सफर कोरिया के कुमार का – ( 1930 से 2018 तक का सफर )
कोरिया / छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता स्व. रामचन्द्र सिंहदेव जी का कल जन्म जयंती है, वो हमेशा कहते थे एक ज़िन्दगी है और इसे पूरे स्वाभिमान के साथ जीना चाहता हूं. अपने सिद्धांत के साथ समझौता करना मेरी फितरत में नहीं है.
जन-जन उन्हें ‘कोरिया कुमार’ के नाम से जानता था और छत्तीसगढ़ के आमजन के ह्रदय में उनके लिए विशेष स्थान था. जीवन के अंतिम पड़ाव में भी एक युवा जैसी सोच और हिम्मत के लिए मशहूर थे. राजनीति में एक मंझे हुए कुशल खिलाड़ी जिन्हें पराजित करना असंभव था इसलिए उन्हें अपराजेय योद्धा के नाम से भी जाना जाता था.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 13 फरवरी को बैकुण्ठपुर में स्वर्गीय डॉ. रामचंद्र सिंहदेव की प्रतिमा का अनावरण करेंगे इस दौरान मुख्यमंत्री श्री बघेल स्वर्गीय डॉ. सिंहदेव के समाधि स्थल पहुंचकर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, गृह, लोक निर्माण एवं जिले के प्रभारी मंत्री ताम्रध्वज साहू, स्वास्थ्य मंत्री टी. एस. सिंहदेव, कृषि एवं जैव प्रौद्योगिकी, जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, सांसद श्रीमती ज्योत्सना महंत, संसदीय सचिव एवं बैकुंठपुर विधायक श्रीमती अंबिका सिंहदेव सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि कार्यक्रम में शामिल होंगे।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज कांग्रेसी नेता अर्जुन सिंह कॉलेज में उनके जूनियर रहे थे. स्वच्छ राजनीति का चेहरा रहे रामचंद्र सिंहदेव ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा छत्तीसगढ़ के रायपुर के ही राजकुमार कॉलेज से पूरी की. कोरिया नरेश के नाम से मशहूर रामचंद्र इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए इलाहाबाद चले गए, जहां उन्होंने लाइफ साइंस में पीएचडी की.
रामचंद्र सिंह देव अपने पिता के स्वर्गवास के बाद कोरिया आ गए. इसके पहले कोलकाता में कारोबार करते थे, बाद में उन्हें लगा कि अपने प्रदेशवासियों के लिए कुछ किया जाए. इसकी वजह से वे राजनीति में आये और कोरिया से चुनाव लडे़. वे लगातार 6 बार कांग्रेस से विधायक रहे और 4 बार मंत्री भी रहे. रामचंद्र सिंह देव ने मंत्री रहते हुए कभी सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल नहीं किया. वे अपने आस-पास पुलिस का पहरा भी पसंद नहीं करते थे.
कांग्रेस पार्टी से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले डॉ. रामचन्द्र सिंहदेव को साल 1990 के आसपास चुनाव में कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया. फिर वे निर्दलीय लड़े और शानदान जित हासिल की. पहली बार अविभाजित मध्य प्रदेश के रहे मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह ने उन्हें मंत्री बनाया था. जब कोरिया महाराज दिसंबर 2000 में नवगठित छत्तीसगढ़ राज्य के पहले वित्त मंत्री बनाए गए और जब सारे मंत्री बड़े-बड़े और आलीशान बंगले रहने के लिए ढूंढ रहे थे तब सिंहदेव ने तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी अरूण कुमार को बुलाकर कहा कि उन्हें ऐसा घर दिया जाए जो सबसे छोटा हो, चाहे उसमें दो कमरे हों. वे राजकुमार होकर भी सम्मान्य व्यक्ति की तरह रहे और मस्तमौला जीवन जिए. नए और छोटे राज्य के पहले वित्त मंत्री के रूप उनके वित्तीय प्रबंधन के छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी भी कायल रहे.
राजनीतिक गलियारों में सभी लोग सिंहदेव को कुमार साहब ही बुलाते हैं. हालांकि वे इसे अक्सर पसंद नहीं करते थे. एक बार विधानसभा में किसी मुद्दे पर बहस चल रही थी. राज्य में भाजपा की सरकार बन गई चुकी थी. विपक्ष के विधायक के रूप में सिंहदेव तर्क रख रहे थे, तब मंत्री बृजमोहन अग्रवाल उन्हें बार-बार राजा साहब-राजा साहब कहकर टोकाटाकी कर रहे थे. इससे सिंहदेव चिढ़ गए. उन्होंने कहा कि – अरे क्या राजा साहब-राजा साहब कर रहे हो. खत्म हो गए राजा. खत्म हो गए रजवाड़े. इस पर पूरे सदन में जोरदार ठहाका लगा था.
सन 2008 में कोरिया कुमार ने राजनीति से संन्यास ले लिया. वे चुनावों में पैसे और शराब बांटने का विरोध करते थे और इन्हीं चीजों से नाराज होकर उन्होंने राजनीति छोड़ दी थी. कुमार साहब के अनुसार अब राजनीती में धनबल एवं बाहुबल का प्रचलन बढ़ गया है, वे हमेंशा कहते कि जनहित की राजनीति ख़त्म होते जा रही है.
कहते हैं कि फोटोग्राफी रामचंद्र सिंहदेव के रग-रग में बसती थी.बीते जमाने में फ़िल्म अदाकारा नरगिस के वे इतने बड़े फैन थे कि उनकी तस्वीरे लेने अक्सर वो मुम्बई जाया करते थे. इसी बीच वो भी दौर आया जब सिंहदेव सन 1950 में नर्गिस की एक बेहतरनी फोटो खींची जिसके बाद वे पूरे देश में चर्चित हो गए. कुछ साल पहले रायपुर आईं नरगिस की बेटी और एक्टरर संजय दत्तर की बहन प्रिया जब छत्तीसगढ़ के दौरे पर आई थी, तब उन्होंने नरगिस की खुद की खींची एक पुरानी तस्वीर उन्हें भेंट की था. कोरिया कुमार ने अपने घर की दीवारों को अभिनेत्री नरगिस की तस्वीरों से सजा रखा था. नरगिस के तारीफ करते हुए हमेशा वो कहते थे – She is a Classical beauty.
कुमार साहब का निधन एक बड़ी क्षति है, वो हमेशा कहते थे एक ज़िन्दगी है और इसे पूरे स्वाभिमान के साथ जीना चाहता हूं. अपने सिद्धांत के साथ समझौता करना मेरी फितरत में नहीं है.