नईदिल्ली : बाबा श्री अमरनाथ बर्फानी की पवित्र गुफा के बाहर का सारा नजारा आने वाले समय में नए स्वरुप में दिखेगा। पवित्र गुफा के बाहर का सारा ढांचा नया बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। लुधियाना के आर्किटेक्ट नवल कुमार ने इसका डिजाइन तैयार किया है।
नए डिजाइन के दौरान श्रद्धालु आने वाले दिनों में बिना किसी धक्का-मुक्की के बाबा बर्फानी के आराम से दर्शन कर पाएंगे। पांच लाइनों में नया ढांचा तैयार किया जा रहा है, जिसमें 100 से ज्यादा श्रद्धालु एक बार में ही गुफा के प्रांगण में खड़े होकर बाबा बर्फाने के दर्शन कर सकेंगे।
रविवार को श्री अमरनाथ यात्रा भंडारा आर्गेनाइजेशन (साइबो) की तरफ से एक मीटिंग का आयोजन किया गया। जिसमें देश के अलग अलग हिस्सों से पहुंचे भंडारा संस्थाओं ने पहुंच कर अपनी हाजिरी थी। वहीं भंडारा संस्थाओं ने अपनी तकलीफे भी बताई और साथ ही साथ अपने सुझाव भी दिए।
आर्किटेक्ट नवल ने बताया कि पहले श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने के लिए अस्थायी लाइनों में खड़े होते थे। अब गुफा में 5 विशेष लाइनें बनाई जा रही है। ये लाइनें बाबा बर्फानी जी के पवित्र शिवलिंग से कुछ दूरी पर बनाई जा रही है, ताकि एक बार में 100 से ज्यादा श्रद्धालु आसानी से बाबा के दर्शन कर सकें। गुफा में गर्मी न लगे, इसके लिए प्लेटफॉर्म तैयार किया गया है।
तैयारियां शुरू हो चुकी हैं : राजन कपूर
श्री अमरनाथ भंडारा संगठन साइबो के अध्यक्ष राजन कपूर ने बताया कि यात्रा की तैयारियां शुरू हो गई हैं। आज 150 से अधिक भंडारा आयोजक आए हैं। कुछ भंडारा आयोजक प्रयागराज गए हैं। आने वाले एक या दो दिन में सभी भंडारा संचालकों के पास श्राइन बोर्ड की ओर से आमंत्रण पत्र पहुंच जाएंगे। भंडारा आयोजकों की कई प्रमुख मांगें हैं, जिनमें से कई का समाधान हो चुका है और कई बाकी हैं।
माता श्री वैष्णो देवी जी यात्रा के जैसे हो यात्रा पास
पिछले 26 साल से भंडारा संचालन करने वाली संस्था बर्फानी सेवा समिति के प्रधान बलदेव अरोड़ा ने बताया कि यात्रियों की रजिस्टेशन होनी ही नहीं चाहिए। मेडिकल सिस्टम होना नहीं चाहिए। रजिस्ट्रेशन और मेडिकल सिस्टम इतना कठिन है कि कई यात्री इसी को देखकर यात्रा पर जाना ही कैंसिल कर देते हैं।
अगर रजिस्ट्रेशन और मेडिकल प्रक्रिया यहां से बंद कर बालटाल या फिर पहलगाम में रजिस्ट्रेशन और मेडिकल शुरू कर दिया जाए तो अच्छा रहेगा। जैसे माता श्री वैष्णो देवी यात्रा करने से पहले पर्ची दी जाती है वैसे ही सिस्टम बना देना चाहिए। दोनों यात्राएं जम्मू कश्मीर सरकार के अधीन आती है और दोनों के चेयरमैन राज्यपाल है। वह कोई भी फैसला ले सकते है।