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बिलासपुर जिले में शौचालय की स्थिती शौच से भी गंदी, PM के सपने में मिट्टी डाल रहे अधिकारी

रिपोर्ट / मुकेश विश्वकर्मा / 9981361600

पेंड्रा / पेंड्रा गौरेला इलाके में सरकारी शौचालय का सच प्रधानमन्त्री नरेंद्र भाई के उस सपने पर मिट्टी डाल दी है जिसमें उन्होंने खुले में शौच मुक्त भारत का स्वच्छ सपना संजोया था।

गौरतलब हो की ……..बेटी दूंगा उस घर मे शौचालय होगा जिस घर मे …………सरकार का ये नारा सिर्फ दिवारो पोस्टरों और कागजो में ही अच्छा लगता है अगर शौचालय का भौतिक सत्यापन करवाया जाये तो हकीकत कुछ और ही बयां करती है।

vlcsnap-2017-04-28-12h10m49s796भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छ भारत के सपनो मे बिलासपुर जिले के अधिकारी और कर्मचारी ग्रहण लगा दिए है। भले ही जमीनो मे तीनो तरफ दिवार उठा कर और दरवाजा लगा कर लोकलाज बचाने के लिए आड बना दिया गया है लेकिन घटिया निर्माण सामग्री और स्तरहीन कार्य के कारण आज भी लोग खुले मे शौच के लिए मजबूर है और सरकारी अमला फर्जी रिर्पोट के आधार स्वच्छ भारत का तमगा लगा कर वाहवाही लुटने मे व्यस्त है। पेंड्रा गौरेला के नगर पंचायत के वार्डो का हाल यह है कि शौचलय तो लगभग हर घर मे है लेकिन उपयोग कोई नही करता। बिलासपुर जिले में शौचालय का सच शौच से भी गन्दा नजर आता है, यह कहना जरा भी गलत नहीं होगा क्योंकि सीमांत इलाके गौरेला पेंड्रा मरवाही सहित कोटा विकासखंड में आधे अधूरे शौचालय जहां इस योजना के तहत भ्रष्टाचार की दास्तां बयां कर रहे हैं तो वही सिर्फ सरकार को खुश करने के लिये पूरे विकासखंड को ओडीएफ घोषित कर अवार्ड और वाहवाही तो लूट ली गयी पर हकीकत कुछ और ही है। खुले में शौच से मुक्ति का लक्ष्य बिलासपुर जिले को 15 अगस्त 2017 तक मिला है लेकिन जिले के अधिकांश गाँवों में शौचालय की ऊंचाई सरकार की उम्मीदों को धराशायी करती नजर आती है ।

vlcsnap-2017-04-28-12h10m23s046बिलासपुर जिले की 645 ग्राम पंचायतों में शौचालय निर्माण की जमीनी हकीकत सरकारी कागजों से मेल नही खाती । स्वच्छ भारत अभियान के तहत बिलासपुर जिले में 1 लाख 67 हजार शौचालय निर्माण का लक्ष्य 2014.2015 में मिला जिसमें जिले की 645 ग्राम पंचायतों में 1 लाख 47 हजार 92 शौचालय सरकारी कागज पर खड़े किये जा चुके इस पूरे मामले में जो सच दिखाई देता है वो ये है कि शौचालय निर्माण की खाना पूर्ति के लिए प्रशासन ने अपने स्तर पर हर संभव कोषिष की है और जहां हो सका चार ईंटें जोड़कर शौचालय बनाने की उम्मीद जगा दी है। शौचालय निर्माण के खेल में प्रशासन के कुछ नुमाइंदे और उनके करीबी ठेकेदार बिना डकार लिए काफी कुछ पचा गए। वैसे भी इस देश में कुछ भी पचाया जा सकता हैए फिर ये तो शौच की राषि थी। राषन कार्ड निरस्त करने राशन ना मिलने की धमकी देकर शौचालय तो बना दिया लेकिन उपयोग के लायक नही बनाया। कई वही वार्डो के लोगो का तो कहना है की भईया जो भी शौचालय बना है वो किसी काम का नही है। अधिकाँष घरो मे अधूरे शौचालय निर्माण कर के छोड दिया गया है। ग्रामीण शौचालय निर्माण के लिए मिलने वाली 12 हजार रूपये की राषि में होते बंदरबाट की बात भी बताते हैं। वहीं अधिकारी इन्ही आधे अधूरे शौचालयों के उपयोग करने का दबाव बना रहे हैं और उपयोग नहीं करने पर राशन बंद करने की मौखिक धमकियां भी दे रहे हैं।

वहीं पाली तानाखार विधायक रामदयाल उईके ने तो पूरे प्रदेश में शौचालय निर्माण में हुये बड़े भ्रश्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। ऐसी कई तस्वीरें हैं जो खुले में शौच से मुक्ति को चिढ़ाती हैं । गाँव के लोग आज भी खुले में षौच कर रहे हैंए पेंड्रा गौरेला नगर की कहानी बेहद शर्मनाक है।

 

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