आज शिवभक्तों का सबसे बड़ा त्योहार महाशिवरात्रि है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इसी खुशी में शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। शिव भक्त आज के दिन उपवास रख कर शिव की अराधना करते हैं। शिव को नीलकंठ, भोले, शंकर और महादेव के नाम से जाना जाता है।
शिव को असुर भी उन्हें उतना ही मानते थे। शिव इकलौते ऐसे भगवान हैं जो देवों से लेकर असुरों तक के प्रिय हैं। इंद्र-कुबेर से लेकर हिरण्यकश्यप और रावण तक शिव को सच्चे मन से पूजते थे। श्रीला व्यासदेव ने शिव को महान महर्षि के रूप में वर्णित किया है। जिसने भी उनकी निस्वार्थ होकर बिना शर्त से पूजा की, उसे शिव ने अपना आशीर्वाद दिया। इसलिए शिव को देवों के देव को महादेव कहा जाता है।
कैसे हुआ भोले का जन्म ?
भगवान शिव के जन्म के बारे में कई तरह की कहानियां हैं। कोई कहता है कि शिव का जन्म हुआ ही नहीं। वहीं नारायण उपनिशद में कहा गया है कि शिव की उतपत्ति नारायण अर्थात विष्णु से हुई है। सबसे पहले इस सृष्टि में विष्णु आए और उन्होंने ही ब्रह्मा और शिव को बनाया। शिव के नाम का मतलब शुभ होता है। शिव विष्णु के बड़े भक्त थे।
कैलाश है शिव का घर
शिव का घर कैलाश पर्वत था। वहां वो एक बर्गद के पेड़ के नीचे रहते थे जो काफी विशाल था। ये पेड़ 1287 किलोमीटर लंबा और 965 किलोमीटर चौड़ा था। इसी पेड़ के नीचे शिव मां पार्वती और अपने बेटों के साथ रहते थे। उनका प्रिय बैल नंदी भी यहीं रहता था।
महाशिवरात्रि पर शिव भक्त करते हैं ऐसे पूजा
शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवभक्त महाशिवरात्रि पर उनका जलाभिषेक करते हैं। इस दिन शिव को भांग, धतुरा, बेलपत्र, फूल और फल चढ़ाया जाता है। भक्त पूरे दिन वृत कर शिव का ध्यान करते हैं। कहा जाता है कि जो भी सच्चे मन से महाशिवरात्रि का वृत रखता है, भगवान उसकी मनोकामना जरूर पूरी करते हैं। महाशिवरात्रि के वृत से सारे पाप भी धुल जाते हैं।