रायपुर / जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) अध्यक्ष श्री अमित जोगी ने छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे को पत्र लिख कर कहा हैं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग करके ₹ 6208 करोड़ के फ़सल बीमा घोटाले में तात्कालीन कृषि मंत्री और अपने परम मित्र बृजमोहन अग्रवाल को बचा रहे हैं।
अमित ने आगे लिखा है कि 2014-18 के बीच मौसम आधारित फ़सल बीमा योजना (#WBCIS: Weather-based crop insurance scheme) के अंतर्गत 7 बीमा कम्पनियों द्वारा छत्तीसगढ़ के 14 लाख कृषकों और राज्य और केंद्र सरकारों से ₹ 6208 करोड़ लूटने वाले अब तक के सबसे बड़ा फ़सल बीमा घोटाले का ख़ुलासा किया।
अमित ने सीधे आरोप लगाया कि इस फ़सल बीमा घोटाले के साथ राजिम कुंभ में भारी भ्रष्टाचार, पर्यटन विभाग द्वारा घटिया स्तर के मोटल निर्माण, जलकी (महासमुंद) में वन भूमि का अवैध अधिग्रहण, सिंचाई और कृषि विभाग में ‘रिंग’ के माध्यम से हजारों करोड़ रूपयों की निविदाओं (टेंडर) में घपले जैसे अनेक प्रकरणों के सरगना तात्कालीन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल थे किंतु सरकार उनके मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ जगज़ाहिर अंतरंग सम्बन्धों के कारण इन सभी मामलों पर परदा डाल रही है।
अमित ने कृषि मंत्री रविंद्र चौबे को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक दबाव में न आकर पूरे मामले की विभागीय और आपराधिक जाँच कराने और अकाल-प्रभावित कृषकों को बीमा कम्पनियों से ₹ 15000 प्रति हेक्टेर प्रति वर्ष की दर से मुआवज़ा दिलवाने की माँग करी है।
अमित ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री की बृजमोहन अग्रवाल के प्रति विशेष मेहरबानी का ज्वलंत उदाहरण हाल ही में पूरे प्रदेश की जनता को तब देखने को मिला जब वर्तमान सरकार के मंत्री एवं सतनामी समाज के गुरू श्री रूद्र कुमार की जगह मुख्यमंत्री जी ने अपने मित्र बृजमोहन अग्रवाल के नाम शासकीय निवास आबंटित कर दिया है।
आपको बता दे कि लिखें गए पत्र अनुसार ……
प्रति
श्री रविन्द्र चौबे जी
माननीय कृषि मंत्री
छत्तीसगढ़ शासन।
विषय: वर्ष 2014 से 2018 के दौरान मौसम आधारित फसल बीमा योजना (WBCIS) के अंतर्गत प्रदेश के 14 लाख कृषको से 3104 करोड़ रूपये की 7 बीमा कंपनियों द्वारा अवैधानिक वसूली की उच्च स्तरीय विभागीय जांच हेतु।
महोदय,
1. उपरोक्त विषय के संदर्भ में पूर्व में मेरे द्वारा तत्कालीन कृषि मंत्री, पुलिस महानिदेशक और महालेखाकार को दस्तावेजी प्रमाणों के साथ शिकायत की जा चुकी है। इन शिकायतों की प्रतिलिपियां इस पत्र के साथ संलग्न कर रहा हूं।
2. वर्ष 2014 से 2018 के बीच में मौसम आधारित फसल बीमा योजना के अंतर्गत प्रदेश के 14 लाख किसानों से 7 निजी बीमा कंपनियों के द्वारा उनसे बिना सहमति लिए 450 रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से उनके किसान क्रेडिट कार्ड से प्रीमियम राशि, कृषि एवं सहकारिता विभाग के आदेशानुसार स्थानातरित करी गई थी। इतनी ही राशि का 25 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार द्वारा तथा शेष 25 प्रतिशत हिस्सा केन्द्र सरकार द्वारा बीमा कंपनियों को स्थानांतरित किया गया। इस प्रकार 4 वर्षों में इस योजना के अंतर्गत बीमा कंपनियों को रू. 6208 करोड़ प्राप्त हुए।
3. उपरोक्त योजना की शर्तो के अनुसार बीमा कंपनियों को हर 10 कि.मी. की दूरी में मौसम मापक केन्द्र स्थापित करने थे तथा प्रतिदिन मौसम का ब्यौरा कृषि विभाग के जिला उप-निदेशकों को उपलब्ध कराना था। इसके आधार पर कृषकों को मौसम के कारण फसल नुकसानी का समुचित मुआवजा राशि उपलब्ध करानी थी। 4 वर्षो में किसी भी बीमा कंपनी के द्वारा इन शर्तो का पालन नही करा गया। इसके बावजूद कृषकों से, राज्य और केन्द्र सरकारों से प्रीमियम की संपूर्ण राशि की वसूली करी गयी।
4. वर्ष 2014-15, 2015-16, 2016-17 में संपूर्ण छत्तीसगढ़ में अल्प वर्षा अथवा असमायिक वर्षा के कारण अकाल की स्थिति निर्मित हुई तथा इस अवधि में कृषि क्षेत्र की जीडीपी दर में 27 प्रतिशत कमी आयी। राज्य के आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार धान, गन्ना एवं दलहन-तिलहन के उत्पादन में भी भारी गिरावट देखी गयी। इसके परिणामस्वरूप प्रदेश के लगभग 2400 किसान आत्महत्या करने पर विवश हो गए।
5. अत्यंत दुखः की बात है कि इतनी भयावह स्थिति के बावजूद उपरोक्त 7 बीमा कंपनियों द्वारा किसानों के साथ मुआवजा के नाम पर मजाक किया गया। जहां प्रीमियम के नाम पर कृषकों से 450 रूपये प्रति एकड़ की जबरिया वसूली करी गई, वहीं अकालग्रस्त क्षेत्रों में उन्हें औसतन 15 से 20 रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से नाममात्र का मुआवजा देकर बीमा कंपनियों द्वारा खानापूर्ति की गयी।
6. लगातार शिकायत करने के बावजूद तत्कालीन सरकार के कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल के द्वारा उपरोक्त बीमा कंपनियो के विरूद्ध कोई भी कार्यवाही नही करी गयी। न ही इतने बडे़ भ्रष्टाचार की विभागीय स्तर पर जांच कराई गयी। मेरा यह स्पष्ट मानना है कि ऐसा उन्होने बीमा कंपनियों के साथ अवैध एवं अनैतिक सांठगांठ के कारण किया।
7. नई सरकार बनने के बाद पिछले सरकार द्वारा करे गये विभिन्न घोटालों की जांच हेतु सरकार द्वारा ताबड़तोड़ विशेष जांच दलों का गठन किया गया है किन्तु माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के तत्कालीन कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल के साथ घनिष्ठ एवं अंतरंग संबंधों के कारण उनके ऊपर लगाये गये किसी भी आरोप की जांच तक नही कराई जा रही है। राजिम कुंभ, पर्यटन विभाग द्वारा घटिया स्तर के मोटल निर्माण, जलकी (महासमुंद) में उनके द्वारा अवैध जमीन अधिग्रहण, सिंचाई एवं कृषि विभाग में हजारों करोड़ रूपयों की निविदाओं (टेंडर) में घपले जैसे अनेक प्रकरण है, जिस पर माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा परदा डाला जा रहा है। माननीय मुख्यमंत्री जी की श्री बृजमोहन अग्रवाल के प्रति विशेष मेहरबानी का ज्वलंत उदाहरण हाल ही में पूरे प्रदेश की जनता को तब देखने को मिला जब वर्तमान सरकार के मंत्री एवं सतनामी समाज के गुरू श्री रूद्र कुमार की जगह मुख्यमंत्री जी ने अपने मित्र श्री बृजमोहन अग्रवाल के नाम शासकीय निवास आबंटित कर दिया।
8. उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुये आपसे विशेष अनुरोध है कि कृषि विभाग के राजनैतिक मुखिया होने के नाते आप मुख्यमंत्री के राजनैतिक दबाव में न आकर प्रदेश के 14 लाख किसानों के खून-पसीने की कमाई, जो उपरोक्त 7 बीमा कंपनियों ने श्री बृजमोहन अग्रवाल के संरक्षण में लूटी है, की विभागीय जांच का आदेश जरूर पारित करेगें तथा विगत 4 वर्षो के दौरान सभी अकाल प्रभावित किसानों को उपरोक्त योजना के अंतर्गत बीमा कंपनियों से कम से कम 15 हजार रूपये प्रति हेक्टेर सालाना के हिसाब से मुआवजा राशि देने के निर्देश जारी करने की कृपा करेगें।
9. साथ ही उपरोक्त बीमा कंपनियों के निदेशकों और कृषि विभाग के तात्कालीन मंत्री एवं सम्बन्धित अधिकारियों के विरूद्ध योजना के अंतर्गत शर्तो का पालन न करने, कृषकों से अवैध वसूली एवं धोखाधड़ी करने तथा अपराधिक विश्वासघात करने हेतु फौजदारी प्रकरण भी दर्ज करने के निर्देश देंगे ताकि वास्तव में छत्तीसगढ़ के अन्नदाताओं को ‘न्याय’ मिल सके।