कोरिया / कोरिया जिले के बहुचर्चित चेर हत्याकांड के मामले में मुख्य आरोपी सोनू सरदार मामले में सरकार ने फांसी की सजा को अब आजीवन कारावास में बदल दी है। सोनू सरदार को बैकुण्ठपुर सत्र न्यायधीश ने फांसी की सजा दी थी। जिस पर बाद में बिलासपुर हाईकोर्ट ने भी मुहर लगायी और यही नहीं मामले में राष्ट्रपति तक दया याचिका भेजी गयी थी, लेकिन वो भी खारिज हो गयी और अब दिल्ली हाईकोर्ट से सोनू को बड़ी राहत मिली है। सोनू सरकार पर कोरिया में एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या का आरोप है। सोनू सरदार की तरफ से अधिवक्ता युग चोधरी और पारिजाता भारद्वाज ने पैरवी की है।
सोनू सरदार को कब-कब मिली सजा –
23 फरबरी 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने सोनू की सजा बरकरार रखी…..
जून 2013 में राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका पेश की गयी…..
27 मार्च 2014 को गृह मंत्रालय ने अपनी टिप्पणी भेजी…..
5 मई 2014 को राष्ट्रपति ने दया याचिका खरिज कर दी….
उसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई…
दिल्ली हाईकोर्ट ने आज फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया….
क्या था पुरा मामला – कोरिया जिले का बहुचर्चित चेर हत्याकांड 26/11 की वो काली रात जहाँ एक परिवार के 05 लोगो की हत्या से पुरे जिले सहित प्रदेश में हडकम्प मच गया था, लुट की वारदात को अंजाम देने के लिए सोनू सरदार और उसके साथी साजिश के तहत 26 /11 की रात 08 बजे कबाड़ व्यवसायी शमीम अख्तर के घर पहुचे। सोनू सरदार और उसके साथियों को इस बात का इल्म था की शमीम अख्तर 26 /11 को रायपुर से कबाड़ बेच कर लौटा है । कबाड़ का पैसा लगभग 1 लाख 75 हजार रु0 शमीम अख्तर सिर्फ इसलिए नहीं जमा कर सका क्योकि उस दिन बैंक का अवकाश था। घटना को अंजाम देने की साजिश के तहत पहुचे सोनू सरदार और उसके साथी कबाड़ बेचने को आधार बनाकर घर में दाखिल होते है। चुकी लुट की वारदात को अंजाम देना था इसलिए सबसे पहले बातो ही बातो में यह पता किया जाता है की कबाड़ बेचकर आने की बात में कितनी सच्चाई। जैसे ही यह बात स्पष्ट होती है की घटना दिवस यानि 26 नवम्बर 2004 को ही कबाड़ व्यवसायी कबाड़ बेचकर आया है तो पैसा घर में होने की बात को बातो ही बातो में उगलवाया जाता है और यही से शुरू होती है पहले लुट फिर 05 लोगो की सिलसिलेवार मौत का खुनी खेल। घटना को अंजाम देने वाले तब तक नहीं रुके जब तक एक परिवार के 05 लोग मौत के नीद नहीं सो गये। कातिलो ने मन लिया की घर के एक एक सदस्य को मौत की नीद सुला दिया गया है पर कहते है न की मारने वाले से बड़ा बचाने वाला होता है। घर का एक सदस्य शमीम अख्तर की 10 वर्षीय लड़की कातिल की नजरो से बचकर भागने में सफल रही जो बाद में कातिलो तक पुलिस को पहुचने का सुबूत बनी।