Monday, April 28, 2025
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वन अधिनियम का खुल्ला उल्लंघन, कलेक्टर कोरिया ने दी बड़े झाड़ के जंगल मद की भूमि को बेचने की अनुमति

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OO एसडीएम, तहसीलदार, आरआई ने अपने जांच प्रतिवेदन में बेचने की अनुमति को बताया था अनुचित
OO बड़े झाड़ मद भूमि का उपयोग केवल कृषि कार्य के लिए, न कि आवासीय या व्यावसायिक प्रायोजन हेतु 

कोरिया । कोरिया जिला मुख्यालय में बड़े झाड़ के जंगल मद की भूमि को प्लाटिंग कर कई लोगों को आवासीय व व्यावसयिक प्रायोजन हेतु बेचने का मामला प्रकाश में आया है।

विक्रेता ने बकायदा एक एकड़ भूमि में साई मंदिर बनाने के नाम पर पैसों की कमी का हवाला देकर शेष भूमि विक्रय किए जाने की अनुमति कलेक्टर कार्यालय से मांगी थी। बताया जाता है कि उक्त भूमि बड़े झाड़ जंगल मद की है। इसके बाद भी संभवत: कलेक्टर के रीडर एवं अधीक्षक कार्यालय के बाबू ने कलेक्टर कोरिया को अंधेरे में रखकर उक्त जमीन को विक्रय करने की अनुमति दिला दी और यही नहीं रीडर और बाबू ने अपनी-अपनी धर्मपत्नी के नाम से उक्त भूमि में से क्रमश: ८ व १० डिसमिल भूमि की रजिस्ट्री भी करा ली है। अनुमति प्राप्त जमीन ५ विभिन्न लोगों को बाजार भाव से कम स्टाम्प शुल्क चुका कर विक्रय की गई है। जिससे शासन को लाखों रूपए की राजस्व क्षति हुई है।
इस पूरे मामले में NEWSPAGE13 को मिले सत्यापित दस्तावेजों के आधार मिली जानकारी के अनुसार आवेदक द्वारिका प्रसाद खस पिता मातादीन खटिक निवासी महल पारा बैकुण्ठपुर ने वर्ष-२०१६ में ग्राम चेर स्थित भूमि ख. नं. ४८/१३ रकबा ०.७८९ हेक्ट. में एक एकड़ शासकीय पट्टे से प्राप्त भूमि क्रय भूमि को सांई बाबा का मंदिर निर्माण कराने के लिए पैसों की आवश्यकता होने के कारण भूमि विक्रय की अनुमति जिला कलेक्टर से मांगी। जिसके बाद कलेक्टर कार्यालय द्वारा प्रकरण को एसडीएम के पास जांच कर प्रतिवेदन मांगा गया। राजस्व निरीक्षक बैकुण्ठपुर ने अपनी जांच में पाया कि मिशल बन्दोबस्त वर्ष १९४६-४७ के अनुसार ग्राम चेर की भूमि खसरा नं. ४८ रकबा ३६.८४ एकड बड़े झाड़ जंगल मद की भूमि रही है। खसरा नंं. ४८ रकबा ३६.८४ एकड़ तहसीलदार बैकुण्ठपुर के रा.प्र.क्र. ४४/अ-३/१९७३-७४ में ननका पिता बाबूलाल निवासी चेर के नाम व खसरा नं. ४८/१३ रकबा १.९५ हे. भूमि राजस्व ०.९० पैसा शासकीय पट्टे में प्रदाय किया गया है। इसके बाद उक्त भूमि कमला प्रसाद पिता साधूराम निवासी चेर के खाते में दर्ज हुई। आवेदक द्वारिका प्रसाद खस कमला प्रसाद से उक्त भूमि न्यायालय अपर कलेक्टर के रा.प्र.क्र. ३३/अ-२१/२०१३-१४ द्वारा कृषि प्रायोजन हेतु अनुमति प्राप्त कर क्रय किया गया है। इसलिए उक्त भूमि का उपयोग केवल कृषि कार्य में ही किया जा सकता है। उसको छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजन नहीं किया जा सकता है इसलिए बेचने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसी प्रतिवेदन के अनुसार तहसीलदार एवं अनुविभागीय अधिकारी राजस्व ने भी अपने प्रतिवेदन में भूमि विक्रय को अनुचित बताया है। इसके बाद भी भूमि विक्रय की अनुमति कलेक्टर द्वारा दे दी गई है। सबसे हैरानी की बात है यह है कि कलेक्टर ने रा.प्र.क्र. ९१/अ-२१/२०१५-१६ दिनांक ३० जून २०१६ के पारित अपने आदेश में एक बात को स्वीकार किया है कि आरआई ने जांच प्रतिवेदन में भूमि विक्रय की अनुमति को अनुचित बताया है बावजूद इसके कलेक्टर कोरिया ने उपरोक्त भूमि को विक्रय की अनुमति दे डाली है। जो भारतीय वन अधिनियम के विपरीत है।

इनके लिए जमीन बेचने के लिए मिली थी अनुमति —-
१. श्रीमती विनीता गुप्ता पति अशोक गुप्ता, बैकुण्ठपुर, १० डिसमिल
२. श्रीमती ममता पति शंकर, चिरमिरी, १० डिसमिल
३. श्रीमती सुजाता पति राजकुमार चिरमिरी, १० डिसमिल
४. श्री रूपेश बर्मन पिता सहदेव, मनेन्द्रगढ़, ५ डिसमिल
५. श्रीमती बबीता वर्मा पति मोतीलाल वर्मा, बैकुण्ठपुर, १० डिसमिल
६. श्रीमती कुसुम कुशवाहा पति समयलाल, बैकुण्ठपुर, ०८ डिसमिल
रीडर व बाबू की हो सकती है मिलीभगत  – 
कलेक्टर कार्यालय के रीडर समयलाल कुशवाहा ने अपनी पत्नी कुसुम कुशवाहा के नाम पर ८ डिसमिल व कलेक्टर कार्यालय में अधीक्षक शाखा के बाबू मोतीलाल वर्मा ने अपनी पत्नी बबीता के नाम पर १० डिसमिल जमीन ली है। जिससे पता चलता है कि राजस्व निरीक्षक के जांच प्रतिवेदन को कैसे दरकिनार कर बड़े झाड़ के जंगल भूमि को बेचने की अनुमति मिल गई है।
शासन को लाखों का लगा चूना – उक्त भूमि अनुमति विक्रय का बाजार भाव २ करोड़ ६७ लाख रूपया बताया जा रहा है। अनुमति एक मुश्त एक एकड़ की शासकीय गाईड लाईन अनुसार १० लाख ७० हजार की दी गई थी जबकि जमीन को प्लाटिंग कर टुकड़ों में बेचा गया। उदाहरण स्वरूप विनीता गुप्ता को विक्रय भूमि का बाजार भाव २६ लाख ७३ हजार है। जबकि उसे ५ लाख में रजिस्ट्री की गई है। इसी प्रकार का खेल सभी रजिस्ट्री में कर शासन को लाखों रूपया स्टाम्प व रजिस्ट्री शुल्क का चूना लगाया गया है।

भईयालाल राजवाड़े, केबिनेट मंत्री, छग शासन –

बड़े झाड़ के जंगल मद वाली भूमि विक्रय की अनुमति कलेक्टर नहीं दे सकते है। इस मामले में मैं कलेक्टर से करता हूं।

महेन्द्र दुबे, अधिवक्ता उच्च न्यायालय छग – 

ऐसी भूमि जो राजस्व रिकार्ड में ”छोटे-बड़े झाड़ के जंगलÓÓ के रूप में दर्ज हैं। ऐसी भूमियों का उपयोग भारतीय वन अधिनियम १९८० और केन्द्र सरकार द्वारा इस संबंध में जारी अधिसूचना में गैर वन कार्य के लिए प्रतिबंधित किया गया है। केवल फारेस्ट के लिए उपरोक्त भूमि का उपयोग किया जायेगा।

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