Sunday, June 29, 2025
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एक सप्ताह में एक जेसीबी मशीन और दो ट्रैक्टरों से हुआ 10 लाख रूपए का कार्य

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00 पटना क्षेत्र के ग्राम पंचायत चंपाझर के पकरीझरिया के तालाब गहरीकरण का मामला

00 जिले के संबंधित अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं

पटना/ पटना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत चंपाझर के पकरी झरिया में हुआ तालाब खुदाई के नाम पर भारी भ्रष्टाचार। एक जेसीबी मशीन  और दो ट्रेक्टर से एक सप्ताह में हो गया 10 लाख रूपए की लागत से तालाब का गहरीकरण। इसी कार्यादेष से दो तालाबों का गहरीकरण और होना है ग्रामिणों को ड़र है कि कहीं वह भी इसी तरह भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़ जाए। निर्माण स्थल पर निर्माण कार्य से संबंधित सूचना पटल भी नहीं लगाया गया है जिससे कि ग्रामिणों को इसकी समुचित जनकारी मिल सके लेकिन कुछ पंचायत प्रतिनिधियों व गांव के कुछ सक्रिय लोगों के मुताबिक गहरीकरण का कार्य विधायक नीधि से स्वीकृत हुआ है।

इस संबंध में मिली जानकारी के मुताबिक ग्राम पंचायत चंपाझर के पकरी झरीया मुहल्ले में ग्रामिण पानी की समस्या से जूझ रहे हैं, ग्रामिणों द्वारा पुराने डबरीनुमा तालाब का गहरी करण एवं तालाब का क्षेत्रफल बढ़ाए जाने की मांग पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर जिला प्रषासन से लंबे समय से की जा रही थी जिससे कि बरसात के दिनों में पर्याप्त पानी तालाब में स्टोर हो सके और वह पानी सभी ग्रामिणों के निस्तार के काम आ सके। तालाब गहरीकरण के कार्य के लिए 10 लाख रूपए स्वीकृत हुआ जिसकी जानकारी ग्रामिणों को लगी तो ग्रामिण खुष हो गए कि अब तालाब का अच्छे से गहरी करण हो जाएगा और बरसात में पर्याप्त पानी रूकेगा लेकिन ग्रामिणों का यह सपना अधूरा रह गया ऐसा नहीं कि तालाब का गहरीकरण नहीं हुआ बल्की तालाब का गहरीकरण महज एक सप्ताह में ही पूरा हो गया ग्रामिणों के मुताबिक करीब 15 दिन पूर्व तालाब के गहरीकरण का कार्य शुरू हुआ कार्य में एक जेसीबी मशीन , दो ट्रैक्टर लगाया गया। एक सप्ताह काम चलने के बाद काम बंद हो गया अब बताया जा रहा है कि गहरीकरण का कार्य पूरा हो गया है जबकी तालाब का गहरीकरण हुआ ही नहीं है,तालाब के भीतर का समतली करण करा दिया गया है व तालाब किनारे की मिट्टी खोदकर तालाब के मेढ़ को उंचा कर दिया गया है। अगर ठीक तरह से तालाब का गहरीकरण हुआ होता तो गहरीकरण होने से पहले तालाब के भीतर उगे हुए घास दिखाई नहीं पड़ते। बीच बीच में सरपंच पति काम देखने जाया करता था मषीन से काम होता देख गांव के पंजीकृत मजदूरों ने काम भी मांगा लेकिन मजदूरों को यह कहते हुए कि मषीन से काम होना है मजूदरों को नहीं लगाना है यह सुनकर मजदूर वापस लौट गए अब गांव वालों के मन मुताबिक तालाब का गहरीकरण न हो पाने से सभी ग्रामिण अपने आप में ठगा सा महसूस कर रहे हैं। ग्रामिणों का कहना है कि अगर काम अधूरा है तो अधिकारियों को इसकी सुध लेकर अधूरे पड़े कार्य को बरसात से पहले पूरा कराना चाहिए।

10 लाख का काम एक सप्ताह में

तालाब गहरीकरण के कार्य में किस तरह से भ्रष्टाचार किया गया है इस बात का अंदाजा तो इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक सप्ताह काम चला है और कार्य के लिए 10 लाख रूपए स्वीकृत हुआ था, गहरीकरण के कार्य में एक जेसीबी मशीन , दो ट्रैक्टर लगे हुए थे इस हिसाब से एक जेसीबी मषीन व दो ट्रैक्टरों से रोजाना करीब एक लाख पच्चीस हजार रूपए का का काम हुआ इसके बाद भी संबंधित विभाग के आला अधिकारियों की नजर इस भ्रष्टाचार की ओर नहीं पड़ी अब संबंधित विभाग के अधिकारी भी इस मामले में कुछ भी कहने से अपने आप को बचाने में लगे हुए हुए। यह जरा भी संभव नहीं है कि एक जेसीबी मषीन एवं दो ट्रैक्टर से एक सप्ताह में 10 लाख का काम हो सके।

रामनारायण सिंह पूर्व सरपंच

मैं तो समझा कि तालाब के किनारे सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है लेकिन बाद में पता चला कि तालाब गहरीकरण का कार्य कराया गया है, पूरा काम एक जेसीबी व दो ट्रैक्टरों से हुआ है। अब काम पूरा हो जाने की बात पंचायत प्रतिनिधि बता रहे हैं लेकिन कार्य को देखकर कहीं से भी नहीं लगता कि गहरीकरण का कार्य हुआ है बल्की गहरी करण की जगह समतली करण का कार्य हुआ हो ऐसा प्रतित होता है क्योंकि गहरीकरण से पहले तालाब के भीतर उगे हुए घास अभी भी तालाब में दिखाई दे रहे हैं इस ओर संबंधित विभाग के अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए। तालाब गहरीकरण के कार्य में की गई भ्रष्टाचार को अंजाम देने वालों ने निर्माण स्थल पर कार्य से संबंधित सूचना पटल भी नहीं लगाया और निर्माण कार्य एक सप्ताह में की पूरा कर दिया। अगर सूचना पटल लगा होता तो ग्रामिणों को तालाब गहरीकरण की समुचित जानकारी होता और भ्रष्टाचारी भ्रष्टाचार नहीं कर पाते। हालाकी ग्रामिण निर्माण कार्य की एजेंषी आरईएस विभाग को बता रहे हैं।

तुलिका शर्मा एसड़ीओ आरईएस

मैं अभी अभी अपना पदभार सम्हाली हूं इस मामले में मुझे कोई जानकारी नहीं है। मौके पर जाने के बाद ही कुछ बता पाउंगी।

 

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