बिलासपुर / चिरमिरी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व महाधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा के खिलाफ गलत तरीके से किए जाने वाले जांच के विरुद्ध रिट याचिका प्रस्तुत किया है इस रिट याचिका में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के द्वारा नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है.
आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने अपनी याचिका में लिखा है कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में छत्तीसगढ़ शासन और लघु वनोपज सहकारी संघ मर्यादित तेंदूपत्ता संघ के विरुद्ध दो जनहित याचिकाएं WP(PIL) No.-21/2018 (संत कुमार नेताम विरुद्ध छत्तीसगढ़ राज्य व अन्य) तथा WP(PIL) No.-28/2018 (अमरनाथ अग्रवाल विरुद्ध छत्तीसगढ़ राज्य व अन्य) प्रस्तुत की गई थी. इन दोनों जनहित याचिकाओं के प्रत्येक सुनवाई दिनांक को न्यायालय के समक्ष राज्य सरकार के तात्कालिक महाधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा राज्य सरकार की ओर से तथा तेंदूपत्ता संघ की ओर से उनके अधिवक्ता उपस्थित होते रहे. यह दोनों जनहित याचिकाएं दिनांक-25.04.2018 को निरस्त हो गई.
आरटीआई कार्यकर्ता को सूचना का अधिकार पर प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनांक-08.05.2018 को तेंदूपत्ता संघ के द्वारा तात्कालिक महाधिवक्ता गिल्डा के खाते में 13 लाख रुपए जमा कर दी गई.
उक्त संबंध में आरटीआई कार्यकर्ता ने संपूर्ण दस्तावेज के साथ शिकायत प्रस्तुत किया. आरटीआई कार्यकर्ता के शिकायत पर मार्गदर्शन चाहा गया है. तेंदूपत्ता संघ के द्वारा शिकायत पर मार्गदर्शन इस लेख के साथ मांगा गया है कि ‘’उक्त दोनों जनहित याचिकाओं में श्री गिल्डा विभिन्न तिथियों में प्रकरणों की पैरवी हेतु अन्य अधिवक्ताओं के साथ निर्धारित तिथि पर उपस्थित हुए थे एवं उनके द्वारा पत्र दिनांक-26.04.2018 द्वारा विभिन्न तिथियों पर सुनवाई के दौरान उपस्थित होने के एवज में राशि की मांग की गई थी, जिसका भुगतान संघ के द्वारा किया गया है.” तेंदूपत्ता संघ का यह पत्र त्रुटिपूर्ण है क्योंकि तात्कालिक महाधिवक्ता गिल्डा उक्त दोनों जनहित याचिकाओं की सुनवाई के किसी भी तिथि पर तेंदूपत्ता संघ की ओर से उपस्थित नहीं हुए. इस तथ्य के विपरीत तेंदूपत्ता संघ के द्वारा उक्त दोनों जनहित याचिकाओं में श्री गिल्डा को उपस्थित होने के लिए व्यवसायिक फीस का भुगतान किया गया. इस तथ्य से आरंभ होने वाला जांच विधिक रुप से त्रुटिपूर्ण है.
तात्कालिक महाधिवक्ता को बिना कार्य किए इतनी बड़ी फीस का भुगतान किस आधार पर किया गया जांच का विषय है. ऐसे गंभीर विषय पर जांच ना कर विभाग किसी व्यक्ति को बचाने की कोशिश कर रहा है. इस कारण इस पर निष्पक्ष जांच किया जाना चाहिए. तेंदूपत्ता संघ के जिम्मेदार अधिकारी के द्वारा शासकीय धन का दुरुपयोग करते हुए किसी व्यक्ति को धन संबंधी लाभ पहुंचाया गया जो भारतीय दंड संहिता तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के विभिन्न धाराओं के तहत आपराधिक मामला है.
तेंदूपत्ता संघ के द्वारा दिनांक-01.09.2016 को एक पत्र जारी कर विभिन्न कार्यों के लिए अधिवक्ताओं को देने वाले फीस का निर्धारण किया गया. इस निर्धारित फीस से कई गुना अधिक फीस का भुगतान गिल्डा को तेंदूपत्ता संघ के द्वारा किया गया है यह भी निष्पक्ष जांच का विषय है.
तेंदूपत्ता संघ का उपरोक्त पत्र दिनांक-16.04.2018 त्रुटिपूर्ण था. इसके सुधार के लिए आरटीआई कार्यकर्ता ने दिनांक- 29.04.2019 तथा 01.05.2019 को पत्र भेजा जिस पर कोई कार्रवाई नहीं होने से दिनांक-27.05.2019 को एक स्मरण पत्र भेजा, इसके बाद भी उपरोक्त पत्र दिनांक-16.04.2019 में कोई सुधार नहीं किया गया, और ना ही जांच को विधिवत ढंग से किया जा रहा है.
आरटीआई कार्यकर्ता के शिकायती पत्र पर गलत तरीके से किए जा रहे जांच को ठीक करने के लिए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में रिट याचिका पेश किया गया इस रिट याचिका में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से इंस्ट्रक्शन और तेंदूपत्ता संघ से नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है.
