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केबिनेट मंत्री राजवाड़े की टिकट खतरे में, अन्य चेहरों पर दांव खेल सकती है भाजपा, शैलेष, रेवा या देवेंद्र हो सकते हैं उम्मीदवार

कोरिया / आगामी विधानसभा चुनाव को अभी भले ही वक़्त हो, लेकिन प्रदेश में सत्तारूढ़ दल की ओर से तैयारी शुरू कर दी गई है, केंद्रीय नेतृत्व के इशारे पर पार्टी इस बार अपनी रणनीति बदलकर काम कर रही है।

छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी सत्ता में पिछले 3 चुनाव से काबिज है और एक बार फिर 65 सीटों पर अपने विद्यायक जिताकर सत्ता हासिल करना चाहती है। इसके लिए बकायदे बूथ स्तर से संगठनात्मक गतिविधियां शुरू कर दी गई हैं।

पार्टी इस बार एक – एक सीट पर फूंक – फूंक कर कदम रखना चाहती है। इसके पीछे कारण ये है कि इससे 2019 के लोकसभा में एक बार फिर केंद्र में सरकार बनाने में सहूलियत मिलेगी।

आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी में इस बार अभी से सर्वे भी करा लिया गया है और कमजोर स्थिति वाले सीटों पर विशेष फोकस किया जा रहा है। माना यह भी जा रहा है कि केन्द्र में मोदी सरकार बनने में आरएसएस की भूमिका महत्वपूर्ण रही है, इस कारण अब भाजपा भी संघ के समन्वय से ही कोई भी काम करना चाहती है। इसके कई उदाहरण भी देखने को मिले हैं। प्रदेश में भी इस बार टिकट बंटवारे में आरएसएस की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी इसके संकेत पिछले दिनों न्यायधानी बिलासपुर में संघ के कार्यवाह सुरेश सोनी की उपस्थिति में हुई प्रदेश स्तरीय बैठक में दिए गए हैं।

बताया जाता है कि संघ की ओर से भी एक सर्वे भाजपा की वर्तमान सीटों पर कराया गया है और उसमें कमजोर पाए गए विधायकों को इस बार दुबारा मौका देने के मूड में नही है। भाजपा भी चौथी बार सरकार बनाने में कोई रिस्क नही लेना चाहती और न ही संघ की सलाह को दरकिनार कर सकती है।

टिकट बंटवारे के सम्बंध में भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार इस बार प्रदेश के खेल व युवा कल्याण मंत्री व बैकुंठपुर विधायक भइयालाल राजवाड़े की टिकट खतरे में है हालाँकि इस बार भाजपा कई विधायक व मंत्री का टिकट काटने के मूड में है और इसलिए श्री राजवाड़े की टिकट भी कटने की अटकलें लगाई जा रही हैं। वैसे भी केबिनेट मंत्री बनने के बाद से लगातार विवादित बयानो के कारण भइयालाल राजवाड़े सुर्खियों में रहे हैं तो अपने पहनावे के कारण भी वे मंत्री पद की गरिमा के विपरीत बतलाये जाते हैं। अभी हाल ही में बिलासपुर में सम्पन्न हुई संघ की बैठक में भी भइयालाल राजवाड़े सहित अन्य 4 मंत्रियों को टिकट न देने की बात सामने आई है। इससे भी उनके टिकट पर खतरे की घण्टी दिखाई देने लगी है।

राजवाड़े समाज मे कोई बड़ा चेहरा नही –

टिकट के सम्बंध में चल रही तमाम अटकलों के बीच यह भी बात सामने आने लगी है कि वर्तमान में भाजपा के पास कोई बड़ा चेहरा नही है, जो कि रजवार समाज से तालुकात रखता हो। हलाकि श्रम मंत्री के पुत्र विजय राजवाड़े के नाम पर भी चर्चा सुनने को मिलती है। लेकिन पार्टी के नेता व कार्यकर्ता उनके नाम पर तैयार होंगे इसकी संभावना कम ही है और राजनैतिक क्षेत्र में उनकी पकड़ अपने पिता की तुलना में एकदम न के बराबर है ऐसे में अगर उनकी दावेदारी भी होती है तो टिकट मिलने की संभावना नजर नही आती।

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शैलेष शिवहरे या रेवा हो सकते हैं उत्तराधिकारी, देवेंद्र भी टिकट की कतार में –

आरएसएस की बैठक के बाद जब यह रिपोर्ट सामने आई कि केदार कश्यप, रामशिला साहू, पुन्नूलाल मोहले, दयालदास बघेल व भइयालाल राजवाड़े को इस बार भाजपा द्वारा टिकट देने पर संघ का एतराज है। तब से अब दावेदार भी अपना भाग्य खुलने का रास्ता देखने लगे हैं। वहीं चर्चा ये भी होने लगी है कि बैकुंठपुर के पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष व श्री राजवाड़े के खास समझे जाने वाले शैलेष शिवहरे को भी भाजपा विधानसभा का टिकट दे सकती है, शिवहरे के पास व्यक्तिगत जनाधार है और जायसवाल समाज भी इस क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ रखता है। बीते नगरपालिका चुनाव में उनके प्रदर्शन से भी यह कहा जा सकता है कि विरोध की लहर के बावजूद उन्होंने जो वोट प्राप्त किया वो उनके व्यक्तिगत व्यवहार का परिणाम था ऐसे में उनकी ओर से भी दावेदारी हो सकती है और खास होने के कारण श्री राजवाड़े भी शैलू को अपना उत्तराधिकारी बना सकते हैं।

भाजपा की ओर से दूसरा नाम विधायक प्रतिनिधि रेवा यादव के रूप में भी सुनने में आ रहा है, वे भी राजवाड़े समर्थक व उनके खास में से एक माने जाते हैं। कई जगह रेवा यादव की ओर से कहा भी जाता है कि यदि उन्हें(भइयालाल राजवाड़े) टिकट नही मिला तो मै निर्दलीय चुनाव लड़ूंगा ऐसे में यह तो तय है कि श्री यादव भी चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं और भइयालाल राजवाड़े को टिकट न मिलने पर वे भी मैदान में उतर सकते हैं। रेवा भी श्री राजवाड़े के उत्तराधिकारी हो सकते हैं।
क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में उनके संपर्क का लाभ उन्हें मिल सकता है, भाजपा भी उनकी गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है।

तो वही टिकट की दौड़ में सोनहत क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य देवेंद्र तिवारी के नाम पर भी चर्चा एक वर्ग विशेष की ओर से सुनने को मिलती है, अभी कुछ वर्षों में बैकुंठपुर क्षेत्र में उनकी सक्रियता से भी यह लग रहा है कि वे भी इस बार विधानसभा चुनाव की दावेदारी कर सकते हैं। संगठन में मजबूत पकड़ उनके लिए लाभदायक हो सकती है लेकिन बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र में आम मतदाता के बीच अभी उनकी उतनी पकड़ नही जितनी होनी चाहिए और स्वयं श्रम मंत्री भइयालाल राजवाड़े उनका समर्थन करेंगे इसकी संभावना कम ही है, इससे उनकी दावेदारी अंतिम समय मे भी खटाई में पड़ सकती है।

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