कोरिया / कोरिया जिले के बैकुण्ठपुर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच चुनाव की तैयारियों को लेकर घमासान चरम सीमा पर है। फिलहाल टिकट जरूर अभी फाईनल नही हुआ है इसके वावजूद भारतीय जनता पार्टी से वर्तमान विधायक व मंत्री भैया लाल राजवाड़े और कांग्रेस से अंबिका सिंहदेव के नाम सबसे ऊपर है और लगभग इनके नाम फाईनल ही लोग मान कर चल रहे है।
जानकर बताते है कि बैकुंठपुर विधानसभा सीट पर इस बार जोरदार घमासान दिखाई पड़ने के आसार है। चुकी इस बार साहू समाज का वर्तमान विधायक व छत्तीसगढ़ शासन में कैबिनेट मंत्री भैयालाल राजवाड़े से नाराज होना, कोरिया राज घराने से अंबिका सिंहदेव को टिकट देना जो कि बाहरी प्रत्याशी के रूप में मानी जा रही है और रजवार समाज से ही बिहारी लाल राजवाड़े जो जोगी कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी है, वो भी इन दोनों पार्टियों के लिए सर का दर्द बन सकते है।
लगे हाथ इस विधानसभा सीट पर हम दावेदारों की बात गर करे तो भाजपा की ओर से सबसे पहला नाम वर्तमान विधायक व छत्तीसगढ़ शासन में कैबिनेट मंत्री भैयालाल राजवाड़े का ही है। इसके बाद प्रबल दावेदारों में शैलेंश शिवहरे जो कि पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष रह चुके हैं, जो कि सामाजिक, धार्मिक कार्यो और जनता के बीच उपस्थित रहने की वजह से दौड़ में दूसरे नम्बर पर नजर आ रहे हैं हालाँकि वे स्वयं इस बात को स्वीकार करते रहते है कि मैं मंत्री जी के रहते दूसरे नम्बर पर ही रहना चाहता हु। इनके बाद युवा आइकॉन के रूप में राजनीति का तेज तर्रार चेहरा देवेंद्र तिवारी भी बैकुंठपुर विधानसभा सीट से दावेदारों की फेहरिस्त में मजबूत दावेदार है।
अब वहीं बात यदि कांग्रेस की करे तो दावेदारों की लंबी सूची में सबसे पहला नाम कोरिया राज घराने से अंबिका सिंहदेव का आता है जो इन दिनों काफी चर्चे में भी है। उसकी खास वजह शीर्ष नेताओं के द्वारा बार – बार राज घराने के नाम लेना बताया जा रहा है। यह बात भी तय है कि कोरिया कुमार के नाम को भुनाने में कांग्रेस इस बार पीछे नही हटेगी। इनके बाद प्रमुख रुप से पूर्व विधानसभा प्रत्याशी वेदांती तिवारी और फिर पीसीसी सदस्य योगेश शुक्ला का भी नाम प्रबल दावेदारों में शुमार है। यह बता दे कि पूर्व विधानसभा प्रत्याशी वेदांती तिवारी और पीसीसी सदस्य योगेश शुक्ला का नाम सबसे ऊपर होना चाहिए था। लेकिन इस बार बैकुण्ठपुर सीट के लिए शीर्ष नेताओं ने अपनी जिद पर अंबिका सिंहदेव का नाम सबसे पहले या यूं कहें फाईनल ही कर रखा है।
पूर्व आकड़ो पर गौर करे तो कांग्रेस से वेदांती तिवारी को वर्ष 2008 व 2013 में वर्तमान विधायक व छत्तीसगढ़ शासन में कैबिनेट मंत्री भैयालाल राजवाड़े से हार का सामना करना पड़ा है।
2008 में भाजपा केे भैयालाल राजवाड़े को 36,215 व कांग्रेस केे वेदांती तिवारी को 30,679 वोट मिले थे और वेदांती तिवारी को 5,536 मतों से हार का सामना करना पड़ा था।
इसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के भैयालाल राजवाड़े को 45,471 व कांग्रेस केे वेदांती तिवारी को 44,402 मत प्राप्त हुए थे और महज 1069 मतो से वेदांती तिवारी फिर एक बार चूक गए, चुनाव हार गए।
पटना 84 के मिजाज बदला तो ?
चर्चाए तो यह भी है कि कांग्रेस से यदि वेदांती तिवारी या फिर योगेश शुक्ला को टिकट नही मिली तो पटना क्षेत्र के 84 गांव के वोटर जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी बिहारी लाल राजवाड़े को एक तरफा सपोर्ट करेंगे। अगर पटना 84 गांव का मिजाज कुछ ऐसा बदला तो सारे समीकरण ही बदल जाएंगे।
गोंडवाना भी किसी से कम नही !
लगातार पिछले चुनाव के आंकड़े बताते है कि गोंडवाना का कद बढ़ रहा है और इस बार भी बढ़ेगा। कही ऐसा न हो जाए कि दूसरे की लड़ाई में गोंडवाना की झोली में जीत का लड्डू गिर जाए और एक नया इतिहास कोरिया में रच जाए।
साहू समाज भी टिकट को अड़ा ?
कुछ माह पूर्व हुए जिला पंचायत के कुड़ेली उप चुनाव में मिले जीत का लड्डू हजम होने का नाम ही नही ले रहा है। बता दे कांग्रेस ने साहू समाज के प्रत्याशी पर दांव खेल कर वर्तमान विधायक व कैबिनेट मंत्री भैयालाल राजवाड़े से नाराजगी का बदला जीत से लिया है। यही वजह है कि साहू समाज अब अपना विधानसभा प्रत्याशी कांग्रेस से चाहता है, हालाकि यह सम्भव नही है। इसके वावजुद अब देखना है कि साहू समाज का अगला कदम क्या होगा।