00 विभिन्न विधाओं के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभाओं ने मंच से दिखाया सफलता का मार्ग
कोरिया / बिना किए कुछ इस जग में, जय जयकार नही होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, कविवर श्री हरिवंशराय बच्चन की प्रेरणादायी कविता पाठ से प्रांरभ हुआ जाग युवा जाग कार्यक्रम कोरिया के युवाओं के लिए एक नई सोच लेकर आया।
कोरिया जिले में गत 27 जनवरी से प्रांरभ हुआ जाग युवा जाग कार्यक्रम गत 30 जनवरी 2017 को रंगारंग सांस्कृतिक संध्या के साथ समाप्त हुआ। एक एैसा आयोजन जिसमें आई हुई प्रतिभाओं ने नई पीढ़ी की प्रेरणा के लिए जो प्रस्तुति दी वह कोरिया जिले के युवाओं को भविष्य चुनने के असीमित अवसर और संभावनाओं के द्वार खोलती है। इस आयेाजन का महत्व इसलिए भी विशेष रूप से याद किया जाएगा क्योंकि अत्यल्प समय में प्रबंधन और कुशल नेतृत्व से सारी व्यवस्थाओं को नियोजित कर आयोजन की सफलता सुनिश्चित की गई। जिस तरह एक बच्चा जन्म लेता है और कई परिस्थितियों के साथ जूझते हुए एक सफल नागरिक बनता है। उसी तरह यह एक शुभ जन्म का अवसर रहा जब कई परिशुद्ध हृदय युवा अपने विकास और इच्छाओं के अनुरूप अपने आगामी जीवनशैली की दशा और दिशा तय करने रामानुज मिनी स्टेडियम प्रांगण में एकत्र हुए। इस आयेाजन के विषय में बात करें तो सबसे पहले इसकी प्रेरणादायक शुरूआत पर चर्चा करना जरूरी है। कोरिया की पावन धरा पर एक साथ इतने विदेशी मेहमान पहली बार आए और यह आगमन इसलिए महत्वपूर्ण रहा क्योंकि यह मेहमान हमसे जितना लेने आए थे उससे कई हजार गुना उत्साह, ज्ञान और संस्कृति कोरिया को देने आए थे। इस अवसर पर आए विदेशी कलाकारों ने हमें चीन, दक्षिण कोरिया, ताईवान जैसे प्रभुत्व संपन्न देशों की सांस्कृतिक स्थिति और सोचने का नजरिया दिया जो कहीं और किसी भी कीमत में अर्जित नहीं किया जा सकता।
आयोजन के प्रथम दिवस के प्रमुख श्री यांग ने रेगिस्तान में भी जीवन की संभावनाओं के द्वार शीर्षक पर पिता और एक युवा पुत्र के जीवन का प्रसंग जीवंत प्रदर्शित कर सिखाया कि जीवन में अगर कुछ भी पाना है तो विकट परिस्थियों में भी मन की आंखों को सकारात्मक सोच के साथ खुला रखना होगा। श्री यांग ने अपने संवाद साझा करने वाले सहयोगी के साथ यह बताया कि जीवन तो मरूथल में भी है बस आशाएं पानीदार होनी चाहिए। प्रदेश में हो रहे इस प्रथम आयोजन के लिए शुरूआत के इस प्रथम सत्र में ही दक्षिण कोरिया के युवाओं ने अपने कला का प्रदर्शन किया। नृत्य की अगर बात करें तो युवाओं द्वारा प्रस्तुत यह नृत्य काफी शालीन और प्रेरणादायक रहा। इसके बाद यहां सबसे ज्यादा उल्लेखनीय रहा युवाओ केा जीवनशैली बदलने के लिए दिए जाने वाले मानसिक प्रोत्साहन का सत्र। इनमें केारिया के युवाओं ने वह सीखा जिसकी उन्हे सबसे ज्यादा जरूरत है। आप जब कभी कोरिया के सुदूर क्षेत्रों में जाकर देखेंगे तो पाएंगे कि प्रतिभा तो है पर प्रस्तुति देने के लिए सबसे आवश्यक आत्मविश्वास नही है। यहां आयोजित हुई कक्षाओं में प्रतिदिन देश विदेश के कई प्रेरणादायी वक्ताओं ने कोरिया के युवा मन को आत्मविश्वास का संबल दिया। यही संबल जिसके अभाव में कोरिया का नाम अब तक विश्व पटल पर नही आ पाया है।
दूसरे और तीसरे दिन कोरिया के युवाओं को विभिन्न विधाओ के बारीक हुनर सिखलाए गए। यह एक एैसा अवसर रहा जब हर युवा मन में उत्कंठा का बीज बोया गया। सेाच न रखने वालेां के लिए यह समय अवश्य कम रहा होगा पर जिसने सिर्फ एक बून्द से मोती बनने की प्राकृतिक क्रिया देखी होगी वह जरूर इस आयोजन का कायल होगा। यह वही अवसर था जब स्वाति नक्षत्र की एक बून्द सीप में गिरी और वह मोती में बदल जाएगी। हर दिन शाम केा कुछ क्षेत्रीय कलाकारों ने अपने हुनर दिखाए तो वहीं कई बड़े शहरेां से आए जोशीले युवाओं की प्रेरणादायक प्रस्तुति आयेाजन को गरिमा प्रदान करती रही। इस अवसर पर बंबई से आए नर्तक दल, मलखम्ब कलाकारों के हैरतअंगेज प्रदर्शन, छत्तीसगढ़ भिलाई के जोशीले युवाओं की प्रस्तुति और रेत से आकृति बनाने के लिए अपनी ख्याति विश्वपटल पर ले जा चुके श्री कौशिक का जिक्र करना लाजिमी है। समापन अवसर पर कोरिया के युवाओं के लिए सफल नायक का किरदार बन चुके छत्तीसगढ़ी फिल्मों के स्टार पदम् श्री अनुज शर्मा के द्वारा भी युवाओं को बताया गया कि सोच अगर है तो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का पुत्र भी पद्मश्री पुरूस्कार पाकर छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित कर सकता है। जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर में चार दिवसीय आयेाजन में जिले के लगभग 2000 विद्यालयीन छात्र-छात्राओं ने इसमें अपनी भागीदारी लेकर उज्जवल भविष्य के असीम आकाश में उड़ने के नए रास्ते देखे। खेल एवं युवा कल्याण विभाग के तत्वाधान में जिला प्रशासन कोरिया का यह आयोजन एक एैसा अवसर था जब राजनैतिक क्षेत्र के प्रमुख, प्रशासनिक व्यवस्था प्रमुख, सांस्कृतिक जानकारी के प्रमुख मौन साधे इसके साक्षी बने और सब देख रहे थे कि कोरिया के युवाओ के मन में सकारात्मक सोच का नया बीज बोया जा रहा था। जो जल्द ही सुसंस्कृति की देखरेख में अंकुरित होकर सफल युवा के रूप में पल्लवित और पुष्पित होगा।