00 चैत्यगिरी भोंगापाल, अब बरसात में नही बनेगा टापू, लालआतंक के चलते विराम लगा था विकास की गति पर
स्टोरी विजय शर्मा कोंडागॉंव / आज से कुछ साल पहले जहॉ माओवादियों का बसेरा हुआ करता था। वहॉ जिला प्रशासन एवं खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने संयुक्तरूप से जिला स्तरीय एनएसएस शिविर आयोजित किया हैं। जिसमें जिलेभर के स्कूल व महाविद्यालयों के एक हजार से भी ज्यादा स्वयसेंवक इस सात दिवसीय शिविर में शामिल होने पहुंचे हैं।
बता दे कि भोगापाल तीन जिलों के बीच बसा पचायत है। इसकी महत्ता आज तो उतनी नहीं, लेकिन छठवी शताब्दी की मूर्तियां एवं बौध चैत्यगृह यहॉ मिलने से यह समझा जा सकत है कि, यह इलाका प्रचानकाल में बौध को मानने वालों का केंद्र रहा होगा।
इस आयोजन में पहुंचे संभागायुक्त धनजंय देवागन ने कहा यहॉ की महत्ता के विषय पर अपनी बात रखी तो कलक्टर नीलकंठ टेकाम ने कहा कि, भोंगापाल आज जैसा है उससे बिल्कुल अलग था। भोगापाल भू-मंडल की सबसे प्राचीन धरा है और यही से होकर कभी भी जाने का मार्ग था। उन्होंने बताया कि, सम्राट अशोक जब कलिंग फतहकर इसी मार्ग से गुजरे थे, शिवाजी भी इसी मार्ग से नागपुर की ओर आया जाया करते थे। लेकिन अंग्रेजो के आने के बाद उन्होंने इस मार्ग को औचित्य देना बंद करते हुए कांकेर को केशकाल मार्ग को प्रचलित किया। इसके बाद से भोगापाल धीरे-धीरे अंधकार में चला गया और यह माओवादियों का केंद्र एक समय बन गया था। वही जिला पंचायत उपाध्यक्ष रविघोष ने कहा कि हम तो भोगापाल को को अंडमान-निकोबार की तरह ही देखा करते थे। लेकिन यह इलाका अब ऐहितासिक धरोहर व पर्यटन का केंद्र बनने वाला हैं।
खेल के माध्यम से योजनाओं से जोड़ेगें ग्रामीणों को –
शिविर के दौरान विभिन्न खेल एवं सांस्कृतिक गतिविधियां भी आयोजित की जाएगी और इन गतिविधियों में ग्रामीणों को शामिल करते हुए उन्हें विभिन्न प्रकार की सरकारी योजनाओं से लाभ दिलाने के अलावा भी उन्हें बहुत कुछ जानकारी उपलब्ध कराया जाएगा। यहॉ जिला स्तर की सभी विभागों के स्टाल भी सजाए जा रहे हैं। जहॉ से ग्रामीण संपर्क कर योजनाओं का साधा लाभ ले सकते हैं। यह पहला मौका है जब इस तरह से आयोजन कर लोगों को आपस में जोड़ने की योजा बनाई गई हैं। हॉलाकि यहॉ कुछ माह पहले कांकेर, नारायणपुर एवं कोण्डागांव तीनों जिले की प्रशासन ने यहॉ एक शिविर आयोजित कर लोगों को सुविधा देने का प्रयास कर चुका हैं।
इस दौरान अध्यक्ष जिला पंचायत देवचंद मतलाम, एसपी अरविद कंजूर, सीईओं नूपूर राशि पन्ना, एसडीएम धनजयं नेताम, डीईओं राजेश मिश्रा, आर के जैन सहित अधिकारी-कर्मचारी, जनप्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में ग्रामीणों मौजूद रहे।
यहॉ आज भी देखे जा सकते हैं ध्वस्त भवने –
भोगापाल में माओवादियों के द्वारा ध्वस्त किए गए कुछ सरकारी भवन आज भी वैसे ही पड़े हैं। यहॉ तक कि सालभर पहले तक यह इलाका पहुंच विहिन भी रहा है। जिसके चलते सरकारी अमला यहॉ कम ही पहुंच पाता था। लेकिन इलाके में सुरक्षा बलो के बढ़ते दबाव व जिला प्रशासन की पहल से अब यहॉ पहुंच पाना संभव हो सका हैं। प्रशासन इस शिविर के माध्यम से इलाके के लोगों जागृत करना चाहती हैं। यहॉ सात दिनों तक विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से एनएसएस के स्वयंसेवक न केवल भोगापाल बल्कि इससे सटे एक दर्जन गांवों में जाकर ग्रामीणों का डाटा एकत्रित करने के साथ ही उन्हें सरकारी योजनाओं की जानकारी भी देगें और इसी आधार पर जिला प्रशासन आने वाले समय में इस इलाके के लिए बेहतर कार्ययोजना बनाकर काम करेगा।