कोरिया / शहर के युवाओं व खिलाड़ियों की सुविधा के लिए बनाया गया जिम अनदेखी का शिकार हो रहा है। जिम की अधिकतर मशीनें खराब और जर्जर हो चुकी है। जिम में खराब मशीनों की जगह नई मशीनें लगाने व पुराने मशीनों के रखरखाव की तरफ कतई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिम में मशीनें खराब होने के चलते यहा अभ्यास करने पहुच रहे खिलाड़ियों को निराशा हाथ लग रही है। खिलाड़ियों ने जिम की स्थिति में सुधार करने की माग की है।
आपको बता दे कि शहर के मध्य में स्थित घड़ी चौक के समीप पालिका शॉपिंग काम्प्लेक्स में नगर पालिका बैकुण्ठपुर द्वारा संचालित जिम हाल में अभ्यास करने पहुचने वाले खिलाड़ियों की सुविधा के लिए कई साल पहले जिम खोला गया था। पिछले कई माह से जिम की अधिकतर मशीनें खराब पड़ी हुई है। खिलाड़ियों ने बताया कि जिम के सुधारीकरण की तरफ स्थानीय नपा. प्रशासन के किसी भी अधिकारी का कोई ध्यान नहीं है। खिलाड़ी बताते है कि जिम की मशीनें खराब होने के कारण यहा अभ्यास करने पहुच रहे खिलाड़ियों को, जिम की सुविधा का कोई लाभ नहीं हो रहा है।
ज्यादातर मशीनें खराब और जरूरते बेहिसाब –
जिला मुख्यालय के एक मात्र जिम में रौजाना सुबह और शाम 100 से ज्यादा शहर के युवा खिलाड़ी जिम में व्ययाम करने आते है और 04 नग रनर, 01 नग मसाजर, सेंटर फुल मशीन, थाई मशीन, डम्बल्स सेट, प्लेट्स, चेस्ट फ्रेंच मशीन खराब है साथ ही बैंच, डम्बल्स सेट, सोल्डर ट्रेस मशीन, डम्बल्स स्टैंड, मीरर की आवश्यकता है। ऐसे में अगर कभी ज्यादा खिलाड़ियों की जिम हाल में प्रवेश हो जाए तो अपनी बारी का उन्हें इंतजार करना पड़ता है या फिर की वो वहाँ से उल्टे पाव लौट जाए।
कोच की जरूरत –
इसके साथ-साथ स्थानीय युवाओं व खिलाड़ियों को जिम हाल में कोच की सुविधा भी नहीं मिल रही है, जिस कारण खिलाड़ियों को अपने स्तर पर ही अभ्यास करना पड़ रहा है। खिलाड़ियों ने यहां कोच की नियुक्ति करने की माग भी की है।
पानी बनी बड़ी समस्या –
जिम हाल में जिम करने के दौरान अगर थकान महसूस हो या पानी प्यास लगे तो पानी की भी बिल्कुल व्यवस्था नही है अगर खिलाड़ी साथ मे पानी न लाए या लाना भुल जाए तो वो पानी के लिए तरस जाते है।
छत से बारिस और पंखे की हालत भी गम्भीर –
जिम हाल के छतों का कोई खास मतलब नही है चूँकि बारिस के मौसम में छत बारिस रोक पाने में अपने हाथ खड़े कर लेता है। उसी तरह छतों पर लगे पंखे भी टूट गए है या पुरी तरह खराब हो गए है। अब भला आप ही सोचिए इतनी मेहनत के बाद खिलाड़ियों की क्या हालत होती होगी।