रिपोर्ट / ध्रु दिवेदी / 9425583677
मनेन्द्रगढ़ / आदिवासी बाहुल्य जिले में नर्सिंग कॉलेजों ने अंगद की तरह अपने पैर तो जमा लिये है, लेकिन इन सभी कॉलेजों से बुनियादी सुविधाएं ही नदारद हैं। इतना ही इन कॉलेजों के संचालकों द्वारा शासन द्वारा निर्धारित की गई गाइडलाइन का भी खुलेआम उल्लघंन किया जा रहा है। मजे की बात तो यह है कि प्रशासन भी इस ओर अपना रूख न कर इन्हें मौन स्वीकृति दिए हुए है। अब इसके पीछे कौन से शासन ने कौन से समीकरण बैठाए है, यह तो वह ही जाने, फिलहाल इन्हें देखकर तो ऐसा ही लगता है कि खुलेआम शासन की आंख में धूल झोंका जा रहा है।
शहर में एके नर्सिंग कालेज शासन के नियमों व जारी किये दिशा निर्देशों को ताक पर रखकर नर्सिंग कॉलेज संचालित हैं। ए के नर्सिंग कॉलेज में खुलेआम आदिवासी बाहूल्य क्षेत्र के छात्रों के साथ धोखाधड़ी कर इनसे मोटी रकम वसूली जा रही है। शहर में निजी नर्सिंग होम चलाने वाले ए के नर्सिंग स्कूल में अव्यवस्थाएं खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। पहले किराए के भवन में कालेज व हास्टल संचालित करने के बाद बीते माह से निर्माणाधीन भवन में ही निजी नर्सिंग कालेज व हास्टल का संचालित किया जा रहा है। हास्टल में न तो गेट व खिड़कियां लगी है न ही नहाने के लिए पानी है, न ही शौचालय की व्यवस्था है। और न ही खाने के लिए मेस है। एक, दो कमरे में ही नर्सिंग की सभी छात्राओं को मजबूरी में सोना पड़ता है। इन्हीं सभी अव्यवस्थाओं से त्रस्त होकर शहर के चैनपुर इलाके में संचालित ए के नर्सिंग होम में हॉस्टल में रहकर पढऩे वाली बीएससी नर्सिंग की एक दर्जन छात्राओं ने अव्यवस्था से तंग आकर बुधवार की रात हॉस्टल की दीवार फांदकर भाग गई। पीडि़त छात्राओं ने मनेन्द्रगढ़ के वार्ड न. ०15 स्थित एक परिजन के यहां पूरी रात गुजारी। इधर देर रात जब छात्रावास प्रबंधन को छात्राओं के भागने की खबर मिली तब सभी के हाथ पांव फूलने लगे। अब एक बार पुन: बुधवार की रात महिला छात्रावास से छात्राओं को भागने के लिए मजबूर होना पडा। नर्सिंग होम के छात्रावास में बुधवार की रात्रि लगभग 7 से 8 बजे के बीच छात्रावास की 11 छात्राएं एक साथ छात्रावास की दीवार फांदकर भाग निकली। लगभग 10 बजे इस बात की खबर छात्रावास प्रबंधन को हुई जिसके बाद बालिकाओं की तलाश शुरू की गई। प्रबंधन द्वारा घटना की जानकारी मनेन्द्रगढ़ थाने में भी दी गई। जिसके बाद लडकियों की तलाश की जाती रही लेकिन लड़कियों का कोई पता नहीं चला। सुबह लगभग 7 बजे जानकारी मिलने पर पुलिस ने वार्ड नं. 15 से लड़कियों को बरामद कर छात्रावास तक पहुंचाया। अब इस मामले में छात्रावास प्रबंधन कुछ भी बोलने से बच रहा है। मीडिया को बताया कि यहां पढऩे वाली छात्राओं को जबरदस्ती हास्टल व कालेज के रिसेप्शन में बैठाया जाता है। छात्राओं का कहना है कि यहां कोर्स के हिसाब से छात्राओं को जो सुविधा मिलनी चाहिए वह सुविधा भी छात्राओं को नहीं दी जाती है। छात्राओं ने बताया कि फीस पटाने में एक दिन भी देरी हो जाती है तो हास्टल में खाना नहीं दिया जाता है। वहीं हास्टल में कोई इंचार्ज भी नहीं है। शासन द्वारा जारी किये गये दिशा निर्देशों की अगर बात की जाए तो किसी भी नर्सिंग कॉलेज से संचालित करने के लिए सर्वप्रथम 100 बिस्तरों से अधिक का सर्वसुविधा युक्त अस्पताल होना चाहिए। उसके बाद शिक्षण के लिए किराए अथवा स्वयं का भवन होना अनिवार्य है। जीएनएम के 23720 वर्ग फिट, बीएससी 23720 वर्ग फीट। यानी कुल क्षेत्रफल 47440 वर्ग फिट का होना चाहिए। वहीं अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के लिए सर्वसुविधा युक्त छात्रावास होना चाहिए। वहीं जीएनएम के लिए नर्सिग फंडामेंट लैब, सीएचएन लैब, न्यूट्रीशियन लैब, ओबीजी एवं पिडियाट्रिक्स लैब, प्रि-क्लिनकल सांइस लैब, कम्प्यूटर लैब, आडियों विजियल रूम, लायब्रेरी होनी चाहिये, खेलकूद के लिए ग्रांउड, एनाटामी लैब व फिजियोलॉजी लैब का होना अनिवार्य है। इसी तरह बीएससी नर्सिग के छात्रों के लिए भी इन्ही सुविधाओं को इन नर्सिग कॉलेजों में अध्ययनरत छात्रों को देना आवश्यक है। जबकि शहर में संचालित एके नर्सिग कॉलेज में ऐसा नहीं किया जा रहा है। शहर में संचालित एके नर्सिंग कालेज की बात की जाये तो इन्होंने फर्जी तरीके से अपने कॉलेज का निरीक्षण करवा कर मान्यता ली है। निरीक्षण समिति को कालेज प्रबंधन द्वारा गुमराह किया गया है। इतना ही इन कॉलेज के संचालकों द्वारा भोले भाले छात्राओं को प्रलोभन देकर मोटी रकम वसूलने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। जबकि अगर जमीनी हकीकत की बात की जायें तो इनके पास न तो स्वयं का भवन है।
गौरतलब है कि बीते वर्ष नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं ने एकजुट होकर स्थानीय प्रशासन को कुछ दिन पूर्व लिखित शिकायत करते हुए प्रताडि़त और कॉलेज से अचानक निकाले जाने की बात कहीं थी। छात्राओं ने अधिक फीस लिए जाने के साथ परीक्षा में बैठने से मना किए जाने और निकाल दिए जाने को लेकर स्थानीय प्रशासन और पुलिस को लिखित शिकायत करते हुए न्याय की गुहार लगाई थी। छात्राओं ने कॉलेज के नियमानुसार किसी भी छात्रा को तय समय में ही परिजनों से मिलने दिया जाता है। लेकिन महज हजार पंद्रह सौ के लिए आज हम लोगों को कॉलेज के भीतर घुसने ही नहीं दिया गया। साथ अनुउपस्थित होने पर 50 रूपए प्रति छात्रा और देर से आने पर भी 50 रूपए का फाईन लिया जाता है। छात्राओं ने कॉलेज प्रबंधन के उपर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि हम लोगों से अधिक पैसे की मांग की जा रही है। पैसे न देने के अभाव में ठीक परीक्षा के समय हम लोगों को मात्र हजार पंद्रह सौ के लिए आज हॉस्टल में घुसने से हॉस्टल की अधिक्षिका द्वारा मना कर दिया गया। अपने स्थापना काल से ही लगातार अव्यवस्था को लेकर सुर्खियों में रहे एके नर्सिंग होम में यह कोई पहली घटना नहीं है। इसके पहले भी कई बार छात्राएं अव्यवस्था को लेकर छात्रावास छोडऩे को मजबूर हो चुकी हैं।
