प्रयागराज। अघोरी साधुओं को लेकर समाज में कई मिथक और भ्रम हैं, लेकिन उनका जीवन एक गहरे रहस्य से घिरा हुआ है। अघोरी साधु भगवान शिव के अनुयायी होते हैं और उनका जीवन पूरी तरह से पारंपरिक साधुओं से अलग होता है। आइए जानते हैं अघोरियों के बारे में 5 रहस्यमयी बातें जो आपको उनकी दुनिया को समझने में मदद करेंगी।
अघोरियों को दी जाती है कठिन दीक्षा-
अघोरी बनने के लिए शिष्य को कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। दीक्षा देने से पहले, शिष्य को तीन साल तक गुरु की सेवा करनी होती है, ताकि वह मानसिक और शारीरिक रूप से अघोरी पंथ की जटिल साधनाओं को समझ सके। इस अवधि में गुरु शिष्य के समर्पण, साहस और धैर्य का परीक्षण करते हैं।
तीन प्रकार की साधना-
अघोरी साधुओं की साधना तीन प्रमुख प्रकार की होती है। जिसमें पहला श्मसान साधना- श्मशान घाटों में बैठकर ध्यान और साधना की जाती है, जो मानसिक और आत्मिक शांति का उद्देश्य रखती है। दूसरा शिव साधना- इसमें शिव की आराधना की जाती है, जिन्हें अघोरी परम चेतना और ब्रह्मांड का रचयिता मानते हैं। तीसरा शव साधना- इसमें शव के साथ कर्मकांड और अनुष्ठान किए जाते हैं, जहां शव को प्रसाद के रूप में मांस और मदिरा अर्पित की जाती है।
अघोरी और काला जादू: विवादित विषय-
अघोरियों को लेकर कई भ्रांतियां फैल चुकी हैं, जिनमें से एक यह है कि वे काला जादू करते हैं। हालांकि, इस विषय पर मतभेद हैं। कुछ लोग मानते हैं कि अघोरियों के पास विशेष तांत्रिक शक्तियां होती हैं, जबकि अन्य इसको सिर्फ मिथक मानते हैं।
मानव खोपड़ी का रहस्य-
अघोरी साधुओं के पास मानव खोपड़ी का होना एक रहस्यमयी परंपरा है। यह खोपड़ियां उन साधकों की होती हैं, जिन्होंने अपनी मृत्यु से पहले यह इच्छा जताई थी कि उनकी खोपड़ी अघोरियों को अर्पित की जाए। इसके पीछे कई धार्मिक मान्यताएं और रहस्य जुड़ी हुई हैं।
अघोरियों के लंबे बाल-
अघोरी साधु अपने लंबे बालों के लिए प्रसिद्ध होते हैं। यह बाल भगवान शिव के प्रति सम्मान के रूप में बढ़ाए जाते हैं, जो स्वयं जटाधारी हैं। लंबा बाल उन्हें बाहरी दुनिया से अलग रखने का प्रतीक माना जाता है। अघोरी साधुओं का जीवन एक जटिल, रहस्यमयी और अप्रत्याशित दुनिया है, जो अपने उद्देश्य के लिए समाज की पारंपरिक धारा से पूरी तरह से अलग रहता है। उनकी साधना और जीवनशैली आज भी लोगों के लिए एक पहेली बनी हुई है।