उज्जैन। मध्यप्रदेश का धार्मिक शहर उज्जैन महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है, लेकिन यहां एक ऐसा प्राचीन मंदिर भी है जिसके रहस्य को आज तक कोई वैज्ञानिक, शोधकर्ता या धर्मशास्त्री सुलझा नहीं सका। यह है काल भैरव मंदिर, जहाँ भगवान काल भैरव की प्रतिमा के सामने शराब चढ़ाने की परंपरा है और दावा किया जाता है कि प्रतिमा सेकंडों में शराब पी लेती है। सैकड़ों साल से लाखों लोग इस चमत्कार के साक्षी बनते आ रहे हैं और यही कारण है कि यह परंपरा विश्वभर के पर्यटकों और शोधकर्ताओं को आकर्षित करती है।
सदियों पुराने इतिहास का चमत्कार
काल भैरव मंदिर का संदर्भ प्राचीन ग्रंथ अवंतिका माहात्म्य में भी मिलता है। माना जाता है कि उज्जैन की रक्षा का भार काल भैरव पर ही है। महाकाल मंदिर के साथ इनकी पूजा अनिवार्य मानी जाती है। प्रचलित मान्यता है कि जो भी महाकाल के दर्शन करने आता है, उसकी यात्रा तब तक पूरी नहीं मानी जाती जब तक वह काल भैरव के दर्शन न कर ले। यहां शराब का चढ़ावा कोई आधुनिक परंपरा नहीं, बल्कि कई शताब्दियों से uninterrupted रूप से चली आ रही एक ऐतिहासिक परंपरा है।

अद्भुत प्रसाद और दिल दहला देने वाला दृश्य
मंदिर के बाहर प्रसाद बेचने वाली दुकानों की पंक्तियां सुबह ही सज जाती हैं। यहां प्रसाद की टोकरी में लड्डू, पुष्प और नारियल के साथ शराब की बोतल शामिल होती है। जैसे ही भक्त गर्भगृह में प्रवेश करता है, पुजारी प्रसाद में से शराब को एक कटोरी में डालता है और प्रतिमा के मुख के समीप ले जाता है। प्रतिमा की स्थिरता के बावजूद शराब आँखों के सामने पानी की तरह गायब होती जाती है। कटोरी खाली हो जाती है, लेकिन जमीन पर एक बूंद भी नहीं गिरती। भक्त भावविभोर हो जाते हैं और कई लोग इस पल को देख कर रो पड़ते हैं। पहली बार देखने वाले इसे जीवन का सबसे आध्यात्मिक अनुभव बताते हैं।
शराब को प्रसाद क्यों माना जाता है?
तंत्र साधना में काल भैरव को सर्वोच्च शक्ति माना गया है। तांत्रिक साहित्य के अनुसार पंचमकार साधना में मद्य यानी शराब का विशेष महत्व है। माना जाता है कि शराब का भोग भैरव उस स्वरूप का प्रतीक है जिसमें ब्रह्मांड की तमोगुणी शक्तियाँ भी ईश्वर के नियंत्रण में होती हैं और भगवान भैरव अपने भक्त के दोष, भय, पाप और कमियों सहित उसे स्वीकार करते हैं। इसलिए यहां शराब चढ़ाना अपवित्र कार्य नहीं बल्कि ईश्वर के प्रति आत्मसमर्पण का प्रतीक माना जाता है।
मनोकामना पूरी होने की मान्यता
मंदिर में आने वाले श्रद्धालु सिर्फ दर्शन के लिए नहीं आते। बड़ी संख्या में लोग व्यापारिक उन्नति, रोजगार में सफलता, बीमारी से मुक्ति, कोर्ट-कचहरी के मामलों, गृह कलह और मानसिक बेचैनी जैसी समस्याओं के समाधान के लिए भैरव बाबा की शरण में आते हैं। कई श्रद्धालु यह दावा करते हैं कि भोग चढ़ाने के बाद जीवन में चमत्कारिक बदलाव आया। यही कारण है कि इस परंपरा में लोगों की श्रद्धा दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है।

वैज्ञानिक खोजें और सदियों से अनसुलझा रहस्य
बीते वर्षों में कई वैज्ञानिक संस्थानों, पत्रकारों और स्वतंत्र शोधकर्ताओं ने प्रतिमा के मदिरापान रहस्य की जांच की। गर्भगृह की मिट्टी और सतह से लेकर प्रतिमा के पीछे और नीचे तक निरीक्षण हुआ। संरचना परीक्षण और थर्मल जांच भी की गई, लेकिन ऐसा कोई सुराख, पाइप, नाली या संरचना नहीं मिली जिससे शराब का बाहर निकलने की संभावना बन सके। प्रतिमा भरी ठोस पत्थर की है, भीतर कोई खोखलापन होने का प्रमाण भी नहीं मिला। इसके बावजूद शराब का गायब होना आज तक असंभव सा रहस्य बना हुआ है। कुछ विशेषज्ञ इसे optical illusion, कैपिलरी प्रभाव या पुजारियों की तकनीक बताने की कोशिश करते हैं, लेकिन किसी की बात प्रमाण के स्तर तक सिद्ध नहीं हो सकी।
विवादों के केंद्र में भी रहा मंदिर
मध्यप्रदेश में धार्मिक स्थलों के पास शराब प्रतिबंध की चर्चा शुरू होने पर यह मंदिर भी विवादों के केंद्र में आ गया था। सामाजिक संगठनों और धार्मिक समूहों ने यहां की परंपरा को समाप्त करने का विरोध किया। एक समय ऐसा भी आया जब सरकारी दबाव के कारण शराब बिक्री पर रोक की बात उठी, लेकिन लाखों श्रद्धालुओं की मांग के बाद यह परंपरा जस की तस बनी रही। श्रद्धालुओं का स्पष्ट तर्क है कि यह परंपरा देवी-देवताओं की श्रद्धा का हिस्सा है, नशाखोरी का नहीं।
विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद
काल भैरव मंदिर की अद्भुत परंपरा की चर्चा अब विश्वभर में फैल चुकी है। विदेशों से आए पर्यटक और डॉक्यूमेंट्री निर्माताओं ने इसे कई बार कैमरे में कैद करने की कोशिश की, लेकिन उत्साह से भरी रिकॉर्डिंग भी रहस्य नहीं खोल सकी। इसके बावजूद यह मंदिर अंतरराष्ट्रीय पर्यटन में आज सबसे लोकप्रिय रहस्यमयी धार्मिक स्थलों में शामिल है।
श्रद्धा बनाम विज्ञान — क्या है निष्कर्ष?
इतिहास कहता है कि प्रतिमा शराब पीती है। भक्त कहते हैं कि आज भी पीती है। वैज्ञानिक कहते हैं कि कोई अदृश्य प्रक्रिया है। लेकिन आज तक कोई भी पक्के तौर पर यह साबित नहीं कर पाया कि शराब कहां जाती है। शायद यही कारण है कि यह रहस्य चमत्कार बन गया और चमत्कार श्रद्धा में बदल गया। काल भैरव मंदिर यह सत्य स्थापित करता है कि जहां आस्था होती है वहां तर्क खत्म हो जाते हैं और चमत्कार शुरू।

