कर्नाटक का राजनीतिक नाटक सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है और सुप्रीम कोर्ट में भी यह मामला कुछ इस तरह पहुंचा कि इसकी सुनवाई देर रात तब शुरु हुई जब पूरा देश गहरी नींद में सो रहा था। आधी रात को मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने इस मामले की सुनवाई के लिए तीन सदस्यों की एक बैंच का गठन किया और रात करीब दो बजे से लेकर सुबह चार बजे के बाद तक मामले की सुनवाई चलती रही।
कांग्रेस और जेडीएस के वकीलों ने अपनी याचिका में येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से रोकने की मांग की थी अदालत ने हालांकि यह मांग को नहीं मानी, लेकिन कोर्ट ने भाजपा और कांग्रेस जेडीएस गठबंधन से अपने अपने विधायकों की लिस्ट के साथ शुक्रवार को सुबह एक बार फिर अदालत में पेश होने को कहा है और अब कल इस मामले पर एक बार फिर से यह अहम सुनवाई होगी।
देश की आम जनता सुबह सवा चार बजे जब सो रही थी तब देश की सर्वोच्च अदालत ने करीब ढाई घंटे की सुनवाई के बाद कर्नाटक के राज्यपाल के फैसले पर रोक लगाने से इनकार करते हुए येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री के रुप में शपथ लेने का रास्ता साफ कर दिया । सुप्रीम कोर्ट का फैसला भले ही किसी के लिए राहत और किसी के लिए झटके के तौर पर रहा हो लेकिन देश की सबसे बड़ी अदालत ने एक बार से साबित कर दिया कि न्याय के दरवाजे हर समय हर किसी के लिए खुले हुए हैं ।
सुप्रीम कोर्ट में रात भर चले इस ड्रामे की कहानी शुरु हुई रात साढे नौ बजे कर्नाटक से । राज्यपाल वजूभाई वाला की ओर से बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया गया ।
येदियुरप्पा को शपथ ग्रहण का न्यौता मिलने की खबर के साथ ही कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं । रात 11 बजे कांग्रेस की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की और रात को ही इस पर सुनवाई का आग्रह किया। इसी के साथ खंडित जनादेश आने के बाद कर्नाटक राजनीति में शुरू हुआ हंगामा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया ।
देर रात सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने कांग्रेस-जेडीएस की अर्जी स्वीकार की और उसे लेकर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा के घर पहुंचे।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने को हामी भर दी और सुनवाई के लिए तीन जजों की बेंच का गठन किया गया।
देर रात दो बजकर 11 मिनट पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस एसए बोबडे की बेंच ने सुनवाई शुरू की।
सुनवाई के दौरान कांग्रेस की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ,बीजेपी की तरफ से पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी और केंद्र सरकार की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट में पेश हुए।
कांग्रेस-जेडीएस की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा “भाजपा के पास 104 विधायकों का समर्थन है और राज्यपाल ने येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिया। ये पूरी तरह असंवैधानिक है। सिंघवी ने कोर्ट से राज्यपाल का फैसला रद्द करने की अपील की।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- क्या सुप्रीम कोर्ट गवर्नर को किसी पार्टी को सरकार बनाने का न्योता देने से रोक सकता है?
बीजेपी के वकील रोहतगी ने सुनवाई के दौरान कहा, “इस मामले में देर रात सुनवाई जरूरी नहीं है। यदि कोई शपथ ले लेता है तो आसमान नहीं टूट पड़ेगा। राज्यपाल ने सोच-समझकर फैसला किया है। बीजेपी के पास विधायक हैं या नहीं इसका फैसला फ्लोर पर होगा, गवर्नर या मुख्यमंत्री के आवास पर नहीं।
अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि ‘यह याचिका दायर नहीं की जानी चाहिए थी। कांग्रेस और जेडी (एस) को फ्लोर टेस्ट के लिए इंतजार करना चाहिए था। शपथ लेने के लिए आमंत्रित्र करना राज्यपाल का काम है। राष्ट्रपति और राज्यपाल किसी भी अदालत के लिए उत्तरदायी नहीं हैं।
करीब ढाई घंटे की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने शपथ ग्रहण समारोह पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।अदालत ने अपने फैसले में कहा कि हम राज्यपाल के आदेश पर रोक नहीं लगा सकते। उन्होंने बीजेपी से वह चिट्ठी भी मांगी जो राज्यपाल को सौंपी गई थी।सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को अपने-अपने विधायकों की लिस्ट सौंपने को कहा है। शुक्रवार सुबह साढ़े 10 बजे अदालत फिर इस मामले में सुनवाई करेगी।
2014 में निठारी कांड के दोषी सुरेंद्र कोली और 2015 में याकूब मेनन की फांसी के बाद तीसरी बार ऐसा हुआ जब देर रात सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। देर रात सुनवाई करने के कोर्ट के इस फैसले का सभी पक्षों ने स्वागत किया ।देर रात सुनवाई कर फैसले सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी दिए हैं लेकिन बुधवार और गुरुवार की देर रात हुए घटनाक्रम से लोगों का न्यायपालिका और लोकतंत्र पर विश्वास और गहरा हुआ है ।
