कोरिया / हमेशा सुर्खियों में बने रहने वाले चिरमिरी मे पदस्थ रहे एस.डी.एम के पद पर अमृतलाल धु्रव ने संविधानिक अधिकारों का हनन किया है। अपने पद का दुरूपयोग करते हुए न्यायालीन दस्तावेजों में छेडखानी करने की ताजा जानकारी प्राप्त हुई है जिसकी पुष्टि पत्र भी मौजूद है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार चिरमिरी मे पदस्थ रहे पूर्व एस.डी.एम अमृतलाल धु्रव ने अपने निजि स्वार्थ और हित को देखते हुए सांठ-गांठ कर अनावेदक पक्ष राजेष/कवलसाय और उनके सहयोगियों को लाभ पहुचाने की कोशिष की और कामयाब भी हो गए। निजि स्वार्थ में अंधे हो चुके एस.डी.एम ने मात्र अपने निजि लाभ व अनावेदकों को लाभ दिलाने संविधान विरूध निर्णय कर दिया।
ये है पूरा मामला है चिरमिरी एस.डी.एम न्यायालय में चल रहे केस वि0दा0प्र0क्र0/02/2016 धारा 145/146 हिरमन बाई प्रति कवलसाय पर अभी सुनवाई चल रही थी और जैसा कि होता आया है तारिक पे तारिक। पेशी की तयशुदा तारिक 26.10.16 को थी और केस से संबंधित (प्रक्ररण फाईल) दस्तावेजों को एस.डी.एम साहब पिछली पेशी तारिक के बाद से ही अपने साथ में लेकर घूमते रहे। दिनांक 26.10.16 को न्यायालीन कार्यवाही होनी थी और उस तिथि में एस.डी.एम साहब कार्यालय में उपस्थित नही हुए। जिन कारणों से आवेदिका हिरमन बाई को पेशी की तिथि बढाकर 15.11.16 की नियत तय कर दी गई। जो कि आर्डर सीट में उल्लेखित किया गया है। इसी बीच दिनांक 27.10.16 को एस.डी.एम साहब को चिरमिरी के पद से मुक्त कर बैकुण्ठपुर कर दिया गया और एस.डी.एम के रूप में अभिलाषा पैकरा को पदस्थ कर दिया गया। स्वाभाविक सी बात है कि अगली सुनवाई एस.डी.एम के पद पर नवीन पदस्थ मेडम अभिलाषा पैकरा द्वारा सुना जाना था। आनन फानन में चिरमिरी मे पदस्थ रहे एस.डी.एम अमृतलाल धु्रव नें संविधानिक दायरों कों लांघ कर अपने निजि लाभ को देखते हुए भूमि में लगे स्थगन आदेश को दिनांक 26.10.16 के तिथि में खारिज (रिक्त) कर दिया। गौर करने वाली बात तो यह है कि एस.डी.एम के इस फैसले में न ही पटवारी द्वारा कोई जांच प्रतिवेदन और न ही राजस्व निरीक्षक का ही जांच प्रतिवेदन ही सम्मलित किया गया। नियमों की इतनी अनदेखी की गई है कि यहां तक आवेदक पक्ष का तर्क भी नही सुना गया न ही कोई जवाब ही सुना गया है। अनावेदक पक्ष से व्यक्तिगत लाभ लेते हुए अनावेदकों के पक्ष में निर्णय कर बल प्रदान कर दिया गया है। जिससे कि वे दबंगई के साथ किसी की पैत्रिक भूमि में कब्जारत रहें। एस.डी.एम के एैसे कृत से लोगों का न्यायालय के प्रति अब विस्वास उठने लगा है। एैसे भ्रष्ट अधिकारियों को इतने संवेदनशील पद से मुक्त कर देना चाहिए। इस निर्णय से भ्रष्टाचार की दुर्गंध आ रही है । आवेदिका के द्वारा जिलादण्डाधिकरी से न्याय की गुहार लगाई जा रही है और मामले को न्यायालय में पेश भी करने की बात कही है।