राजनांदगांव / मनरेगा के दस स्टापडेम सहित डब्ल्यूबीएम के अलावा अन्य कामों में भ्रष्टाचार को लेकर ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग राजनांदगांव के अधिकारी-कर्मचारियों के अलावा राजनांदगांव जिले में भ्रष्टाचार का यह पहला बड़ा मामला होगा। जिसमें आरईएस संभाग राजनांदगांव में आठ विभागीय अधिकारी-कर्मचारियों के अलावा राजनांदगांव जिले के 12 सप्लायरों के काले कारनामें सामने आए है। इन सबने मिलकर विभाग की टेंडर प्रकिया में छेडखानी, कूटरचना, फर्जी बिलों सहित अन्य प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा कर विभाग को लगभग 40 लाख रूपए का चूना लगा दिए हैं। विभागीय जांच में इसकी पुष्टि होने के बाद अधिकारी-कर्मचारियों और सप्लायरों के हांथ-पाव फूल गए हैं।
राजनांदगांव जिले के एक पूर्व सांसद और दो पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सप्लायरों के बचाव के पक्ष में पूरी तरह से एड़ी चोटी का प्रयास कर रहे है पर मामला मनरेगा एक्ट 2005 से जुडे होने कारण उच्च अफसर मामले को सीधे दबाने के बजाय गुपचुप कार्रवाई और वसूली के पक्ष में नजर आ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि मोर्ड यानी मिनिस्ट्री ऑफ रूरल डेवलमेंट परियोजना अंतर्गत भू-जल संवर्धन के कार्यो के लिए पीएमकेएसवाई के मद्ेनजर वित्तीय वर्ष 2016-17 और वित्तीय वर्ष 2017-18 में जिला पंचायत राजनांदगांव ने मनरेगा के तहत डोंगरगढ़ विकासखंड के छह ग्राम पंचायत क्रमश: – छीपा, पलांदूर, डोड़की, सलटिकरी, कोलिहापुरी, ठाकुरटोला में कुल 13 स्टापडेम निर्माण कार्य के लिए पांच करोड 48 लाख, 13 हजार पांच सौ रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की थी। सभी कार्य बीस-बीस लाख से उपर के होने के कारण आरईएस संभाग राजनांदगांव को कार्य एजेंसी नियुक्त किया गया था। स्टापडेम निर्माण कार्य हेतु मटेरियल सप्लाई के लिए आरईएस ने निविदा की महज औपचारिकताएं पूरी की। जिन सप्लायरों को मटेरियल सप्लाई का काम मिला उन्होने ही स्टापडेम का पूरा निर्माण कराया। इन सप्लायरों ने शासन से धोखाधड़ी ऐसी की कि सामग्री की बिलिंग के दौरान निविदा में जितना रेट डाले थे उसे अधिक का रेट बढ़ा कर बिल बना दिए और आरईएस संभाग राजनांदगांव के बाबू से लेकर संब इंजीनियर, एसडीओ और ईई ने उसे पास भी कर दिया। पूरा खेल चला मोटी कमीशन में…।
माना जा रहा है कि यदि पूरा मामला राजनीति की भेट नहीं चढ़ा तो आठ दोषी अधिकारी-कर्मचारियों के अलावा 12 सप्लायरों के खिलाफ फर्जी बिलों के मामले में वसूली और एफआईआर की कार्रवाई हो सकती है ?
बाबू से लेकर सब इंजीनियर, एसडीओ और ईई के खिलाफ कार्रवाई प्रस्तावित –
स्टापडेम निर्माण सहित डब्ल्यूबीएम और अन्य विभागीय कामों में व्यापक पैमाने पर गड़बडी का मामला सुर्खियोंं मं आने और शिकवा-शिकायत के बाद आरईएस के तात्कालिन मुख्य अभियंता श्री पटेल के जांच के आदेश में बाद आईएस के एसई दुर्ग राम सागर ने तमाम विभागीय कामों के दस्तावेजी प्रकिया की बारीकी से जांच की। जांच में मनरेगा के दस स्टाप डेम सहित मनरेगा के अन्य कामों में लगभग 40 लाख रूपए का फर्जी बिल प्रमाणित पाया गया। इसके अलावा विभागीय कामाकाजों की प्रकिया में पूरी तरह से छेडख़ानी, दस्तावेजों में कूटरचना, कार्यादेश से लेकर बिलों में फर्जीवाड़ा प्रमाणित पाए गए।
जांच में आरईएस संभाग राजनांदगांव के जिन अधिकारी-कर्मचारियों को दोषी पाया गया है। उसमें तात्कालिन ईई व्ही के पसीने, आरईएस के डोंगरगढ़ एसडीओ एम घोरमारे, विभाग के उपअभियंता निखिलेश गरारे, श्रीमती गरिमा चौहान, अनुपम चंद्राकर, आरईएस के डीए विजय कुमार कौशल, विभाग के वरिष्ठ लेखा लिपिक राजेद्र प्रसाद श्रीवास्तव, सहायक ग्रेट 03 दीपक लाल हरिहारणों शामिल है।