नई दिल्ली / दुनिया की कोई भी ताकत इस रिश्ते को तोड़ नहीं सकती. भारत और नेपाल के बीच यदि कोई गलतफहमी है, तो हम उसे बातचीत के जरिये सुलझाएंगे. भारत-नेपाल का रिश्ता ‘रोटी-बेटी’ का है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ये बातें उत्तराखंड के बीजेपी कार्यकर्ताओं को ‘जनसंवाद रैली’ के माध्यम से संबोधित करने के दौरान कहीं.
उन्होंने आगे कहा, “हमारे यहां गोरखा रेजिमेंट ने समय-समय पर अपने शौर्य का परिचय दिया है. उस रेजिमेंट का उद्घोष है कि ‘जय महाकाली आयो री गोरखाली.” महाकाली तो कलकत्ता, कामाख्या और विंध्यांचल में विद्यमान हैं तो कैसे भारत और नेपाल का रिश्ता टूट सकता है? मैं विश्वास के साथ कहना चाहता हूं कि भारतीयों के मन में कभी भी नेपाल को लेकर किसी भी प्रकार की कटुता पैदा हो ही नहीं सकती है. इतना गहरा संबंध हमारे साथ नेपाल का है. हम मिल बैठकर इन सब समस्याओं का समाधान करेंगे.” उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “लिपुलेख में सीमा सड़क संगठन द्वारा बनाई गई सड़क एकदम भारतीय सीमा के भीतर है.”
भारत और नेपाल के बीच करीब 1800 किलोमीटर की सीमा है. सीमा पूरी तरह से खुली है. भारत-नेपाल सीमा के दोनों ओर कई गांव बसे हैं. कई गांव सीमा से सटकर बसे हैं. इससे व्यापार सहित अन्य गतिविधियां एक दूसरे के सहारे होती हैं. नेपाल क्षेत्र के पहाड़ी इलाकों में बसे गांवों के लोगों को राशन के लिए भी भारतीय बाजारों या गांवों का सहारा लेना पड़ता है. खुली सीमा के कारण आने जाने में कोई दिक्कत नहीं होती है. नेपाल के कुछ किसान भारतीय क्षेत्र में खेती करते हैं तो कुछ भारतीय क्षेत्र के किसान नेपाल क्षेत्र में रहकर व्यापार करते हैं और शाम को अपने घर चले आते हैं. दोनों देशों की सीमा में लगे गांवों के लोगों के एकदूसरे के क्षेत्र में शादी-संबंध भी हैं.