21 जुलाई, 2018 (शनिवार)
07 ज़ील कदा, 1439 हिजरी
“छू कर आप सारा जहाँ चल दिये
मेरे ताजुश शरिया कहां चल दिए”
वसीम बारी की कलम / जानशीन मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द मौलाना मोहम्मद अख्तर रजा खां अजहरी मियां का आज निधन हो गया है। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थें। उनके निधन की खबर मिलते ही मुरीदों सहित जिले एवं प्रदेश भर के मुसलमानों में शोक की लहर है।
ताजुश शरिया अजहरी मियां अहले सुन्नत वल जमात की एक बड़ी हस्ती हैं। भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में उनके लाखों की तादाद में मुरीद हैं। उनकी गिनती विश्व भर के प्रसिद्द आलिमों में होती रही है। 2011 में वे अमेरिका की जार्ज टाउन युनिवर्सिटी के इस्लामिक क्रिश्चियन अंडरस्टेंडिंग सेंटर की ओर से किये जाने वाले सर्वे में 28 वें स्थान पर आएं। इसके अलावा जार्डन की राॅयल इस्लामी स्ट्रेजिक स्टडीज सेंटर के 2014-15 के सर्वे में उन्हें 22वें स्थान पर रखा गया।
कल शाम 20 जुलाई को 07:45 बजे बरेली शरीफ़ में स्थित मिशन अस्पताल में अजहरी मियां ने ली आखिरी सांस, इंतकाल की खबर मिलते ही लाखों की तादाद में मुरीद मिशन अस्पताल पहुंचे। तीन दिन पहले तबीयत खराब होने पर भर्ती कराया गया था। आलमे इस्लाम में अजहरी मियां के करोड़ों मुरीद हैं। सन् 1943 में खानदाने आला हजरत में पैदा हुए थें। कुल 75 साल की उम्र में दुनिया से रुख़सत हुए अजहरी मियां। अजहरी मियां को ताजुश शरिया के खिताब से दुनिया में जाना जाता है। आलिमों के क्षेत्र में बरेली से मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रजा खां को श्रेष्ठ मुफ्ती माना गया है।

बरेली के ताजुशरिया का परिचय
अजहरी मियां की पैदाईश 25 फरवरी 1943 में हुई। शुरुआती दौर में दरगाह आला हजरत स्थित दारुल उलूम मंजरे इस्लाम के उलमा से तालीम हासिल की। 1963 में अजहरी यूनिवर्सिटी (काहिरा) मिस्र में दाखिला लिया और यहां से उच्च शिक्षा ग्रहण कर 1966 में पूरे मिस्र में टॉप किया। मुफ्ती आजम हिंद मुस्तफा रजा खां और मुफ्ती सय्यद अफजाल हुसैन उनके उस्तादों में रहे। 1967 से शिक्षा देने का काम शुरू किया। 1978 में दरगाह आला हजरत स्थित मदरसा मंजरे इस्लाम के प्रधानाचार्य रहे। 12 सालों तक उन्होंने शिक्षण कार्य किया। इस बीच 1968 में उनकी शादी हुई। इससे पहले 15 जनवरी 1962 में मुफ्ती आजम हिंद ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। उन्होंने पहला हज 1983, दूसरा हज 1985, तीसरा हज 1986 में किया।उन्होंने सन् 2000 में बरेली में इस्लामिक स्टडीज जमीरूर रजा के नाम से एक इस्लामी धर्म शास्त्र केन्द्र की स्थापना की थी। उन्होंने विज्ञान, धर्म और दर्शन सहित कयी विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर कयी किताबें लिखी है।अजहरूल फतवा के खिताब से फतवा का संग्रह उनका विशाल कार्य है।
उर्दू और अरबी में लिखी सैकड़ों किताबें
जमात रजा-ए-मुस्तफा के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि ताजुशरिया मुफ्ती अजहरी मियां ने उर्दू और अरबी में सैकड़ों दीनी किताबें लिखीं हैं। जिनमें अल-हक्कूल मोबेन दिफा, कंजूल इमान, टीवी विडियो का शराई ऑपरेशन, मिरातुन नजदीयाह, तस्वीरों का शराई हुक्म (फोटोग्राफी) शराह हदीस ए नियत, आसार ए कयामत आदि है। खास कर आला हजरत की लिखी उर्दू की किताबों का अरबी में अनुवाद कर अरब दुनिया में फैलाया। उन्हें ताजुश्शरिया के खिताब से 1984 को जूनागढ़ (गुजरात) की उलमा कॉन्फ्रेंस में नवाजा गया। मुस्लिम रुहानी शख्सियतों में उन्हें यह मुकाम हासिल है कि दुनिया भर में उनके लाखों करोड़ों मुरीद हैं ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अजहरी मियां को सुपुर्द ए खाक 22 जुलाई, 2018 बरोज ए एतवार को बाद नमाज़ जोहर किया जाएगा।
