रायपुर (होस): जब होली आती है, तो लोग रंग में डूब जाते हैं, लेकिन केदार गुप्ता जी तो इस बार पूरे राजनीति के तालाब में छलांग लगा चुके हैं! उन्होंने ऐलान कर दिया है कि अब ‘खरी-खरी’ पार्टी बनेगी और भ्रष्टाचारियों की ऐसे छुट्टी होगी जैसे होली के बाद गुझिया की थाली साफ हो जाती है!
गुप्ता जी ने कहा, “अब तक तो भ्रष्टाचारियों ने खूब मलाई खाई, लेकिन अब उनकी थाली में सिर्फ कानून की लाठी परोसी जाएगी!” उनके इस बयान के बाद से कुछ नेता अपना भेष बदलकर होली के हुड़दंग में छिपने की कोशिश कर रहे हैं, तो कुछ ‘भ्रष्टाचार मुक्ति यज्ञ’ की तैयारी में जुट गए हैं!

भ्रष्टाचारियों के लिए खतरे की घंटी या घड़ियाल की घंटी?
केदार गुप्ता का कहना है कि उनकी पार्टी में एक भी दागी नेता नहीं होगा। अब दागियों के लिए समस्या यह हो गई है कि “नहाएंगे तो दाग धुल जाएंगे, लेकिन चुनाव लड़ने के लायक नहीं बचेंगे!”
होली में सच बोलने की आज़ादी और नेताजी की घबराहट!
होली वैसे भी सच बोलने का त्योहार है, और इसी मौके पर गुप्ता जी ने जो सच बोला, उससे कई बड़े नेता अभी से ठंडाई में ज्यादा भांग डालने लगे हैं! कुछ कह रहे हैं कि “भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ना अच्छी बात है, लेकिन भाई, पहले हमें बताओ कि जेल में रहने का अनुभव तुम्हें कहां से मिला?”
गुप्ता जी ने हंसते हुए जवाब दिया, “भ्रष्टाचारियों के बीच रहकर ईमानदारी सीखना भी एक कला है! अब बस वही कला दिखाने का समय आ गया है!”
गुलाल नहीं, कानून का डंडा चलेगा!
गुप्ता जी ने कहा कि उनकी पार्टी किसी को रंग से नहीं, बल्कि कानून की धाराओं से रंगेगी। भ्रष्ट नेताओं के लिए अब यह तय करना मुश्किल हो गया है कि होली पर गुलाल लगाएं या जमानत की अर्जी तैयार रखें!
अब देखना ये है कि ‘खरी-खरी’ पार्टी वाकई खरी साबित होती है या राजनीति के ‘गोलगप्पे’ में सिर्फ एक और चटपटा स्वाद भरने आई है! एक बात तो तय है—इस होली पर नेताओं की ‘खुशियों की पिचकारी’ में ‘खरी-खरी की ठसक’ जरूर घुल चुकी है!