रजनीकांत ने फिर किया इशारा, कहा- राजनीति में आने का हूं इच्छुक
‘लीडर’ रजनीकांत के बारे में ये सब बाते यूं ही नहीं चल रही। वो खुद ही कम से कम 2 बड़े मौकों पर ‘अपने’ लोगों को ‘अपनी’ ओर खींचने की कोशिश कर चुके हैं, तो उनके साथी भी ऐसे ही संकेत दे रहे हैं। खुद रजनीकांत के खास दोस्त और आरएसएस के स्वदेशी जागरण मंच से जुड़े स्वामीनाथन गुरुमूर्ति(एस.गुरुमूर्ति) ने भी संकेत दिए हैं कि ‘थलाइवा’ कुछ समय में ‘अपनों’ की ‘बेहतरी’ के लिए ‘बड़ा’ कदम उठाएंगे। वो अभी उस ‘बड़े कदम’ उठाने की तैयारियों में जुटे हैं और अपने ‘खास सिपहसालारों’ से मिल रहे हैं। स्वामीनाथन गुरुमूर्ति खुद रजनीकांत के अच्छे दोस्त हैं और उन्होंने अपनी ‘दोस्ती’ के लिए ही ये खुलासा टीओआई को दिए ‘खास इंटरव्यू’ में किया है।
मौजूदा समय में तमिलनाडु की राजनीति को देखें तो इस समय तमिल लोगों को वाकई एक ‘थलाइवा’ की जरूरत है। तमिलनाडु की सरकार एआईएडीएमके चला रही है, जो अभी दो-फाड़ दिख रही है। विपक्ष में डीएमके है, जो खुद दो फाड़ दिखने के साथ ही भ्रष्टाचार के आरोपों में कलंकित है। करिश्माई ‘अम्मा’ अब रही नहीं, जिन्हें एमजीआर लाए थे। तो एमजीआर जिसकी वजह से राजनीति में बड़ा नाम बने, वो ‘विलैन करुणानिधि’ भी धार खो चुका है। ऐसे में तमिलनाडु के लोगों को अपने उस ‘थलाइवा’ का इंतजार है, जो उनकी किस्मत पलट सके।
अपनी ही पार्टी क्यों बनाएंगे ‘थलाइवा’ रजनीकांत?
रजनीकांत पहले ही हिंट दे चुके हैं कि वो अपनी ही पार्टी बनाएंगे। उन्होंने चेन्नाई में अपने ‘चाहने वालों’ से कहा था कि ईश्वर ही इस बात का फैसला करते हैं कि हम जिंदगी में क्या करेंगे। फिलहाल वह चाहते हैं कि मैं एक अभिनेता रहूं और मैं अपनी जिम्मेदारी निभा रहा हूं। अगर ईश्वर ने चाहा तो भविष्य में मैं राजनीति में प्रवेश करूंगा। अगर मैं राजनीति में गया तो मैं बेहद ईमानदारी से काम करूंगा और पैसे कमाने के लिए राजनीति में आने वालों का साथ नहीं दूंगा।
वैसे भी रजनीकांत 21 सालों पहले जयललिता का सिर्फ विरोध करके जयललिता को बुरी तरह की हार चखा चुके हैं। हालांकि रजनी इसे अपनी भूल करार देते हैं। पर अगर खुद रजनीकांत अपनी पार्ट बनाकर सामने आ जाएं, तो ‘थलाइवा’ की धमक को अभी से महसूस किया जा सकता है।
बार बार एमजीआर का नाम क्यों आ रहा है?
एमजीआर ऐसे शख्सियस थे, जिन्हें तमिलनाडु के लोगों ने सर आंखों पर बिठा रखा था। वो तमिल सिनेमा के सुपरस्टार थे और पौराणिक चरित्रों को निभाकर जनता के बीच ‘मक्कल थिलागम’ की उपाधि पा चुके थे। मक्कल थिलागम का मतलब होता है ‘आम लोगों का राजा’ और जब डीएमके ने उन्हें पार्टी से निकाला, तो उस समय कांग्रेस के बेहद शानदार नेता कामराज ने उन्हें पार्टी में न लेकर डीएमके को सत्ता से हटाने का प्लान बनाया। एमजीआर ने 1972 में अलग पार्टी बनाई और अगले चुनाव में भारी जीत दर्ज की। इस दौरान वो पार्टी की मजबूती के लिए काम करते रहे और पार्टी की1977 में जीत के बाद से 1987 में अपनी मौत के समय तक लगातार 10 सालों तक मुख्यमंत्री रहे। अब देखना ये है कि क्या रजनीकांत आम लोगों के ‘थलाइवा’ बनने के लिए तैयार होते भी हैं? अगर वो तैयार होते हैं, तो उनकी तैयारियां और उनके साथियों के बारे में भी जानना दिलचस्प रहेगा।साभार/अमर उजाला …