Thursday, March 28, 2024
बड़ी खबर मोदी सरकार का ऐतिहासिक फैसला, अनुच्‍छेद 370 हटाने की...

मोदी सरकार का ऐतिहासिक फैसला, अनुच्‍छेद 370 हटाने की सिफारिश, 35A हटाया गया, अनुच्छेद 370 के हटने से क्या होगा फायदा ?

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नई दिल्‍ली / जम्‍मू-कश्‍मीर पर मोदी सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लिया है. गृह मंत्री अमित शाह ने राज्‍यसभा में बड़ा ऐलान करते हुए जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का संकल्प पेश किया. उन्‍होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्‍छेद 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे. इसके साथ ही आर्टिकल 35-A को भी हटा दिया गया है. राष्‍ट्रपति ने 35A हटाने की मंजूरी भी दे दी है. अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक भी सदन में पेश किया है. इसके साथ ही जम्‍मू-कश्‍मीर का दो भागों में बंटवारा कर दिया है. जम्‍मू-कश्‍मीर केंद्रशासित प्रदेश होगा. लद्दाख बिना विधानसभा का केंद्रशासित प्रदेश होगा. इस तरह केंद्र सरकार ने 1954 के कानून में कई संशोधन किए हैं. उनके बयान के बाद विपक्ष ने हंगामा करना शुरू दिया. नतीजतन राज्‍यसभा की कार्यवाही स्‍थगित कर दी गई. सूत्रों के मुताबिक इस तरह की खबरें भी आ रही हैं कि इस मुद्दे पर पीएम मोदी सात अगस्‍त को देश को संबोधित कर सकते हैं.

इस लिहाज से कश्‍मीर पर आजाद भारत का यह सबसे बड़ा फैसला है. इस फैसले के बाद जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख में खुशी की लहर दौड़ गई. अभी तक किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना का समाचार नहीं है. विपक्षी दलों की तरफ से समाजवादी पार्टी और बसपा अनुच्‍छेद 370 हटाने के समर्थन में हैं. वहीं कांग्रेस, पीडीपी और टीएमसी इसके विरोध में हैं.

 

राज्‍यसभा में केवल जम्‍मू-कश्‍मीर पर चर्चा – इससे पहले राज्यसभा की आज की सभी नियमित कार्यवाही को स्थगित किया गया. सिर्फ और सिर्फ जम्मू-कश्मीर के मसले पर ही चर्चा मुकर्रर की गई. प्रश्‍न काल या जीरो ऑवर भी स्‍थगित कर दिया गया. नियम 267 के तहत राज्‍यसभा के सभापति ने एक बड़े फैसले के तहत आज सदन में अन्‍य सारी कार्यवाहियां रद्द कर दी हैं. पहले से निर्धारित बिज़नेस आज के लिए स्थगित कर दिए गए हैं. इस बीच केंद्र ने कई राज्‍यों के लिए एडवाइजरी जारी की है. उत्‍तर प्रदेश समेत कई राज्‍य हाई अलर्ट पर हैं.  इस बीच कश्मीर में हर तरीके का कम्युनिकेशन बंद है. सुरक्षाबलों को स्पेशल सैटेलाइट फोन दिए गए हैं. जम्मू में CRPF की 40 कंपनियां तैनात हैं. कश्मीर में 100 कंपनियां पहले पहले से ही तैनात हैं.


जम्‍मू-कश्‍मीर के संदर्भ में आर्टिकल 35A और अनुच्‍छेद 370 क्‍या मतलब है? इस कड़ी में आइए इनके बारे में बिंदुवार डालते हैं एक नजर:

अनुच्छेद 35A?
1. 35A राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने 14 मई 1954 को लागू किया
3. जम्मू कश्मीर में लागू अनुच्छेद 35A, धारा 370 का हिस्सा है
4. राष्ट्रपति से पास होने के बाद संविधान में इसे जोड़ दिया गया2. तत्कालीन सरकार ने धारा 370 की ताकत इस्तेमाल की थी
5. जम्मू कश्मीर में बाहरी राज्यों के लोग संपत्ति नहीं खरीद सकते
6. 14 मई 1954 को राज्य में रहने वाले लोग ही वहां के नागरिक माने गए. 1954 से 10 साल पहले से रहने वाले लोगों को नागरिक माना गया.
7. J&K की लड़की के बाहरी से शादी करने पर राज्‍य की नागरिकता से जुड़े अधिकार खत्म हो जाते हैं. शादी करने पर लड़की के बच्चों के भी जम्‍मू-कश्‍मीर में अधिकार नहीं माने जाते.

35A हटाने की मांग क्यों?
1. इस अनुच्छेद को संसद के जरिए लागू नहीं किया गया है
2. इस अनुच्छेद की वजह से शरणार्थी अधिकार से वंचित हैं
3. पाक के शरणार्थियों को जम्मू कश्मीर की नागरिकता नहीं
4. इनमें 80 फीसदी लोग पिछड़े और दलित हिंदू समुदाय के हैं
5. जम्मू कश्मीर में शादी करने वाली महिलाओं से भेदभाव जारी
6. भारतीय नागरिकों के साथ जम्मू कश्मीर में भेदभाव होता है
7. जम्मू कश्मीर में संविधान से मिले अधिकार खत्म हो जाते हैं
8. संविधान सभा से संसद की कार्यवाही तक बिल का जिक्र नहीं
9. अनुच्छेद 35A के लिए संविधान संशोधन लाने का भी जिक्र नहीं

जम्‍मू-कश्‍मीर: कोई अनुमान नहीं लगा पा रहा कि वास्‍तव में क्‍या होने वाला है

धारा 370 पर विवाद क्यों?
1. जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता, झंडा भी अलग
2. J&K में राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है
3. देश के सुप्रीम कोर्ट के सभी आदेश जम्मू-कश्मीर में मान्य नहीं होते हैं
4. संसद जम्मू-कश्मीर को लेकर सीमित क्षेत्र में ही कानून बना सकती है
4. रक्षा, विदेश, संचार छोड़कर केंद्र के कानून J&K पर लागू नहीं होते
5. केंद्र का कानून लागू करने के लिये J&K विधानसभा से सहमति ज़रूरी
6. वित्तीय आपातकाल के लिये संविधान की धारा 360 J&K पर लागू नहीं
7. धारा 356 लागू नहीं, राष्ट्रपति राज्य का संविधान बर्खास्त नहीं कर सकते
8. कश्मीर में हिन्दू-सिख अल्पसंख्यकों को 16% आरक्षण नहीं मिलता
9. जम्मू कश्मीर में 1976 का शहरी भूमि कानून लागू नहीं होता है.
10. धारा 370 की वजह से कश्मीर में RTI और RTE लागू नहीं होता. जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष नहीं, 6 वर्ष होता है.

 

आपको बताते हैं कि अगर केंद्र की सिफारिशों पर संसद की मुहर लग जाती है तो जम्मू कश्मीर में क्या क्या बदलाव देखने को मिलेंगे. यानि संसद के दोनों सदनों में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 पास हो जाता है तो कुछ इस तरह के बदलाव होंगे.

  • जम्मू-कश्मीर: विशेष राज्य का दर्जा खत्म
  • जम्मू कश्मीर में अब देश का कानून लागू होगा
  • अब जम्मू कश्मीर का ध्वज अलग नहीं होगा
  • जम्मू कश्मीर से 35A को हटाया गया
  • कोई भी नागरिक जम्मू कश्मीर में ज़मीन खरीद सकेगा
  • दूसरे राज्य का नागरिक सरकारी नौकरी कर पाएगा
  • दूसरे राज्यों के निवासी जम्मू कश्मीर के नागरिक बन पाएंगे
  • बाहर शादी करने पर लड़की के अधिकार नहीं छिनेंगे


बता दें कि केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को लकर पांच बड़े फैसले किए है.

पहला फैसलाः जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया

दूसरा फैसलाः जम्मू से 35A हटाया गया

तीसरा फैसलाः जम्मू कश्मीर का दो हिस्सों में बंटवारा किया गया

चौथा फैसलाः जम्मू कश्मीर अब विधानसभा के साथ केंद्र शासित प्रदेश होगा

पांचवा फैसलाः लद्दाख अब बिना विधानसभा का केंद्र शासित प्रदेश होगा



केंद्रीय गृह मंत्री अमित  शाह ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक सदन में पेश किया. शाह के बयान के बाद राज्यसभा में हंगामा हो गया. आइये जानते हैं धारा 370 हटाने को लेकर जारी किए गए गजट नोटिफिकेशन की खास बातें-

संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति, जम्मू और कश्मीर राज्य सरकार की सहमति से निम्नलिखित आदेश दिए हैं-
– इस आदेश का नाम संविधान (जम्मू और कश्मीर पर लागू) आदेश 2019 है.
– यह तुरंत प्रवृत्त होगा और इसके बाद यह समय-समय पर यथा संशोधित संविधान (जम्मू और कश्मीर पर लागू) आदेश, 1954 का अधिक्रमण करेगा.

समय-समय पर यथा संशोधित संविधान के सभी उपबंध जम्मू और कश्मीर राज्य के संबंध में लागू होंगे और जिन अपवादों और आशोधनों के अधीन ये लागू होंगे वह इस तरह होंगे-
– अनुच्छेद 367 में ये खंड जोड़े जाएंगे-
”(4) संविधान, जहां तक यह जम्मू और कश्मीर के संबंध में लागू है, के प्रयोजनों के लिए.
– (क) इस संविधआन या इसके उपबंधों के निर्देशों को उक्त राज्य के संबंध में यथा लागू संविधान और उसके उपबंधों का निर्देश माना जाएगा.
(ख) जिस व्यक्ति को राज्य की विधानसभा को सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा जम्मू एवं कश्मीर के सदर-ए-रियासत, जो तत्स्थानिक रूप से पदासीन राज्य को मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य कर रहे हैं, के रूप में तत्स्थानिक रूप से मान्यता दी गई है, उनके लिए निर्देशों को जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल के दिए निर्देश माना जाएगा.
(ग) उक्त राज्य की सरकार के निर्देशों को, उनकी मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य कर रहे जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल के लिए निर्देशों को शामिल करता हुआ माना जाएगा.
(घ) इस संविधान के अनुच्छेद 370 के परंतुक में ‘खंड (2) में उल्लिखित राज्य की संविधान सभा’ अभिव्यक्ति को ‘राज्य की विधानसभा’ पढ़ा जाएगा.



 

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