Sunday, June 29, 2025
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सांसदों को बड़ी सौगात: वेतन में 24% की बढ़ोतरी, भत्तों और पेंशन में भी इजाफा, 1.24 लाख प्रतिमाह मिलेगा अब

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नई दिल्ली, 24 मार्च — केंद्र सरकार ने महंगाई को ध्यान में रखते हुए सांसदों के वेतन में 24 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। यह वृद्धि 1 अप्रैल 2023 से प्रभावी होगी। संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी अधिसूचना के अनुसार, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों का वेतन अब 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.24 लाख रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है। इसके अलावा दैनिक भत्ता भी 2,000 रुपये से बढ़ाकर 2,500 रुपये कर दिया गया है।

पूर्व सांसदों की पेंशन में भी इजाफा

सांसदों के साथ-साथ पूर्व सांसदों को भी बड़ी राहत मिली है। उनकी मासिक पेंशन 25,000 रुपये से बढ़ाकर 31,000 रुपये कर दी गई है। वहीं, पांच साल से अधिक की सेवा पर प्रत्येक वर्ष के लिए अतिरिक्त पेंशन अब 2,000 रुपये की जगह 2,500 रुपये होगी।

पांच साल बाद फिर हुई वेतन में बढ़ोतरी

सांसदों के वेतन में इससे पहले आखिरी बार अप्रैल 2018 में संशोधन किया गया था। तब महंगाई और जीवन-यापन की बढ़ती लागत को ध्यान में रखते हुए वेतन 1 लाख रुपये किया गया था। उस समय निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 70,000 रुपये, कार्यालय भत्ता 60,000 रुपये और संसदीय सत्रों के दौरान दैनिक भत्ता 2,000 रुपये निर्धारित किया गया था। अब इन सभी भत्तों में भी वृद्धि की जाएगी।

सुविधाओं में भी हुआ संशोधन

वेतन और भत्तों के साथ-साथ सांसदों को दी जाने वाली अन्य सुविधाओं में भी बढ़ोतरी की गई है। वर्तमान में सांसदों को निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध होंगी:

  • फोन और इंटरनेट: वार्षिक भत्ते के तहत निशुल्क उपयोग।
  • हवाई यात्रा: प्रति वर्ष 34 घरेलू उड़ानों का मुफ्त लाभ।
  • ट्रेन यात्रा: किसी भी समय प्रथम श्रेणी में मुफ्त यात्रा।
  • सड़क यात्रा: माइलेज भत्ता का भी दावा कर सकते हैं।

बिजली-पानी मुफ्त

सांसदों को दिल्ली में किराया-मुक्त सरकारी आवास के साथ बिजली और पानी की मुफ्त आपूर्ति भी मिलती है। वे अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान निम्नलिखित लाभ उठा सकते हैं:

  • 50,000 यूनिट मुफ्त बिजली।
  • 4,000 किलोलीटर मुफ्त पानी।

कानूनी प्रावधानों के तहत संशोधन

यह वेतन वृद्धि “सांसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम, 1954” के तहत की गई है। इस अधिनियम के तहत सरकार को समय-समय पर महंगाई के आधार पर संशोधन का अधिकार प्राप्त है। सरकार का कहना है कि यह वृद्धि सांसदों के जीवन-यापन और बढ़ती लागत को देखते हुए की गई है।

विपक्ष ने भी सराहा कदम

सरकार के इस फैसले का विपक्षी दलों ने भी स्वागत किया है। एक वरिष्ठ विपक्षी नेता ने कहा, “महंगाई के इस दौर में सांसदों को अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए यह संशोधन आवश्यक था।”

जनता की राय बंटी

हालांकि, कुछ वर्गों में इसे लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। जहां एक ओर समर्थक इसे सांसदों के कार्यभार के अनुसार उचित बता रहे हैं, वहीं कुछ लोगों का कहना है कि देश में आम आदमी की आर्थिक स्थिति बेहतर बनाने पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।

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