रिपोर्ट / रवि सावरा / 9630308757
कोरिया / केंद्र सरकार की शहरी विकास की तीन योजनाओं में शहर को एक भी योजनाओं का लाभ नही। जबकि एक योजना के लिए नगर निगम अपना दावा कर ही सकती है । अमृत योजना (अटल मिशन फॉर रिजुवेशन एंड अरबन ट्रांसफोरमेशन) व आवासीय विकास योजना में शहर शामिल ही नही हो पाया है। प्रधानमंत्री द्वारा आयोजित कार्यशाला में 1 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों को इस योजना में शामिल करने के बाद शहर में लंबित प्रस्तावों पर तेजी से अमल होने की संभावनाएं बन सकती है। खास बात यह है कि पुरानी परिषद द्वारा पारित किए गए प्रस्ताव व शासन स्तर पर अनुमति का इंतजार कर रही योजनाएं ही अमृत योजना का हिस्सा है। ऐसे में योजना पर अमल प्रारंभ होते ही असर देखने को मिलता मगर शहर की आबादी कम होने से वंछित रह गया।
क्या है अमृत प्रोजेक्ट –
ये मिशन 1 लाख से ऊपर की जनसंख्या वाले 500 शहरों में लागू किया गया । जिसमें राज्यों की शहर, पहाड़ी शहर, आईलैंड और टूरिस्ट वाली जगहें शामिल होंगी। इस प्रोजेक्ट के जरिए शहर में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर, पानी की सप्लाई, सीवेज, ट्रांसपोर्ट और पार्क बनाने जैसी सुविधाओं पर फोकस किया जाएगा। इसके जरिए शहरी सुधार जैसे की ई गवर्नेंस, प्रोफेशनल म्युनिसिपल कैडर और म्युनिसिपल टैक्स कलेक्शन बढ़ाया जाएगा। अमृत योजना में एक लाख से अधिक व 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों को शामिल किया गया है। ऐसे हिल स्टेशन सहित व पुरातात्विक महत्वा वाले क्षेत्रों को भी योजना का लाभ मिलेगा जहां आबादी 1 लाख से कम है।
शहर को यह मिलता फायदा –
अमृत (अटल मिशन फॉर रिजुवेशन एंड अरबन ट्रांसफोरमेशन) योजना में केंद्र सरकार योजनाओं की लागत की 50 फीसद राशि वहन करेगी। शेष 50 फीसद राशि राज्य व निगम प्रशासन द्वारा खर्च की जाएगी। इससे बुनियादी सुविधाओं के बडे़ प्रोजेक्ट में धन की कमी सामने नहीं आएगी। राज्य व केंद्र से मिलाकर करीब 75 प्रतिशत तक की राशि मिलने पर निगम पर अतिरिक्त भार नहीं आएगा।
यह शामिल रहेगा अमृत में –
– जलवितरण व्यवस्था
– सिवरेज सिस्टम दुरुस्तीकरण
– दूषित पानी के लिए ट्रिटमेंट प्लांट
– सेप्टेज (सैप्टिक टैंक) में मल का नष्टीकरण
– सिटी बस संचालन व कनेक्टिविटी सिस्टम
– 100 फीसद कर वसूली
– शहर विकास के साथ पार्कों का सौंदर्यीकरण
– यातायात व्यवस्था में सुधार इसके लिए राशि नहीं मिलेगी
– जमीन खरीदने के लिए
– बिजली खपत व बिल भुगतान के लिए
– कर्मचारियों का वेतन आदि।
– संचार तकनीकी सहित अन्य व्यवस्था।
– स्वास्थ्य सुविधा और राहत।
इन प्रस्तावों पर बरसेगा अमृत –
1. जलवितरण शहर के बाहरी क्षेत्रों में पाइप लाइन बिछाने के लिए करीब 23 करोड़ की
लागत से नगर निगम ने 35 किलोमीटर पाइप लाइन का प्रस्ताव शासन को भेजा है।
योजना में इस प्रस्ताव पर अमल करने में मदद मिलेगी।
2. दूषित पानी का शुद्धिकरण शहर में घरों से निकलने वाला दूषित पानी के शुद्धिकरण के
लिए ट्रिटमेंट प्लांट तैयार कर अन्य कार्यों में उपयोगी के लिए प्रस्ताव तैयार थे पर
प्रस्ताव नही बन पाया।
3. सेप्टेज सिस्टम सैप्टिक टैंक में एकत्र मल व दूषित जल के शोधन के लिए।
4. रिफॉर्म नगर निगम को ऑनलाइन सिस्टम से जोड़कर 100 फीसद कर वसूली कर आय
बढ़ाना है। शहरवासियों को सुविधाओं के साथ ही डबल इंट्री सिस्टम (निगम की
प्रतिदिन की आवक-जावक का) का ब्योरा भी इसमें शामिल रहेगा।
प्रस्ताव बनाने तक, सिमट गया चिरमिरी का विकास –
शहर के बीच नगर निगम की करीब लगभग 10 एकड़ भूमि है, जो वार्ड क्र 1से 40 , अंतर्गत आती है। इस क्षेत्र को सजा पहाड़ के नाम से जाना जाता है, चिरमिरी क्षेत्र के लिए अगर ठोस योजना बनाकर काम किया जाए तो शहर के सबसे सुंदर स्थल के रुप में पहचान बन सकती है। पर्याप्त जगह है इसलिए तालाब के साथ गार्डन, स्वीमिंग पुल, पार्किंग, आडोटोरियम, शापिंग काम्पलेस, चैपाटी आदि बनाया जा सकता है।
इस क्षेत्र के विकास पर गंभीरता से ध्यान देने की बजाए जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों ने उदासीनता दिखाई, जिसके कारण कई बेशकिमती भूमि अतिक्रमण की भेंट चढ़ गई। छोटे पक्के मकान बना लिये गये हैं, अब विकास के लिए सबसे बड़ी चुनौती अतिक्रमण को हटाना है।
नगर निगम तो बना दिया, लेकिन विकास की आस अधूरी –
नगर निगम तो बना दिया लेकिन निगम जैसी सुविधा नहीं है….। ये ऐसा जुमला है जो हर किसी के मुह से रोज सुनने को मिलता है। नगर निगम बनने के 10 वर्ष बीतने के बावजूद चिरमिरी को अब भी समग्र विकास का इंतजार है। आलम यह है कि आधारभूत सुविधा पाने तक के लिए यहां के बंषिन्दे तरस रहे है। कहने के लिए तो यह नगर निगम है, लेकिन सुविधा का स्तर कई मायनों में कस्बाई मापदण्ड़ों से भी कम है। विकास के पैमाने माने जाने वाले हर क्षेत्र में लोग समस्याओं से जुझ रहें है। सरकारी तंत्र एंव जनप्रतिनिधियों से कोरे अष्वासन ही मिले है।सामाधन की राह खोजने के लिए गंभीर प्रयासों की भी कमी है। आधारभूत सुविधाओं की भी कमी है।आधारभूत सुविधा एंव विकास से जुडे मुद्दो पर निगम क्षेत्र के लोगों की पीड़ा को समाधान की मंजिल तक पहुचाने का कोई ठोस प्रयास नही किया गया है। नगर निगम लम्बे समय से बिजली पानी व अच्छी सड़क एंव स्वस्थ सुविधा जैसी मूलभूत आवष्यकताओं से ही जूझ रही है। ऐसे में विकास दूर की कोड़ी लग रही है।नगर निगम के विकास व लोगो की सुविधा के लिए काफी कुछ किया जाना बाकी है लेकिन ये तभी हो सकता है। जब यहां की समस्याओं व विकास की दरकार के विभिन्न पहलुओं को सरकार जनप्रतिनिधि व आधिकारी गभीरता से ले। इसके लिए योजनाबö तरीके से काम हो और वे योजनाए समय पर अमलीजमा भी पहने।
क्या हो सकता था चिरमिरी में जो आज तक नहीं हो सका –
रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना – सर्वप्रथम शहर में रोजगार के अवसर निरंतरता के साथ उपलब्ध कराए जाए जिससे लोगों को आर्थिक सुरक्षा तो मिलेगी साथ ही वे स्वतः अपनी जीवनशैली में सुधार करेंगे। शहर पलायन रोकने के लिए सामाजिक समानता एवं न्याय पर आधारित समाज की स्थापना करना अति आवश्यक है। इसलिए सभी विकास योजनाओं में उपेक्षित वर्गों को विशेष रियायत दी जाए। इसके अलावा महिलाओं के लिए स्वयंसहायता समूहों के जरिए विभिन्न व्यवसाय चलाने, स्वरोजगार प्रशिक्षण, राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना (वृद्धावस्था पेंशन योजना, विधवा पेंशन योजना, छात्रवृत्ति योजना, राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना) जैसे अनेक कार्यक्रम चलाए जाए जिनसे लाभ उठाकर गरीब तथा उपेक्षित वर्गों के लोग अपना तथा अपने परिवार का उत्थान कर सकते हैं।
शहर में रोजगार के लिए निम्न योजनाओ का क्रियांवयन जरुरी है जो आज तक सिर्फ कागजो में दफन है।
1.प्रधानमंत्री रोजगार योजना
2.लघु उद्योग क्लस्टर विकास कार्यक्रम योजना
3.एकीकृत आधारभूत संरचना विकास योजना
4.लघु उद्योग विपणन विकास सहायता योजना
5.उद्यमिता विकास संस्थानों को सहायता
6.महिलाओं के लिए संवर्धक योजनाएं
7.कमजोर वर्गों के लिए योजनाएं
8.माइक्रो वित्त कार्यक्रम के लिए योजना
9.टीआरईएडी पर महिलाओं के लिए योजना
10.अन्य लघु उद्योग योजनाएं