रिपोर्ट – विजय शर्मा
कोण्डागांव / किसी को बेहतर ढंग से जानना और समझना हो और उनके दिलों तक जाने का रास्ता बनना हो तो सबसे पहले हमे उनकी भाषा और बोली समझनी होगी ये कार्य इतना आसान नही हैं, मगर अब तीन सालों से यहां पर नक्सली खात्में के लिये आये आई.टी.बी.पी के जवान कोण्डागांव जिले के अंतिम छोर हड़ेली के जंगलों में रह कर आदिवासी छात्र – छात्राओं के स्कूल में जाकर अंग्रेजी, गणित, विज्ञान की कक्षाएं लगा रहे हैं और बदले में सिख उनसे उनकी भाषा गोंडी और हल्बी भाषा सिख रहे हैं।इसकेे अच्छे परिणाम भी मिलने लगे हैं।
ग्रामिणों के साथ अब उनकी भाषा बोली में संवाद कर उनके दिलों तक जाने का रास्ता आसान हुआ हैं। इन जवानों ने अब उन क्षेत्रों में उन्ही की बोली का प्रयोग प्रारम्भ कर दिया है। पहले ग्रामीण गस्त में जवानों को देख घरों में डुबक जाया करते थे पर अब उन्ही जवानों से खुलकर अपनी समस्याएं और जरूरतों को बताने लगे हैं।
खेलों में निकल रहे युवा :- जवानों ने नक्सली क्षेत्र के आधा दर्जन गांव में से लगभग दो दर्जन से ज्यादा युवक – युवतीयों को अपने भागीरथी प्रयास से तिरदांजी, जुडो और हॉकी में युवतीयों की टीम तैयार कर दी हैं। जिससे संभाग ही नही अब राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी युवतियों ने पहचान बना लिया है। इलाके के ग्रामीण भी अब चाहते हैं की उनके विकास के लिये जवानों का कैम्प अस्थाई ना हो कर स्थायी रूप से रहने लगे।
राघेश्याम कमान्डेंट आई.टी.बी.पी :- साल भर पहले ही यह कैम्प स्थापित किया गया था, बोली भाषा नही समझने के कारण काफी परेशानी आती रही। पर अब पिछले 6 माह से हम स्कूलों में उन बच्चों को विज्ञान, गणित, अंग्रेजी सिखा रहे हैं और उनसे गोंडी हल्बी खिख रहे हैं। उनसे हमारे रिश्ते और मजबूत हुये हैं। अब अपनी हर बात खुलकर सामने रखते हैं, खौफ भी कम हुआ हैं।
नीलकंठ टेकाम जिला कलेक्टर :- आई टी बी पी के जवानों की बहुत अच्छी पहल है कि वो वहाँ रह कर ग्रामीणों से मिल कर गोंडी हल्बी सिख कर उन स्कूलों में अंग्रेजी गणित विज्ञान सीखा रहे है। गोली बंदूक से ही नही ग्रामीणों के दिलो में जगह बना कर भी शांति लाई जा सकती है। उनकी इस पहल का हम स्वगात करते है उन्हें और अच्छे से अगर गोंडी हल्बी सीखनी है तो हम वहाँ इन भाषा बोली के जानकार भी उन्हें उपलब्ध करवाएंगे।