जापान के नगानो (Nagano) कस्बे में देश विदेश से आए हजारों लोगों के बीच एक मंदिर को आग लगा दी गई. इस मंदिर को वहां हर साल इसी मौसम में आग के हवाले कर दिया जाता है. ये बरसों से चली आ रही परंपरा का हिस्सा है,
देखते ही देखते पूरा मंदिर जल जाता है.
हर बार की तरह इस बार भी लकड़ी के मंदिर को 25 साल वाले गांव के सभी नौजवान पकड़ कर खड़े थे. मंदिर के ऊपर 42 साल की उम्र वाले नौजवान थे. इन पर मंदिर को बचाने की जिम्मेदारी थी, तभी ढोल नगाड़ों की थाप, रौशनी बिखेरती कंदीली और आतिशबाजी के बीच बाकी गांव वाले मंदिर को जलाने की कोशिश करने लगे. नौजवानों की तमाम कोशिशों के बावजूद जिसे जो भी चीज मिली उससे मंदिर को आग के हवाले कर दिया गया.
आत्माओं को सम्मान देने का त्यौहार
ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि जापान के लोग मानते हैं इससे उन्हें बचाने वाली आत्माओं को इज्जत मिलती है. इसीलिए इस सालाना जलसे की तैयारी नए साल की शुरुआत के साथ ही शुरू हो जाती है. जिसके जोश को कड़ाके की ठंड और बर्फ भी जमा नहीं पाती. बर्फीली जमीन पर लट्ठों को खींच कर लाया गया. नौजवानों ने उन्हें कंधे पर उठा कर आयोजनस्थल तक पहुंचाया, इसके बाद रस्सियों की मदद से लट्ठों को ऊपर चढ़ाया गया और उनसे एक खास आकार में मंदिर तैयार कर दिया गया. इसके बाद तय वक्त पर गांव वालों ने मिल कर उसमें आग लगा दी.