो हमारे पास बाबा साहेब अंबेडकर का संविधान है, मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने आज सीएए व एनआरसी के खिलाफ आयोजित रैली में ये हुंकार भरी ।
सीएए और एन आर सी के खिलाफ संविधान बचाओ देश बचाओ रैली हम भारत के लोग द्वारा आयोजित की गई । इस आमसभा के आयोजन में नगर के सभी जनसंगठनो की उपस्तिथि उल्लेखनीय रही ।
इस आमसभा में मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी और सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती सदफ ज़फर विशेष रूप से मुख्य वक्ता के तौर पर आमंत्रित किए गए थे ।
उल्लेखनीय है कि शायर इमरान प्रतापगढ़ी लगातार सीएए और एनआरसी के खिलाफ जारी आंदोलनों में देशभर में घूम घूम कर जनसभा में व रैलियों में सक्रिय भागीदारी कर रहे हैं । सामाजिक कार्यकर्ता सदफ ज़फर को विगत दिनो उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा सीएए व एनआरसी के खिलाफ लखनउ में हुए आंदोलन के दौरान गिरफ्तार कर 19 दिनो तक हिरासत में रखा गया जिसे लेकर पूरे देश में विरोध हुआ था । गांधी चौक में आयोजित आमसभा में सर्व आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ आदिवासी नेता व पूर्व सांसद अरविंद नेताम तथा बौद्ध महासभा का प्रतिनिधित्व एड्वोकेट संजय गजभिए ने किया। आमसभा का संचालन पूजा शर्मा व अब्दुल हामिद ने किया।
सीएए और एन आर सी के खिलाफ रैली को संबोधित करते हुए मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने केन्द्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए जोरदार हमला बोला । उन्होने इस काले कानून को तत्काल रद्द करने की मांग करते हुए इसे संविधान की मूल भावनाओं के खिलाफ बताया ।
अपने विशेष अंदाज़ में आमसभा को संबोधित करते हुए मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने सीधे हमला करते हुए इस कानून के पीछे छुपे मंसूबों के प्रति अपनी चिंता जाहिर की । इस कानून के खिलाफ देश भर में रैलियों व आमसभाओं में शिरकत करने वाले इमरान प्रतापगढ़ी ने साफ शब्दों में इस कानून को रद्द करने तक दृढ़ता से संघर्ष व आंदोलन जारी रखने की बात की ।हम किसी को अपनी नागरिकता का सबूत नही दिखायेंगे। हमारा हिन्दुस्तान से हमारा मा बेटे का नाता है। हम मर जायेंगे मिट जाएंगे मगर कागज़ नही दिखाएंगे। अगर उनके पास लाठी डंडे गोली है तो हमारे पास बाबा साहेब अंबेडकर का संविधान है। इसी की रक्षा के लिए देश की महिलाएं सड़क की लड़ाई लड़ रही है। आज हुकूमत इन महिलाओं की आवाज़ से थरथरा रही है, इनसे निपटने के लिए छटपटा रहे हैं। ये महिलाएं रानी लक्ष्मी बाई बेगम हजरत महल की परंपरा और शौर्य की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। आज पूरा देश इनके साथ है।उन्होंने कहा कल एक और गोडसे ने गोली चलाई। उन्हीने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मैं गोडसे के नही गांधी के साथ हूँ। उन्होंने हाल ही में अदनान सामी को पद्मश्री दिए जाने को लेकर भी अपनी बात रखते हुए कहा कि अदनान कोई प्रताड़ित या मजलूम नही है जिसे न सिर्फ नागरिकता बल्कि पद्मश्री से भी किस आधार पर नवाज़ा गया।
उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि मुख्य मंत्री भुपेश बघेल जी ने भी खुला विरोध किया है
दूसरी मुख्य वक्ता व सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती सदफ ज़फर ने आमसभा में पुरज़ोर आवाज़ में इस काले कानून के खिलाफ अपनी बात की । उन्होंने कहा कि ये सिर्फ़ मुसलमानों का आंदोलन नही है इस आंदोलन में सभी सम्प्रदाय व धर्म के संवेदनशील नागरिक शामिल हैं। उन्हीने कहा जो सरकार हमारे ही वोट से सत्ता हासिल की है वो आज उन्ही नागरिकों की नागरिकता पर सवाल उठा रही है। श्रीमती ज़फर ने सरकार को चुनौती दी कि वो नागरिकता कानून लाने वाली सरकार खुद सिद्ध कर की वो कुर्सी में बैठने लायक है कि नही।
इस विरोध सभा की शुरुवात जनगीत तथा कला जत्था रैली से हुई । इसके साथ ही आमसभा में कुतुबी ग्रुप ने भी अपना जोरदार परफॉर्मेंस देकर उपस्थित जनसमूह का दिल जीत लिया । अपनी जोरदार प्रस्तुति से कलाकारों ने आमसभा को जीवंत बना दिया । सर्व आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद अरविंद नेताम के किया। अरविंद नेताम ने आदिवासियों पर केंद्रित कर अपनी बात की। नेतामजी ने सीएए के द्वारा विदेशी नागरिकों को भारत की नागरिकता दिए जाने के बाद इन लोगों की आदिवासी इलाकों में बसाए जाने की साजिश करार देते हुए इस पर अपनी आपत्ति ज़ाहिर की।नेतामजी ने कहा कि संविधान बनाने में सबका योगदान है सिवाय नागपुर वालों के देश के संविधान पर प्रश्नचिन्ह लगाने वाले ये नही जानते कि संविधान बनाने में कोई एक पार्टी का नही बल्कि सभी पार्टियों व संस्थानों की भागीदारी रही।
बौद्ध महासभा के संजय गजभिए ने भी दलित व पिछड़े समाज की परेशानियों को लेकर अपनी बात रखी । उन्होंने इस बात पर जोर दिया देश के मूल निवासियों की नागरिकता पर संदेह व्यक्त करना मूलनिवासियों का अपमान है । उन्होंने कहा कि अशिक्षित व तड़ीपार आज देश के कर्णधार बन बैठे हैं।
आमसभा में बड़ी तादाद में विभिन्न समुदाय व वर्गों ने भागीदारी की । आमसभा का समापन फ़ैज़ की मशहूर नज़्म हम देखेंगे से हुई। आखिर में राष्ट्रगान भी गाया गया।
इस कार्यक्रम के आयोजन में नौमान अकरम, उमाप्रकाश ओझा, विक्रम सिंघल, सादिक अली, सैय्यद अकील, मो ताहिर, जावेद नाना, अशरफ हुसैन गुलजेब अहमद, जीशान सिद्दीक़, अक़ील खान, जीवेश चौबे, न्याज, वसीम बाबू, सागर पाण्डेय, गुरविंदर सिंह, अजहर जोया मुख्य भूमिका रही।