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Eid mubarak – क्या आप जानते है कब मनाई गई पहली ईद – अगर नही ? तो जरूर पढ़ें ईद से जुड़ी और भी कई रोचक तथ्य

रमजान का पाक महीना पूरा होने के बाद और चांद के दीदार होने पर ईद के इस खास त्यौहार को मनाई जाता है। मुस्लिम समुदाय इस त्योहार को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।

रमजान के महीने में ही पाक कुरान इस धरती पर आई थी।

कब मनाई गई पहली ईद –
कई लोगों के जहन में ये सवाल जरूर आता होगा कि आखिरकार इस दुनिया में पहली ईद कब मनाई गई। इस्लाम में माना जाता है कि पहली ईद हजरत मुहम्मद पैगंबर ने सन 624 ईस्वी में जंग-ए-बदर के बाद मनाई थी। यह कुछ-कुछ हिंदूओं के दीपावली की तरह है जब भगवान राम के लंका विजय के बाद पहली बार दीपोत्सव की शुरूआत हुई थी, जो बाद में दीपावली के रूप में मनाया जाने लगा।

आखिर क्यों मनाई जाती है ईद –
आपको बता दे कि मुस्लिमों के लिए दो ही दिन विशेष खुशी वाले होते हैं ईद उल फितर और ईद उल जुहा। रमजान में पूरे महीने रोजे रखने के बाद इसकी समाप्ति के रूप में ईद मनाई जाती है। ईद अल्लाह से ईनाम लेने का दिन है। ईद मनाने से पहले एक परंपरा निभाई जाती है जिसे फितरा कहा जाता है, इसके तहत ईद मनाने वाले हर मुस्लिम को अपने पास से गरीबों को कुछ अनाज देना जरूरी होता है जिससे वह भी खुशी से ईद मना सके।

चांद देखकर ही क्यों मनाते हैं ईद –
रमजान के पाक महीने के बाद चांद देखकर ही ईद की शुरूआत होती है। असल में त्यौहारों में चांद का बड़ा महत्व है, हिंदुओं में भी कई त्यौहार चांद देखकर ही मनाए जाते हैं। ईद का चांद से बड़ा गहरा संबंध है। ईद उल फितर हिजरी कैलेंडर के दसवें महीने के पहले दिन मनाई जाती है और इस कलेंडर में नया महीना चांद देखकर ही शुरू होता है। ईद भी रमजान के बाद नए महीने की शुरूआत के रूप में मनाई जाती है जिसे शव्वाल कहा जाता है। जब तक चांद न दिखे रमजान खत्म नहीं होता और शव्वाल शुरू नहीं हो सकता। वैसे इसका संबंध एक एतिहासिक घटना से भी है। कहा जाता है कि इसी दिन हजरत मुहम्मद ने मक्का शहर से मदीना के लिए कूच किया था।

ईद पर ये हैं जरूरी काम –
ईद संयम और शांति का त्यौहार है, लेकिन कुछ नियम भी हैं जिनका पालन इस दिन करना जरूरी होता है। मसलन ईद वाले दिन की शुरूआत सुबह जल्दी उठकर फजर की नमाज अदा करने से होती है। उसके बाद खुद की सफाई जैसे, गुस्ल और मिस्वाक करना। इसके बाद साफ कपड़े पहनना सबसे साफ फिर उन पर इत्र लगाना और कुछ खाकर ईदगाह जाना। नमाज से पहले फिकरा करना भी जरूरी होता है। ईद की नमाज खुले में ही अदा की जाती है। सबसे खास बात ये है कि ईदगाह आने और जाने के लिए अलग – अलग रास्तों का इस्तेमाल किया जाता है।

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