00 सीएम बघेल ने ट्विट कर दी श्रधांजली, कहा छत्तीसगढ़ प्रदेश के लिए एक बड़ी राजनीतिक क्षति
रायपुर / छग के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी की सांसे आज थम गईं। राजधानी के एक निजी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांसे ली। उनकी सेहत में सुधारने लाने के तमाम प्रयास आखिरकार असफल साबित हुए। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन की खबर के साथ ही उनके समर्थकों में घोर निराशा फैल गई है, वहीं प्रदेशभर में यह खबर आग की तरह फैल गई है।
बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी 9 मई को नाश्ता करने के दौरान अचानक कार्डियक अरेस्ट के शिकार हुए, जिसके बाद उन्हें तत्काल राजधानी के एक निजी अस्पताल में दाखिल किया गया। उपचार शुरू करने के बाद बात सामने आई कि उनके गले में एक बीज फंसे गया था, जिसकी वजह से उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ था, इसके बाद उनके समर्थकों में एक उम्मीद जाग गई थी, लेकिन आज पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी उन सभी की उम्मीदों को तोड़कर हमेशा के लिए विदा हो गए।
सीएम बघेल ने ट्विट कर दी श्रधांजली, कहा छत्तीसगढ़ प्रदेश के लिए एक बड़ी राजनीतिक क्षति
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी नहीं रहे। 20 दिनों से लगातार नारायण अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था .अजित जोगी को 48 घंटे के भीतर 2 बार कॉर्डियक अरेस्ट आया था। शुक्रवार की दोपहर 3.30 में उन्होंने अंतिम सांसे ली । जोगी के निधन की सुचना मिलते ही समर्थकों में शोक की लहर उमड़ पड़ी है। इसी कड़ी में प्रदेश के सीएम बघेल ने ट्विट करते हुए उन्हें श्रधान्जली अर्पित की है सीएम बघेल ने ट्विट कर कहा कि श्री जोगी का निधन छत्तीसगढ़ की राजनीतिक के लिए एक बड़ी क्षति है।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का निधन हो गया है. 74 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली. अजीत जोगी को कार्डियक अरेस्ट के बाद अस्तपाल में भर्ती कराया गया था. बीते 9 मई से वे अस्पताल में भर्ती थे. अजीत जोगी को वेंटिलेटर की मदद से सांस दी जा रही थी. तब से उनकी मस्तिष्क की गतिविधियां बहुत कम थी. काफी दिनों से अजीत जोगी की हालत नाजुक बनी हुई थी. तकरीबन 20 दिनों से जोगी कोमा में ही थे. बुधवार देर रात उनका फिर कार्डियक अरेस्ट हुआ था. फिर शुक्रवार को दोबारा उनकी हालत बिगड़ी थी. 9 मई को सुबह करीब 10-11 बजे के बीच अजीत जोगी तैयार होने के बाद अपने लॉन में व्हीलचेयर के माध्यम से टहल रहे थे. उस दौरान गंगा इमली भी खाए थे जिसके बाद उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ था. गंभीर स्थिति में राजधानी रायपुर के देवेंद्र नगर स्थित नारायणा अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया. तब से लेकर आज तक स्थिति गंभीर बनी हुई है. बीते 15 दिनों से वे कोमा में चल रहे हैं. तो वहीं देशभर के अलग-अलग अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टरों से टेली कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चर्चा कर अजीत जोगी का उपचार किया जा रहा है. उन्हें लगातार वेंटिलेटर के माध्यम से सांस दी जा रही है, तो वहीं उनके ब्रेन को एक्टिव करने के लिए म्यूजिक थेरेपी का भी सहारा लिया जा रहा है.
इंजीनियर, शिक्षक, कलक्टर और आदिवासी नेता – बिलासपुर के पेंड्रा रोड में जन्मे अजीत जोगी शुरू से ही राजनीति में रहे हों, ऐसा नहीं है. विनोद वर्मा ने अपनी किताब ‘गढ़ छत्तीस’ में अजीत जोगी का परिचय विस्तार से दिया है. इसके मुताबिक जोगी ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा हासिल की. इसके बाद कुछ दिन तक रायपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में शिक्षक भी रहे. फिर उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी IAS ज्वाइन की. इस सेवा में रहते हुए उन्होंने इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, सीधी, शहडोल और रायुपर के कलेक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दीं. इन शहरों के प्रशासनिक मुखिया के तौर पर अजीत जोगी ने खूब राजनीतिक अनुभव हासिल किया. वे दूरदर्शी थे ही, पढ़ने-लिखने में भी रुचि थी. ऐसे में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की नजर उन पर पड़ी और जोगी इस दिग्गज कांग्रेस के करीब आ गए.
राजीव गांधी से मुलाकात – पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, राजनीति में आने से पहले इंडियन एयरलाइंस के पायलट हुआ करते थे. विनोद वर्मा अपनी किताब में लिखते हैं, ‘एक बार राजीव गांधी विमान लेकर रायपुर आए तो एयरपोर्ट पर उनकी आवभगत शहर के तत्कालीन जिलाधीश अजीत जोगी ने की. जिसका प्रतिफल उन्हें बाद में चलकर हासिल हुआ.’ जब राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने, उस समय अजीत जोगी इंदौर के कलेक्टर थे. इसी समय अर्जुन सिंह की सिफारिश और राजीव गांधी के कहने पर जोगी ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और राज्यसभा पहुंच गए. इसमें छत्तीसगढ़ के चर्चित नेता विद्याचरण शुक्ल और माधवराव सिंधिया ने भी उनकी मदद की.
छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री – कांग्रेस में रहते हुए जोगी ने धीरे-धीरे ऊंचाइयां तय की. 1986 से 1998 तक राज्यसभा में बिताने के बाद 1998 में ही वे रायगढ़ से लोकसभा का चुनाव लड़े और जीत गए. लेकिन 13 महीने में केंद्र की सरकार गिर गई और जोगी ने 1999 में शहडोल से चुनावी लड़ाई का मन बनाया. लेकिन इस चुनाव में वे हार गए. इसी दौरान कांग्रेस ने उन्हें छत्तीसगढ़ क्षेत्र के लिए पार्टी का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया. इसी दौरान छत्तीसगढ़ राज्य बनने की मुहिम शुरू हो गई और कांग्रेस में दिग्वजिय खेमे ने राज्य में आदिवासी मुख्यमंत्री की वकालत की. शुक्ल-बंधुओं से कांग्रेस के स्थानीय नेताओं की दूरी का फायदा, अजीत जोगी को मिला और वे छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बन गए.