ये था पुरा मामला – बिल्डर संजय अग्रवाल के द्वारा ग्राम रामपुर स्थित कृषि भूमि खसरा क्रं. 20, रकबा 1.902 हे0 में से रकबा 1.045 हे0 भूमि के बदले ग्राम तलवापारा मॉडल स्कूल ओड़गी नाका के समीप स्थित शासकीय भूमि खसरा क्रं. 285 एवं 286, रकबा 1.045 हे0 भूमि की अदला-बदली की गई। इस सम्बन्ध में तात्कालिक अपर कलक्टर के द्वारा दिनांक 21 अप्रेल 2014 को नियम विरूद्ध भूमि अदला-बदली का आदेश पारित किया गया था।
CM ने विवाह घर के लिए की थी घोषणा – उक्त शासकीय भूमि नेशनल हाईवे 43 के किनारे के समीप स्थित है वर्ष 2013 में विकास यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री रमन सिंह के द्वारा विवाह घर बनाने की घोषणा इसी स्थल के लिए की थी। जिसके बाद नगरपालिका परिषद बैकुन्ठपुर द्वारा उक्त शासकीय भूमि पर विवाह घर बनाने के सम्बन्ध में प्रस्ताव पारित करते हुये नक्शा/खसरा आदि समस्त कागजात शासन के समक्ष प्रस्तुत किया गया था।
अपर कलेक्टर व पटवारियों पर सीधा संदेह – इस पुरे मामले में यह बात जानने के बावजूद कि उक्त भूमि शासकीय है संजय अग्रवाल के द्वारा तात्कालीन अपर कलक्टर कोरिया एडमंड लकड़ा व तात्कालीन ओड़गी के पटवारी सेवकराम मरावी, बैकुन्ठपुर हल्का पटवारी फरीद खान के साथ सांठ-गांठ कर शासन के नियम विरूद्ध शासकीस भूमि को निजी भूमि में बदला गया। इस पूरे मामले में दोनों पटवारी फरीद खान व सेवकराम मरावी की अहम भूमिका रही शासकीय भूमि और निजी भूमि के बाजार मूल्य में भी गड़बड़ झाला दिखाई पड़ा। जिस पर पूर्व नागरिक एकता मंच ने आपत्ति जताते हुये कोरिया कलेक्टर से जांच करते हुये दोनों पटवारीओ व अधिकारीओं पर उचित कार्यवाही कर जमीन की अदला-बदली निरस्त करने की मांग की थी ताकि मुख्यमंत्री द्वारा घोषित विवाह घर का शुभारम्भ कर सके।
बात पुरानी है पर आप जान ले की – Jan 23, 2019…. को एक प्रेसवार्ता आयोजित कर जिलेभर के पत्रकारों के सामने शहर हित की बात करते हुए संजय अग्रवाल ने छेर – छेरता पर्व के बहाने विवादित जमीन शासन को त्याग करने का बड़ा निर्णय लिया था और यह जानकारी दी है कि यदि शहर के प्रबुद्ध नागरिकों की देखरेख में एक भव्य एवं समृद्ध शादी घर का निर्माण कराया जाता है तो उसकी साज सज्जा एवं अर्थव्यवस्था के लिए मेरे द्वारा ₹11 लाख रुपए भी दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि इस भूमि पर शादी घर का निर्माण नहीं करना चाहते हैं और अखिल भारतीय परिषद की मांग के अनुसार कन्या महाविद्यालय खेल मैदान के लिए भी जमीन देना चाहता तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है। यदि प्रशासन चाहे तो 1 दिन में कार्यवाही कर नियमानुसार एवं विधिक रूप से भूमि प्राप्त कर लंबी न्यायालयीन प्रक्रिया से मुक्त हो सकेगा और नगर हित में निर्णय लेने को स्वतंत्र होगा।
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इस दौरान बिल्डर संजय अग्रवाल ने पत्रकारों को प्रेस विज्ञप्ति भी सौपी…. पढ़े क्या था इस विज्ञप्ति में…
ग्राम तलवापारा स्थित शासकीय कन्या महाविद्यालय के सामने मुख्य मार्ग में स्थित जमीन के अदला-बदली का मामला इन दिनों फिर सुर्खियों में है क्योकि आप सबको यह पता है कि इस अदला-बदली के सही होने में न्यायलय की मुहर लग गई है, हमारे द्वारा इस जमीन को प्राप्त करने का आवेदन देने के बाद प्रशासन ने नियमानुसार कार्यवाही करते हुए अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत जमीन के अदला-बदली का आदेश जारी किया क्योकि ऐसा अधिकार कलेक्टर को है जिसमें वो किसी भी निजी भूमि स्वामी की जमीन के बदले में शासकीय जमीन अपने जिले के अंदर दे सकते है। यही अधिकार कमीशनर को अपने संभाग के अंदर एक जिले से दूसरे जिले की भूमि का अदला-बदली का है। अधिकार के अंतर्गत किया जाने वाला कोई भी कार्य हेराफेरी का नही होता हमें कन्या महाविद्यालय के सामने की भूमि अपने हितों के लिए उपयुक्त लगी हो तो उसकी हमने कलेक्टर से डिमांड किया क्योंकि हमें इस नियम की जानकारी थी और ऐसा भी नही है कि जमीन की अदला-बदली जिले में सिर्फ हमार ही हुआ है, कई जमीनों की अदला-बदली आ आदेश समय-समय पर जारी हुआ है जोकि कलेक्टर के अधिकार क्षेत्रान्तर्गत है।
अदला-बदली का आदेश प्राप्त होने के कुछ दिनों के बाद ही वह भूमि हमारे नाम कर दी गई थी, भूमि के निस्तार के भूमि होने की जानकारी हमें राजस्व विभाग के एक अधिकारी से 14 अगस्त 2017 को प्राप्त हुई फिर 15 अगस्त आ गया 18 अगस्त को ही हमारे द्वारा कलेक्टर, अनुविभागीय अधिकारी एवं तहसीलदार साहब को भूमि के आबंटन को निरस्त करने मे ंअपनी सहमती प्रदान करते हुए पत्र लिखा। जबकि नगर के कुछ प्रबुद्ध नागरिकों के द्वारा यह मामला 22 अगस्त को कलेक्टर साहब को दिए गए शिकायत पत्र के द्वारा उठाया गया एवं 23 अगस्त को इस आशय का पत्र हमे तहसीलदार बैकुण्ठपुर का प्राप्त हुआ।
4 सितम्बर से नगरपालिका परिषद के सामने धरना प्रदशन की शुरूआत की गई जैसा कि आप सबको मालुम ही है शिकायतों को गंभीरता से लेत हुए कलेक्टर साहब नें नियमानुसार मामले को पुनर्विलोकन की अनुमति हेतु राजस्व मंडल को भेजा क्योंकि ऐसा नियम है कि जब कलेक्टर अपने न्यायलीन आदेश को बदलना चाहे तो पुर्नविलोकन की अनुमति हेतु राजस्व मंडल को भेजा क्योंकि ऐसा नियम है कि जब भी कलेक्टर अपने न्ययालीन आदेश को बदलना चाहे तो वह पुर्नरविलोकन में लेकर ही ऐसा कर सकते है। और ऐसा करने के लिए उन्हे राजस्व मंडल से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक है। और उस वक्त चुंकि परिस्थितियां ऐसी थी की हमारा पक्ष ना लिया जाकर सिर्फ इस बात पर जोर दिया जा रहा था कि सारे नियम को ताक में रखकर हमें फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से सारी कार्यवाही की गई है अन्यथा इसका एक रास्ता और था, कि भूमि को हमसें शासन हित में त्यजन करा लिया जाता तो मामला राजस्व मंडल भेजने की आवश्यकता ही नही पड़ती जो कि तहसीलदार साहब के ही अधिकार साहब के ही अधिकार की बात है।
राजस्व मंडल का हमारे पक्ष में फैसला आये 7 माह हो चुके है, अभी तक एक भी आवेदन हमारे द्वारा कहीं भी इस जमिन को अपने नाम करने के लिए नही दिया गया। और ना ही राजस्व मंडल में हमारे द्वारा कोई अपील की गई बल्कि राजस्व मंडल पूर्व कलेक्टर के द्वारा अदला-बदली में प्रावधानानुसार दी गई। अनुमति को विधिनुसार सही पाते हुए पूर्नविलोकन की कलेक्टर साहब द्वारा चाही गई अनुमति नहीं दी है।
हमारे उपर लगाऐ गऐ आरोपों में दो प्रमुख बाते रहीं पहला, नगरपालिका की कुटचरित एनओसी और दूसरा वैल्युऐशन को कम कर भूमि को प्राप्त करना दोनों ही बाते न्यायलय ने अपने फैसले में स्पष्ट की है, पहली एनओसी कलेक्टर के अधिकारिता को बाधित नही करती एवं एनओसी हमें नहीं कलेक्टर के पत्र में दी गई थी।दूसरा वैल्युवएशन उप पंजीयक से 2013-14 के गाईड लाईन के अनुसार लिया गया था और उनके अनुसार वेल्यू की गणना की गई थी। जिसे न्यायलय ने स्पष्ट करा हैं। कि यदि शासकीय भूमि का मुल्य अधिक भी होता तो भी अनावेदक केवल अंतर के मुल्य को अदा करने का अधिकारी होता या होगा।एवं इस आधार पर हेर-फेर नही किया जा सकता।
हमने जनान्दोलन के वक्त भी यह बात उठाई थी की यदि वास्तव में यह जनान्दोलन बैकुण्ठपुर के हितो के दृष्टिगत किया जा रहा है तो यह तब तक चलना चाहिए जबतक पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह के 2013 के विकास यात्रा के समय की गई घोषणा के अनुसार नगरहित में विवाह घर का कार्य चालू नही हो जाता ।आज भी शहर के हितों के प्रति हम प्रतिबद्ध है, और हम आप सबसे नगर हित में सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए सहयोग की अपेक्षा करते है।
हम चाहते है कि उक्त भूमि को हमारे त्यजन आवेदन को स्वीकार करते हुए शासकीय भूमि के रूप में दर्ज उक्त भूमि को नगर हित में प्रशासनिक एवं जन सहयोग से सर्वसुविधायुक्त विवाह घर का निर्माण कराया जाए।यदि नगर के प्रबुद्ध नागरिकों के देख रेख एवं मार्गदर्शन में एक भव्य एवं सर्व सुविधायुक्त विवाह घर का निर्माण कराया जाता है तो निर्माण उपरांत हमारे द्वारा उसकी साज सज्जा एवं अतिरिक्त व्यवस्था हेतु ग्यारह लाख रूपये स्वेच्छा से दिया जायेगा।जिसकी घोषणा आज के प्रेस कांफ्रेस से हमारे द्वारा की जाती हैं और यदि प्रशासन उस भूमि पर शादी घर का निर्माण कराना नही चाहता है तो हमारी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की बहन अंजली दूबे के मांग के अनुसार कन्या महाविद्यालय के खेल मैदान के लिए देना चाहता है तो भी हमें कोई आपत्ती नही है।शासकीय मद में दर्ज भूमि को शासन जैसा उचित समझे भूमि का उपयोग करें। हमारे द्वारा शासकीय हित में त्यजन करने का आवेदन दे दिया गया है इस पर प्रशासन चाहे तो एक दिन में कार्यवाही कर नियमानुसार एवं विधिक रूप से भूमि प्राप्त कर लंबी न्यायालीन प्रक्रिया से मुक्त हो सकेग और नगर हित में त्वरिक किसी भी प्रकार का निर्णय लेने को स्वतंत्र होगा। जनभागीदारी से जब रायगढ़ का मेडिकल कॉलेज संचालित हो सकता है तो हम सब अपने नगर के लिए एक खुबसूरत एवं भव्य शादी घर का निर्माण यदी चाह लें तो क्यों नही कर सकते। शहर के लिए सर्वसुविधायुक्त शादी घर निर्माण कराने की अपनी भावनाओं से प्रशासन को अवगत कराने और इस दिशा में उचित कार्यवाही करने का प्रयास हमारे द्वारा किया जावेगा।
साथ ही जनभागीदारी का प्रस्ताव का सुझाव हमारे द्वारा प्रथक से संलग्न कर आप सबके समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है।
संजय अग्रवाल