कोरिया / आज से दस साल पहले एक महिला ने अपने पति का अंतिम संस्कार किया था उसके बाद आज तक समाज के लोगों ने सिर्फ इसलिये इस परिवार का बहिष्कार कर दिया गया कि सामाजिक परंपराओं के विपरीत महिला ने अपने पति का अंतिम संस्कार किया है। लेकिन अगर इसके बाद भी समाज में रहना है तो पांच हजार रूपये नगद और एक डोली जमीन देने के बाद ही समाज में रखा जायेगा नही तो पूरे परिवार का हुक्का पानी बंद कर दिया जायेगा। तबसे लेकर आज तक यह परिवार सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रहा है। इस बहिष्कार के चलते मृतक के पांच नाती और नातिनों का विवाह नही हो पा रहा है।
हमारे समाज ने कितनी तरक्की कर ली है, हम कितना आगे बढ़ गये हैं, लेकिन आज भी कुछ ऐसे लोग हैं जो पुरानी रूढ़ियों और परंपराओं की गठरी सिर पर उठाये घूम रहे हैं। कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर के सागरपुर में रहने वाला एक परिवार एक ऐसी पीड़ा को बीते 10 वर्षो से झेल रहा है। इस पीड़ा की वजह सिर्फ इतनी है कि घर में बेटा न होने के कारण मृतक की पत्नी ने अपने स्वर्गीय पति का हिन्दु रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार कर दिया और इसी वजह से समाज के लोगों ने परिवार का पूरे 10 वर्षो से बहिष्कार कर रखा है।
बैकुंठपुर के सागरपुर में रहने वाले संतोष साहू के नाना का 10 साल पहले निधन हो गया था। घर में बेटा न होने के कारण उनकी पत्नी जयमनिया बाई ने अपने पति रामखिलावन का अग्रि संस्कार किया। पति के अंतिम संस्कार के दसवें दिन जब दशगात्र व चंदनपान का कार्यक्रम आयोजित किया गया और सभी लोगों के लिये संतोष साहू के परिवार द्वारा भोजन बनवा लिया गया, सारी व्यवस्थाएं कर ली गई लेकिन तब ऐन मौके पर पूरे समाज के लोगों ने यह कहते हुये इस परिवार का बहिष्कार कर दिया कि हमारे समाज में ऐसा नही होता है कि कोई महिला अंतिम संस्कार करें। लेकिन अगर महिला ने अंतिम संस्कार कर दिया है तो समाज में मिलाने के लिये 5 हजार रूपये और जमीन देनी होगी। जब परिवार के लोगों ने जमीन देने से मना कर दिया तो तब से संतोष साहू के परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया।
नाना की मौत के दो वर्षो बाद संतोष साहू के पिता महिपाल साहू की भी मौत हो गई। उस दौरान भी पीड़ित परिजनों ने समाज के लोगों से दशकर्म व चंदनपान में शामिल होने का अनुरोध किया लेकिन गांव का कोई भी आदमी इस परिवार के आयोजन में शामिल नही हुआ। तब किसी प्रकार अपने परिजनों के साथ मिलकर संतोष ने अपने पिता का अंतिम संस्कार किया। अभी बीते दिनों संतोष की नानी जयमनिया बाई का निधन हो गया। समाज के लोगों से बार – बार अनुरोध करने के बाद भी साहू समाज के लोग अंतिम संस्कार में शामिल नही हुये। बुधवार को मृतिका का दशकर्म व चंदनपान होना है लेकिन समाज का कोई भी पदाधिकारी व सदस्य इस आयोजन में शामिल नही हुआ।
संतोष साहू के परिवार के लोग सामाजिक बहिष्कार की पीड़ा तो झेल ही रहे थे लेकिन सामाजिक बहिष्कार के चलते संतोष साहू के चार भाई बहनों का विवाह अभी तक नही हो पाया है। बड़ी बहन नीता जो 32 वर्ष की हो चुकी है उसकी 10वीं के बाद आगे की पढ़ाई भी नही हो पाई।
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर कब इस परिवार को न्याय मिलेगा। आखिर कब तक लोग रूढ़ियों और परंपराओं के नाम पर लोगों के जीने का हक छीनते रहेंगे। मामले की शिकायत पुलिस से की गई है।