मना रहे क्यों आज जयंती
क्यों करते अब उनको याद।
नाम उन्ही का दिखा – दिखा कर
देश की खोद रहे बुनियाद।
नियम दिखाया उसने जीकर
तुम मत बन जाना जल्लाद।
तोड़ नियम हम रोज उसी का
प्रतिदिन करते हत्या नाद।
जाते जाते सीख दे गए
सत्य मार्ग है सुंदर एक।
किसने जाना किसने माना
दिखते सत्य झूठ की टेक।
जिसने नीत बनाकर छोड़ी
रहना हर अवसर पर साथ।
फूट कूट की नीति अरझकर
भाई काट ते भाई के हाथ।
कहा सदा जिसने हम सब से
यह खादी देगी खुद का मान।
आज उसी चरखे को तजकर
खुद जला रहे बापू की शान।
आधा वस्त्र त्यागकर जिसने
भारत माँ के वस्त्र संजोये हैं।
चीर हरण से रोती है वह
हम सस्त्र गलाकर सोये हैं।
और अभी क्या बाकी है
जो बापू ने नियम बताये हैं।
सब आग लगाकर गांधी को
अब फूल चढाने आएं हैं।।
रुद्र मिश्रा / बैकुण्ठपुर कोरिया / 8959407007
