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बैठे हो तुम संसद में या बैठे बीच बाजार में… योगेश गुप्ता

बैठे हो तुम संसद में या बैठे बीच बाजार में…

दो हिसाब कितनी तुमने संसद में बात उठाई है
अपने क्षेत्र के लोगो की कितनी तकलीफ सुनाई है।
कितना तुमने प्रश्न किया है कितना उत्तर दे डाला
सबके एवज मे अब तक है कितना वेतन ले डाला।
बंगला, गाडी, नौकर चाकर ये सब मुफ्त में पाते हो
बदले में तुम लोगों की कितनी सेवा कर पाते हो।
काम नहीं कुछ दिखता है बस छपते हो अखबार में
बैठे हो तुम संसद में या बैठे बीच बाजार में।

जिन लोगो ने चुनकर भेजा उनके हक को लूटा है
यही वजह है अब तुम पर विश्वास हमारा टूटा है।
याद करो उस जनता को सेवा का दिया भरोसा था
उम्मीदों की थाली में जमकर पकवान परोसा था।
गली मोहल्ले में खुद को सेवक का रूप बताया था
खुली आँख से उन लोगो को सपने खूब दिखाया था।
सपने लेकर वैठे वो सब तेरे इंतज़ार में
बैठे हो तुम संसद में या बैठे बीच बाज़ार में।

बात बात में तुमने ही संसद का अवसान किया
चप्पल फेकी कुर्सी तोड़ी मंदिर का अपमान किया।
भेजा था तुमको संसद में सब की बात को कहने को
पर तुम दिखते सदा तैयार हो आपस में ही लड़ने को।
शोरशराबा करते हो मुद्दों से मुह चुराते हो
संसद में हो खुली बहस तुम इससे क्यों घबराते हो।
नहीं सकोगे कुर्सी छोडो बैठो तुम घर द्वार में
बैठे हो तुम संसद में या बैठे बीच बाजार में।

इस संसद ने इंदिरा जी के दुर्गा रूप को देखा है
लोकनारायण की बातों में मर्यादा की रेखा है।
सोमनाथ के भाषण से सत्ता पक्ष भी घायल था
सरल अटल की वाणी का तो सारा संसद कायल था।
कैसे तुमको याद करूँ मै तुमने क्या कमाया है
हो हल्ला के बीच में तुमने पांच साल गंवाया है।
फेल हुवे तुम बुरी तरह से सेवक के किरदार में
बैठे हो तुम संसद में या वैठे बीच बाज़ार में।

लोकतंत्र के इस मंदिर में कुछ अपराधी भर आये है
कुछ जाने तैयार खड़े है कुछ जेल हो आये हैं।
किस किस का मै नाम लूँ कुछ बड़े बड़े घोटाले है
इन सारे घोटालो को ये कुर्ता वाले पाले हैं।
तुम्ही भ्रष्ट हो तुम्ही हो पापी, तुम्ही लोग अपराधी हो
मुल्क की उम्मीद नहीं तुम देश की बर्वादी हो।
तरस खाओ इस देश पे कुछ तो, मत झोंको अंगार में
वैठे हो तुम संसद में या बैठे बीच बाज़ार में।

योगेश गुप्ता, बैकुंठपुर – जिला कोरिया, छत्तीसगढ़
मो.न. 09754455393…

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