मैनपाट / आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिले का मैनपाट पर्यटन के लिहाज से जितना खूबसूरत है, स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के नाम पर उतना ही पिछड़ा है। पिछले एक हफ़्ते मे यहां के चार अलग – अलग गांवो से आई तस्वीरों ने स्वास्थ्य विभाग की असलियत को सतह पर ला दिया है। ये सभी मामले इसलिए भी बड़ा हो जाते हैं कि इस जिले मे स्वास्थ्य मंत्री समेत दो मंत्री का स्थाई ठिकाना है।
आपको बता दे कि एक वायरल वीडियो ने स्वास्थ्य महकमे की कार्य प्रणाली पर सवाल खडा कर दिया है। इस बार भी मैनपाट के पनही पकना की 22 वर्षीय धनेश्वरी को प्रसव पीड़ा के बाद करीब डेढ घंटे महतारी एक्सप्रेस का इंतजार करना पडा और जब महतारी एक्सप्रेस के पहुंचने की खबर उसके परिजनों को मिली तो फिर दो किलोमीटर पगडंडी रास्ते मे उसे मिट्टी ढोने वाले कांवर मे ढोया गया और जब डेढ घंटे बाद वो एम्बुलेंस तक पहुंची, तब तक देर हो चुकी थी। क्योंकि खराब रास्ते के कारण महिला ने महतारी एक्सप्रेस मे ही बच्चे को जन्म दे दिया था।
इधर एक हफ्ते मे चौथी ऐसी घटना के बाद स्वास्थ्य मंत्री का बयान भी चौकाने वाला सामने आया। क्योंकि उनकी माने तो उन्हें मीडिया के माध्यम से पता चलता है कि कहां – कहां पहुंच विहीन गांव हैं। चलिए कोई बात नही है कम से कम पता तो चला कि आपके जिले मे अभी भी पनही पकनी, करमाहा जैसे और भी पहुंचविहीन गांव है।
खैर महिला को एम्बुलेंस तक छोडने के बाद भी प्रसव पीडित महिला के परिजनों का दर्द हलका नहीं हुआ। क्योकि धनेश्वरी को एम्बुलेंस मे चढाने के बाद परिजन महिलाओं को कबाड़ एम्बुलेंस मे धक्का भी लगाना पडा।
इधर सर्पदंश पीडित से लेकर प्रसव पीड़ा का ये चौथा मामला है। जो जिले के एक ही मैनपाट विकासखंड मे सामने आया है। लिहाजा ऐसे मामलों के लगातार उजागर होने के बाद विपक्ष में बैठी भाजपा न जाने क्यों खामोश है ये बात समझ से परे है।