रायपुर / जनता काँग्रेस छत्तीसगढ़ जे सुप्रीमो अजीत जोगी के नेतृत्व मे विधायक दल के नेता धर्मजीत सिंह, अध्यक्ष अमित जोगी, विधायक दल के उपनेता डॉ रेणु जोगी, सचेतक प्रमोद शर्मा, पूर्व विधायक एवं आदिवासी मोर्चा के अध्यक्ष आर. के. राय, प्रभारी महासचिव महेश देवागन, संचार विभाग के अध्यक्ष इक़बाल अहमद रिज़वी और प्रदेश अध्यक्ष के राजनीतिक सलाहकार समीर बबला ने छत्तीसगढ़ के महामहीम राज्यपाल महोदया से मुलाक़ात कर 9 बिन्दुओ पर ज्ञापन सौपा है।
प्रदेश में आदिवासियो के अस्तित्व से जुड़े 9 बिन्दुओ पर विस्तार से किया गया चर्चा। प्रतिनिधि मंडल ने महामहीम राज्यपाल महोदया से अपनी संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुये प्रदेश में आदिवासियो के अस्तित्व की रक्षा करने की मांग की हैं।
राज्य सरकार ने जनता के करोड़ों रुपए ख़र्च करके आगामी 9 अगस्त 2019 को रायपुर में ‘अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस’ का आयोजन करने का निर्णय लिया है। इसका प्रमुख उद्देश मुख्यमंत्री जी का आदिवासियों के साथ उनके पारम्परिक पोशाक में फ़ोटो खिँचवाना और TV और अख़बारों में छपवाकर अपने नम्बर बढ़ाना है। इस विषय में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) का यह मानना है कि यदि वास्तव में राज्य सरकार आदिवासियों की हितैषी है तो सरकार द्वारा 9 अगस्त 2019 के सरकारी आयोजन के पहले इन 9 सवालों के जवाब छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को दिया जाना अत्यावश्यक है।
1. जिन दो आदिवासियों युवकों की सरकारी हिरासत में पिछले महीने अम्बिकापुर और कबीरधाम जिले में हत्या कर दी गई, उनके परिवारों को अब तक न्याय क्यों नहीं मिला?
2. बस्तर के आदिवासियों के आराध्य नंदराज पर्वत में हज़ारों पेड़ों को काटकर उस पर विराजमान पिट्ठोर मेटा देवी के मंदिर को ध्वस्त करके लोहे की खदान चालू करने के फ़ैसले को अभी तक राज्य सरकार ने निरस्त क्यों नहीं करा?
3. आदिवासियों की धोखाधड़ी से हड़पी ज़मीन और वन अधिकार पट्टे, जिसमें स्वयं मुख्यमंत्री समेत उनके भाजपा के रायपुर दक्षिण के विधायक और पूर्व मंत्री पर गम्भीर आरोप लगें हैं, को लौटाने और दोषियों के ख़िलाफ़ अब तक राज्य सरकार ने कार्यवाही क्यों नहीं करी?
4. आदिवासी (अनुसूचित जनजाति) विभाग को शिक्षा विभाग में विलय करके जो पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने आदिवासियों के शिक्षा प्राप्त करने के संवैधानिक अधिकार का गला घोंटने का काम किया था- और जिसका कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुए पुरज़ोर विरोध भी करा था- उसे अब तक बदलने का राज्य सरकार ने आदेश क्यों नहीं पारित करा?
5. पोलावरम और इचंपल्ली बाँधों के निर्माण- जिसके कारण सुकमा और बीजापुर जिले के लाखों आदिवासी बेघर और बर्बाद हो जाएँगे- और UPA और NDA की केंद्र सरकार द्वारा आदिवासियों की ज़मीन पर बने 10,000 करोड़ रूपए की लागत के नगरनार इस्पात संयंत्र, जिस पर बस्तर के नौजवानों का प्रथम अधिकार है, की नीलामी करने के एकपक्षीय फ़ैसलों का राज्य सरकार ने अब तक विरोध क्यों नहीं करा?
6. आदिवासी बाहुल्य सरगुज़ा, रायगढ़ और कोरबा में पिछले 7 महीनों में पेसा क़ानून के अंतर्गत बिना ग्रामसभा की अनुमति प्राप्त किए कैसे निजी कम्पनियों को राज्य सरकार ने 24 कोयला और बॉक्सायट खदाने चालू करने की अनुमति दे दी?
7. आदिवासी बाहुल्य (अनुसूचित) क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ विभाग में जो 75% से अधिक पद रिक्त पड़े हैं- जिसका सीधा-सीधा ख़ामियाज़ा बढ़ती पलायन और मृत्यु दरों के रूप में यहाँ निवासरत 50,00,000 आदिवासियों को रोज़ भुगतना पड़ रहा है- को स्थायी रूप से भरने के लिए अब तक राज्य सरकार ने क्यों कार्यवाही नहीं करी है?
8. आदिवासियों के आर्थिक विकास की बात करने वाली राज्य सरकार ने आज तक एक भी वृहद वनोपज-आधारित उद्योग लगाने की योजना क्यों नहीं बनायी?
9. आदिवासियों को मुख्यधारा से जोड़ने वाली 6K रेल्वे लाइन- कुम्हारी-कांकेर-केशकाल-कोंडागाँव-केशलूर-कोंटा- और रायपुर-जगदलपुर-विशाकापटनम उड़ान सेवा शुरू करने का आज तक राज्य सरकार ने प्रस्ताव क्यों नहीं बनाया?