दिल्ली / एक ओर शीतकालीन सत्र समाप्त हुआ तो दूसरी ओर सरकार ने बजट सत्र की तारीखों की भी सिफारिश कर दी है। संसद के बजट सत्र का पहला चरण 29 जनवरी से शुरु होकर 9 फरवरी तक चलेगा। एक फरवरी को बजट पेश होगा। बजट सत्र का दूसरा चरण 5 मार्च से 6 अप्रैल तक होगा।
संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को समाप्त हो गया। हालांकि विपक्ष ने कई मौको पर जमकर हंगामा किया लेकिन फिर भी सरकार ने इस छोटे से सत्र में 22 बिल पास कराने में सफलता हासिल की लेकिन ट्रिपल तलाक समेत कुछ जरूरी बिल इस बार भी सियासत का शिकार हो गये। आज खत्म हुआ शीतकालीन सत्र बीते 30 साल में सबसे सफल साबित हुआ।
15 दिसंबर से शुरू होकर 5 जनवरी तक चला संसद का शीतकालीन सत्र सत्र शुक्रवार को समाप्त हो गया। संसद का शीतकालीन सत्र भले ही छोटा था लेकिन इसमें काफी कामकाज हुआ। सरकार के मुताबिक सत्र में कुल 22 विधेयक पास हुए हैं जो कामकाज के लिहाज से बेहद अहम हैं। सरकार ने उन लोगों पर भी निशाना साधा जो सत्र शुरु होने से पहले ही इसके पूरी तरह नाकाम रहने की भविष्यवाणी कर रहे थे।
शीतकालीन सत्र के कामकाज पर एक नजर डालें तो- 13 कार्यदिवस वाले इस सत्र के दौरान लोक सभा में 91.58 % और राज्य सभा में 56.29 % कार्य हुआ। लोक सभा में इस सत्र में 13 विधेयक पारित हुए जबकि राज्यसभा में ने 9 विधेयकों को मंजूरी दी। दोनों सदनों में कुल मिलाकर 22 विधेयक पारित किए गए। सरकार के मुताबिक शीतकालीन सत्र में लोकसभा में कामकाज का 30 साल का रिकार्ड टूटा है।
विधेयक जिन्हें दोनों सदनों से मंजूरी मिली उनमें – कंपनी संशोधन बिल, पुराने कानूनों को खत्म करने से जुड़े दो विधेयक, भारतीय प्रबंधन संस्थान बिल, भारतीय वन संशोधन विधेयक, भारतीय पेट्रोलियम और ऊर्जा संस्थान बिल, राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र कानून से जुड़ा विधेयक, इनसालवेंसी और बैंकरप्शी कोड विधेयक, माल एवं सेवाकर राज्यों को प्रतिकर संशोधन विधेयक, उच्च एवं उच्चतम न्यायालय न्यायाधीश वेतन एवं सेवा शर्त संशोधन विधेयक और कृषि और ग्रामीण विकास राष्ट्रीय बैंक संशोधन विधेयक शामिल हैं।
सिर्फ लोकसभा में पारित हुए विधेयक – अगर हम ऐसे विधेयकों की बात करें जो केवल लोकसभा से पास हुए हैं तो उनमें केंद्रीय सड़क निधि संशोधन विधेयक, स्थावर संपत्ति अधिग्रहण और अर्जन संशोधन विधेयक और मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक शामिल हैं। इसमें से सबसे अहम विधेयक जो लोकसभा से पास होने की वजह से अटक गया उसमें तीन तलाक का बिल शामिल है। विपक्ष और सरकार के बीच इस बिल के कुछ प्रावधानों को लेकर मतभेद के चलते बिल पर राज्यसभा में चर्चा नही हो सकी। कांग्रेस ने बिल पर लोकसभा में समर्थन किया लेकिन राज्यसभा में वो इसे सेलेक्ट कमेटी में भेजने पर अड़ गयी। सरकार ने कांग्रेस के इस रुख की कडी निंदा की है।
हंगामे के चलते सरकार जिन अहम बिलों को नहीं पास करा सकी उनमें मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से जुड़ा विधेयक और स्थावर संपत्ति अधिग्रहण और अर्जन संशोधन विधेयक शामिल हैं। इसके अलावा दोनों सदनों में तमाम अहम मसलों पर चर्चा भी हुई जिसमें ओखी, कुलभूषण जाधव और अर्थव्यवस्था का मसला शामिल है।
एक ओर शीतकालीन सत्र समाप्त हुआ तो दूसरी ओर सरकार ने बजट सत्र की तारीखों की भी सिफारिश कर दी है। संसद के बजट सत्र का पहला चरण 29 जनवरी से शुरु होकर 9 फरवरी तक चलेगा। एक फरवरी को बजट पेश होगा। बजट सत्र का दूसरा चरण 5 मार्च से 6 अप्रैल तक होगा। कुल मिलाकर बजट सत्र में 31 बैठकें होंगी । संसद सत्र के शुरु में ही पीएम ने सभी दलों से सहयोग के साथ ही जनता के हित में काम करने की उम्मीद जतायी थी और सरकार इसमें सफल रही। हालांकि तीन तलाक और ओबीसी आयोग से जुड़ा विधेयक लटक गया जो सरकार के लिए चिंता का विषय कहा जा सकता है। उम्मीद है कि संसद के बजट सत्र में सरकार बाकी विधेयक भी पास कराने में कामयाब होगी ।
